कल्याणकारी बजट: धन की उपलब्धता महत्वपूर्ण

Welfare budget: availability of funds is important

कार्यवाहक वित्त मंत्री पीयूष गोयल द्वारा प्रस्तुत अंतरिम बजट में ग्रामीण औद्योगिकीकरण पर बल दिया गया है और शायद ऐसा महात्मा गांधी की 150वीं जयंती वर्ष में उनके सपनों को पूरा करने के लिए गया है। देश में व्याप्त कृषि संकट को देखते हुए कृषि क्षेत्र पर ध्यान दिया गया है। साथ ही इससे ग्रामीण क्षेत्रों में नए अवसर पैदा होंगे और वोट बैंक भी तुष्ट होगा। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की घोषणा कर छोटे और सीमान्त किसानों के लिए निश्चित आय का प्रावधान किया गया है किंतु कम राशि घोषित किए जाने के कारण वे निराश है। साथ ही बजट में ऋण माफी की घोषणा भी नहीं की गई है।

यह सच है कि किसान सम्मान निधि से लगभग 12 करोड़ किसान लाभान्वित होंग और यह राशि सीधे उनके बैंक खाते में जाएगी किंतु इससे कृषक समुदाय में सबसे कजोर वर्ग काश्तकार और भूमिहीन श्रमिकों को लाभ नहंी मिलेगा जिनकी संख्या 2011 में लगभग 14.43 करोड़ थी। आशा की जाती है कि आगामी वर्षों में इस राशि में वृद्धि की जाएगी हालांकि 6 हजार रूपए प्रति वर्ष के प्रावधान से भी सरकारी राजकोष पर लगभग 75 हजार करोड़ रूपए का बोझ पड़ेगा जो 2008 में की गयी ऋण माफी की 52 हजार करोड़ रूपए की राशि से कहीं अधिक है।

बजट में असंगठित क्षेत्र के 15 हजार रूपए से कम आय के श्रमिकों के लिए 3 हजार रूपए प्रति माह पेंशन योजना की घोषणा की गयी है और यह इस दिशा में एक बड़ा कदम है। गत वर्षों में सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों को सुरक्षा प्राप्त है जबकि असंगठित क्षेत्र के कर्मचारियों को यह सुविधा प्राप्त नहीं है। यह एक तरह से अटल पेंशन योजना का नया रूप है और इससे असंगठित क्षेत्र के लगभग 10 लाख कामगारों को लाभ मिलेगा। मनरेगा के लिए 60 हजार करोड़ रूपए का आवंटन किया गया है हालांकि पिछले वर्ष की तुलना में इसमें 5 हजार करोड़ रूपए की वृद्धि की गयी है किंतु यह इस कार्यक्रम को पूरे वर्ष चलाने के लिए पर्याप्त नहंी है। देश में बेरोजगारी की दर 6.1 के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गई है ऐसे में ग्रामीण गरीबों के लिए रोजगार सुनिश्चित करने की योजना के लिए और अधिक राशि आवंटित की जानी चाहिए थी।

कुल मिलाकर यह एक लोकप्रिय बजट है और इसका निर्माण आगामी आम चुाव को ध्यान में रखकर किया गया है। मध्यम वग्र को कर लाभ दिया गया है और अब 6.50 लाख प्रति वर्ष की आय वाले मध्य वर्गीय व्यक्ति को भी कर से राहत मिलेगी। रक्षा बजट में सर्वाधिक वृद्धि कर इसे 3.05 लाख करोड़ रूपए किया गया है। देश में अवसंरचना के लिए धन राशि की मांग को देखते हुए यह उचित नहंी है हालांकि इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि देश की सुरक्षा को नजरंदाज नहंी किया जा सकता है फिर भी इतने बड़े दुर्लभ संसाधनों को रक्षा पर खर्च करना उचित नहीं है। शायद पाकिस्तान से निरंतर जारी सीमा पार आतंकवाद के कारण ऐसा किया गया है। आशा की जाती है कि इस राशि का एक बड़ा भाग हथियारों, युद्धक विमानों और पोतों के स्वदेश निर्माण में किया जाएगा। जिससे आर्थिक वृद्धि को गति मिलेगी।

बजट में एक लाख गांवों के डिजिटलीकरण का प्रस्ताव किया गया है इससे भी आर्थिक वृद्धि में तेजी आएगी। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए मत्स्यन के लिए अलग मंत्रालय की स्थापना का प्रस्ताव है। पशु पालन और मत्स्यन के लिए ब्याज में 2 प्रतिशत की छूट का प्रावधान किया गया है और जो किसान समय पर अपने ऋण का भुगतान करेंगे उनके लिए ब्याज में 3 प्रतिशत की छूट दी गई है। परिवहन अवसंरचना विशेषकर राजमार्गों और रेलवे के लिए आवंटन में वृद्धि की गई है। गोयल के अनुसार अगली पीढ़ी की अवसंरचना सड़क, रेलवे, पत्तन और शहरी परिवहन आदि होंगे। राजमार्गों के लिए आवंटन बढाकर 83 हजार करोड़ रूपए किया गया है। रेलवे के लिए 66768.67 करोड़ रूपए किया गया है। किंतु स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए कोई विशेष वृद्धि नहीं की गई है।

राजयों को उप मंडल स्तर पर अस्पताल खोलने या प्रत्येक जिले में जिला अस्पताल खोलने के लिए सहायता देने की घोषणा नहीं की गई है। इस बात पर बल दिया गया है कि यह सरकार गरीबों और मध्यम वर्ग की है और वास्तव में बजट प्रस्तावों को देखकर ऐसा लगता भी है। बजट प्रस्तावों से गरीब, निम्न और मध्यम आय वर्ग सर्वाधिक लाभान्वित हुआ है और इस तरह सरकार ने उद्योगपतियों की पक्षधर होने की अपनी छवि को छोड़ने का प्रयास किया है। वर्ष 2018-19 में ब्याज भुगतान पहले ही बढकर 5.88 लाख करोड़ रूपए हो गया है जो 2017-18 में 5.29 लाख करोड़ रूपए था और जिसके बढकर 6.65 लाख करोड़ रूपए होने की संभावना है।

उस वर्ष के लिए 80 हजार करोड़ रूपए के विनिवेश का का लक्ष्य रखा गया है और 2019-20 के लिए यह लक्ष्य 90 हजार करोड़ रूपए का है किंतु इस वर्ष अब तक इससे सरकार को केवल 35533 करोड़ रूपए मिले हैं और अब दो माहों में यह लक्ष्य पूरा करना कठिन है। कुल मिलाकर सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि धन की कमी के कारण कल्याण योजनाएं प्रभावित न हों जैसा कि इस वित्तीय वर्ष में मनरेगा के मामले में हुआ था जिसके माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में गरीब लोगों को रोजगार मिलता है। इसलिए सरकार या आगामी सरकार को संसाधन जुटाने पर विशेष ध्यान देना होगा।

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