जल संग्रह गहरा हो ऊंचा नहीं

Water, Collection, Not Deep

बढ़ती आबादी तथा ओद्योगिकीकरण से पानी की मांग बढ़ती जा रही है

विवेक रंजन श्रीवास्तव

पानी जीवन की पाअनिवार्य आवश्यकता है। सारी सभ्यतायें नैसर्गिक जल स्रोतों के तटों पर ही विकसित हुई हैं। बढ़ती आबादी के दबाव में, तथा ओद्योगिकीकरण से पानी की मांग बढ़ती ही जा रही है। इसलिये भूजल का अंधाधुंध दोहन हो रहा है और परिणाम स्वरूप जमीन के अंदर पानी के स्तर में लगातार गिरावट होती जा रही है। नदियों पर हर संभावित स्थल पर बांध बनाये गये हैं। बांधों की ऊंचाई को लेकर अनेक जन आंदोलन हमने देखे हैं। बांधों के दुष्परिणाम भी हुये, जंगल डूब में आते चले गये और गांवों का विस्थापन हुआ। बढ़ती पानी की मांग के चलते जलाशयों के बंड रेजिंग के प्रोजेक्ट जब तब बनाये जाते हैं।

अब समय आ गया है कि जलाशयों, वाटर बाडीज, नदियों को ऊंचा नहीं गहरा किया जाए यांत्रिक सुविधाओं व तकनीकी रूप से विगत दो दशकों में हम इतने संपन्न हो चुके हैं कि समुद्र की तलहटी पर भी उत्खनन के काम हो रहे हैं। समुद्र पर पुल तक बनाये जा रहे हैं बिजली और आप्टिकल सिग्नल केबल लाइनें बिछाई जा रही है। तालाबों, जलाशयों की सफाई के लिये जहाजों पर माउंटेड ड्रिलिंग, एक्सकेवेटर, मडपम्पिंग मशीने उपलब्ध हैं। कई विशेषज्ञ कम्पनियां इस क्षेत्र में काम करने की क्षमता सम्पन्न हैं।

मूलत: इस तरह के कार्य हेतु किसी जहाज या बड़ी नाव, स्टीमर पर एक फ्रेम माउंट किया जाता है जिसमें मथानी की तरह का बड़ा रिंग उपकरण लगाया जाता है, जो जलाशय की तलहटी तक पहुंच कर मिट्टी को मथकर खोदता है, फिर उसे मड पम्प के जरिये जलाशय से बाहर फैंका जाता है। अब जरूरी है कि अभियान चलाकर बांधो में जमा सिल्ट ही न निकाली जाये वरन जियालाजिकल एक्सपर्टस की सलाह के अनुरूप बांधों को गहरा करके उनकी जल संग्रहण क्षमता बढ़ाई जाने के लिये हर स्तर पर प्रयास किये जायें। शहरों के किनारे से होकर गुजरने वाली नदियों में ग्रीष्म काल में जल धारा सूख जाती है, हाल ही पवित्र क्षिप्रा के तट पर संपन्न उज्जैन के सिंहस्थ के लिये क्षिप्रा में नर्मदा नदी का पानी पम्प करके डालना पड़ा था।

यदि क्षिप्रा की तली को गहरा करके जलाशय बना दिया जावे तो उसका पानी स्वत: ही नदी में बारहो माह संग्रहित रह सकता है। इस विधि से बरसात के दिनों में बाढ़ की समस्या से भी किसी हद तक नियंत्रण किया जा सकता है। इतना ही नही गिरते हुए भू जल स्तर पर भी नियंत्रण हो सकता है क्योंकि गहराई में पानी संग्रहण से जमीन रिचार्ज होगी, साथ ही जब नदी में ही पानी उपलब्ध होगा तो लोग ट्यूब्वेल का इस्तेमाल भी कम करेंगे। इस तरह दोहरे स्तर पर भूजल में वृद्धि होगी। नदियों व अन्य वाटर बाडीज के गहरीकरण से जो मिट्टी, व अन्य सामग्री बाहर आयेगी उसका उपयोग भी भवन निर्माण, सड़क निर्माण तथा अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर डेवल्पमेंट में किया जा सकेगा। वर्तमान में इसके लिये पहाड़ खोदे जा रहे हैं जिससे पर्यावरण को व्यापक और स्थाई नुकसान हो रहा है, क्योकि पहाड़ियों की खुदाई करके पत्थर व मुरम तो प्राप्त हो रही है पर इन पर लगे वृक्षों का विनाश हो रहा है एवं पहाड़ियों के खत्म होते जाने से स्थानीय बादलो से होने वाली वर्षा भी प्रभावित हो रही है।

नदियों की तलहटी की खुदाई से एक और बड़ा लाभ यह होगा कि इन नदियो के भीतर छिपी खनिज संपदा का अनावरण सहज ही हो सकेगा। छत्तीसगढ़ में महानदी में स्वर्ण कण मिलते हैं, तो कावेरी के थले में प्राकृतिक गैस, इस तरह के अनेक संभावना वाले क्षेत्रों में विशेष उत्खनन भी करवाया जा सकता है। पुरातात्विक महत्व के अनेक परिणाम भी हमें नदियों तथा जलाशयों के गहरे उत्खनन से मिल सकते हैं, क्योकि भारतीय संस्कृति में आज भी अनेक आयोजनो के अवशेष नदियों में विसर्जित कर देने की परम्परा हम पाले हुये हैं। नदियों के पुलों से गुजरते हुये जाने कितने ही सिक्के नदी में डाले जाने की आस्था जन मानस में देखने को मिलती है।

निश्चित ही सदियों की बाढ़ में अपने साथ नदियां जो कुछ बहाकर ले आई होंगी उस इतिहास को अनावृत करने में नदियों के गहरी करण से बड़ा योगदान मिलेगा। पनबिजली बनाने के लिये अवश्य ऊँचे बांधों की जरूरत बनी रहेगी, पर उसमें भी रिवर्सिबल रिजरवायर, पम्प टरबाईन टेक्निक से पीकिंग अवर में विद्युत उत्पादन को बढ़ावा देकर गहरे जलाशयों के पानी का उपयोग किया जा सकता है। मेरे इस आमूल मौलिक विचार पर भू-वैज्ञानिक, राजनेता, नगर व ग्राम स्थानीय प्रशासन, केद्र व राज्य सरकारों को तुरंत कार्य करने की जरुरत है, जिससे सूखे से देश बच सके कि हमें पानी की ट्रेने न चलानी पड़े, बल्कि बरसात में हर क्षेत्र की नदियों में बाढ़ की तबाही मचाता जो पानी व्यर्थ बह जाता है तथा साथ में मिट्टी बहा ले जाता है वह नदी के क्षेत्रफल के विस्तार में ही गहराई में साल भर संग्रहित रह सके और इन प्राकृतिक जलाशयों से उस क्षेत्र की जल आपूर्ति वर्ष भर हो सके।

Hindi News से जुडे अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter पर फॉलो करें।

Water, Collection, Not Deep