पंचायती चुनाव में उम्मीदवार का डोप टैस्ट जरूरी या नहीं, निर्णय आज

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ग्रामीण विकास व पंचायत विभाग के अनुराग अग्रवाल और चुनाव
कमिशनर जग्पाल संधू करेंगे तय

चंडीगढ़(अश्वनी चावला)। सितम्बर माह में होने वाली पंचायती चुनाव में उम्मीदवार का डोप टैस्ट जरूरी होगा या फिर नहीं इस संबंधी आज निर्णय हो सकता है। पंजाब सरकार सिर्फ एक नोटिफिकेशन करते हुए काम चला सकती है या फिर सरकार को इस संबंधी एक्ट में संशोधन करना पडेÞगा, इस सवाल को लेकर ग्रामीण विकास और पंचायत विभाग के प्रिंसीपल सचिव अनुराग अग्रवाल और ्नराज्य चुनाव कमिशनर जग्पाल संधू बैठक करने जा रहे हैं, जिसके बाद पंजाब सरकार यह तय करेगी कि वह पंचायती चुनाव में डोप टैस्ट जरूरी करने जा रही है या फिर इस से कदम पीछे कर लिए जाएंगे।

देश के संविधान अनुसार हर व्यक्ति को चुनाव लड़ने का अधिकार

पंचायती विभाग के मंत्री तृप्त राजिन्दर बाजवा ने पंचायती चुनाव में भाग लेने वाले सभी उम्मीदवारों के लिए डोप टैस्ट जरूरी करने का घोषणा की गई थी, जिससे नशेड़ी चुनाव में जीत कर पंचायत व ब्लाक समितियों में न आ सकें। तृप्त राजिन्दर बाजवा द्वारा यह घोषणा करने के बाद अब इस मामले में कानूनी हल ढूंढने की कोशिश कर रही है, जिससे डोप टैस्ट को जरूरी किया जा सके।
ग्रामीण विकास और पंचायत विभाग का तर्क है कि इस मामले को कैबिनेट में लेकर जाने की जरूरत नहीं है, क्योंकि विभाग चाहे तो एक नोटिफिकेशन जारी करते हुए डोप टैस्ट जरूरी किया जा सकता है परन्तु यहां राज्य चुनाव आयोग के एक अधिकारी का कहना है कि इस संबंधी एक्ट में संशोधन करना जरूरी है, जिससे इस मामले को लेकर कोई उम्मीदवार उच्च अदालतों में अपील न कर दे। जिससे चुनावी प्रक्रिया में देरी हो सकती है।

अधिकारियों का कहना है कि देश के संविधान अनुसार हर व्यक्ति का अधिकार है कि वह चुनाव लड़ सकता है, इस लिए किसी तरह का नशा करने वाले व्यक्ति से यह लोक संगीतकार अधिकार छीनने से पहले सरकार को जरूरी कानूनी प्रक्रि या अपनानी होगी, नहीं तो उच्च अदालतों में सरकार का एक नोटिफिकेशन टिक नहीं सकता है।

नोटिफिकेशन द्वारा चल सकता है काम या फिर करनी पड़ेगी एक्ट में संशोधन, बेठक में होगा तय

इस मामले में पिछले 2 सप्ताह से चर्चा के दौर में कई ओर सवाल भी बाहर आए हैं, इस लिए आज ग्रामीण विकास और पंचायत विभाग के प्रिंसीपल अनुराग अग्रवाल और राज्य चुनाव कमिशनर जग्पाल संधू बैठक करने जा रहे हैं। जहां कि इस मामले पर विचार करने के बाद आखिरी निर्णय लिया जाएगा कि पंचायती चुनाव में डोप टैस्ट जरूरी होगा या नहीं। यदि जरूरी किया जा रहा है तो उसके लिए एक्ट में संशोधन होगा या फिर सिर्फ एक विभागीय नोटिफिकेशन के साथ ही काम चलाया जा सकता है।

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