मिल का ताला खुलवाने के लिए फिर सड़कों पर उतरेगा मजदूर

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प्रशासन को अल्टीमेटम, 13 तक निकाले हल, अन्यथा भुगतने होंगे परिणाम

  • 14 अगस्त से मजदूरों ने परिवार सहित आमरण अनशन की दी चेतावनी

हनुमानगढ़ (सच कहूँ न्यूज)। हजारों परिवारों का पेट भरने वाली शहर की सहकारी स्पिनिंग मिल पर जड़ा ताला खुलवाने के लिए मजदूर एक बार फिर से सड़क पर उतरने की तैयारी में जुट गया है। मिल पर तालाबंदी के करीब एक सप्ताह बाद मजदूरों ने अपने इरादे जाहिर करते हुए ताला खुलवाने, बकाया वेतन का भुगतान करने तथा समायोजन की मांग को लेकर प्रशासन को अल्टीमेटम दिया है। इसमें चेतावनी दी है कि यदि 13 अगस्त तक प्रशासन ने सरकार से वार्ता कर इस समस्या का कोई हल नहीं निकाला तो स्वतंत्रता दिवस की वर्षगांठ से एक दिन पहले 14 अगस्त को मिल के सैकड़ों मजदूर अपने परिवार सहित जंक्शन में भगतसिंह चौक पर आमरण अनशन शुरू करेंगे। इससे होने वाले नुकसान की सारी जिम्मेदारी प्रशासन व सरकार की होगी।

इस संबंध में बुधवार को जंक्शन स्थित रोडवेज डिपो में मिल बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले विभिन्न राजनैतिक, सामाजिक एवं मजदूर संगठनों की हुई संयुक्त बैठक में उपस्थित सभी लोगों ने एकस्वर में मजदूरों के हित के लिए संघर्ष की आवाज बुलंद की। बैठक में तय हुआ कि इस संबंध में जिला कलक्टर को एक सूचना देकर अवगत करवाया जाएगा कि 13 अगस्त तक अगर सरकार ने मजदूरों की मांगों पर कोई उचित कदम नहीं उठाया तो वे 14 अगस्त से आंदोलन को तेज करेंगे। साथ ही इससे पहले 11 अगस्त को पुन: बैठक कर आंदोलन की रूपरेखा बनाई जाएगी। बैठक में रामेश्वर वर्मा, प्रो. सुमन चावला, डॉ. सौरभ राठौड़, गुरदीप चहल, निरंजन नायक, भागीरथ डूडी, महावीर राठौड़, मुल्खराज शर्मा, मूलचंद चौधरी, आशीष बिश्नोई, गोविन्द नारायण, रत्तीराम सहारण, मुद्रिका यादव, सुभाष वर्मा, राजू संधू, राजू योगी आदि मौजूद थे।

एडीएम से मिले समिति सदस्य

बैठक के बाद संघर्ष समिति सदस्य अतिरिक्त जिला कलक्टर प्रकाश चौधरी से मिले तथा मिल पर की गई तालाबंदी खुलवाने, 11 माह का बकाया वेतन दिलवाने व मजदूरों का अन्य विभागों में समायोजन करने की मांग पर 13 अगस्त तक सुनवाई न होने पर 14 अगस्त से आमरण अनशन शुरू करने की चेतावनी दी। इस पर एडीएम ने मांगों के संबंध में सरकार को अवगत करवाने का आश्वासन दिया।

26 जुलाई को मिल पर जड़ा ताला

गौरतलब है कि सहकारिता के क्षेत्र में स्थापित हनुमानगढ़ की स्पिनिंग मिल को स्थाई रूप से बंद करने के सरकारी आदेशों के बाद विगत 26 जुलाई को मिल पर ताला जड़ दिया गया। तालाबंदी के साथ ही श्रमिकों का लेआॅफ भी लगना बंद हो गया। गौरतलब है कि शुरू में मिल में 2000 श्रमिक थे। इसमें वर्ष 1985 में उत्पादन शुरू हुआ था। उस समय हर दिन 17 टन धागे का उत्पादन होता था। इस धागे की चमक देश व विदेशों में थी। श्रमिक और प्रबंधन दोनों खुश थे। लेकिन जैसे ही 1992-93 में सरकार ने प्रदेश की तीनों सहकारी स्पिनिंग मिलों की फैडरेशन बनाई, तब से मिल की बर्बादी का मंजर शुरू हुआ। फैडरेशन बनने से पहले इस मिल में जो एमडी बैठते थे वह आईएएस रैंक के होते थे। इसके कारण मिल का बेहतर प्रबंधन होता था। लेकिन फैडरेशन बनने के बाद एमडी जयपुर मुख्यालय बैठने लगे।

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