बजट में आमजन को मिले कर छूट व आर्थिक सहायता

Welfare budget: availability of funds is important

कोविड-19 से पिछले दो सालों में छोटे आयकरदाताओं और मध्यम वर्ग की आर्थिक चुनौतियां खासा बढ़ गई हैं। उम्मीद की जा रही है कि वित्त मंत्री छोटे आयकरदाताओं और मध्यम वर्ग को राहत देते हुए इनकी क्रयशक्ति बढ़ाकर मांग में वृद्धि करने की रणनीति अपना सकती हैं। इसमें दो मत नहीं है कि पिछले दो वर्षों में कोरोना संकट के कारण एक तरफ जहां बड़ी संख्या में लोगों के रोजगार गए, उनके वेतन-पारिश्रमिक में कटौती हुई और ‘वर्क फ्रॉम होम’ की वजह से टैक्स में छूट के कुछ माध्यम कम हो गए, तो वहीं दूसरी तरफ डिजिटल तकनीक, ब्रॉडबैंड, बिजली के बिल जैसे खर्चों में बढ़ोतरी से बड़ी संख्या में छोटे करदाताओं की आमदनी घट गई। इन दिनों महंगाई भी बढ़ गई है। दिसंबर 2021 में थोक महंगाई दर गिरकर 13.56 फीसदी पर रही, जबकि उसी महीने में खुदरा महंगाई दर बढ़कर 5.59 फीसदी पर पहुंच गई। पेट्रोल और डीजल की कीमतें भी ऊंची हैं।

चूंकि कोरोना के कारण पैदा हुए आर्थिक हालात से लड़ने और छोटे करदाताओं व मध्यम वर्ग की क्रयशक्ति बढ़ाने के लिए पिछले वर्ष के बजट में कोई बड़ी राहत नहीं दी गई थी, इसलिए इस बार उम्मीद है कि सरकार टैक्स का बोझ कम करने के लिए अभूतपूर्व प्रोत्साहन दे सकती है। छोटे करदाताओं व मध्यम वर्ग की मुश्किलों के बीच आयकर के पुराने स्लैब के पुन: निर्धारण की आवश्यकता खूब महसूस की जा रही है। आयकरदाताओं को राहत देते हुए सरकार को टैक्स छूट की सीमा दोगुनी कर पांच लाख रुपये कर देनी चाहिए। नए बजट में वित्त मंत्री को नौकरी-पेशा वर्ग के लोगों के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा 75 हजार रुपये तक बढ़ानी चाहिए। इसी तरह, मौजूदा समय में धारा 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये की छूट मिलती है, जिसमें ईपीएफ, पीपीएफ, एनएससी, जीवन बीमा, बच्चों की ट्यूशन फीस और आवास ऋण का मूलधन भुगतान भी शामिल है।

सरकार द्वारा आयकर अधिनियम की धारा 80डी के तहत कर कटौती की सीमा को भी बढ़ाना चाहिए। चूंकि अभी भी कोरोना की चुनौतियों के बावजूद देश में स्वास्थ्य बीमा अधिक चलन में नहीं है और अधिकतर लोगों के स्वास्थ्य बीमे का कवर कोरोना वायरस के कारण अस्पताल के खर्चे से निपटने के लिए पर्याप्त नहीं है, इसलिए 80डी के तहत स्वास्थ्य बीमा के प्रीमियम पर कर छूट को बढ़ाना चाहिए, ताकि करदाता स्वास्थ्य बीमा की तरफ प्रेरित हों। निश्चित रूप से नए बजट के माध्यम से आयकर सुधारों को गतिशील किया जाना जरूरी है। सरकार द्वारा बजट के तहत नए डायरेक्ट टैक्स कोड और नए इनकम टैक्स कानून बनाने के कार्य को भी सुनिश्चित करना होगा।

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