खुले आसमान के नीचे बिताई रात, सोए भूखे पेट

slept-hungry

प्रशासन की मार। लोग अपने टूटे मकानों को देखकर प्रशासन को कोसते नजर आए

सच कहूँ/राजू ओढां। गांव बप्पां में बीते मंगलवार को 14 मकानों पर चले पीले पंजे के बाद बेघर हुए लोगों ने खुले आसमान के नीचे रात बिताई। किसी ने खाना खाया तो किसी ने नहीं। लोग अपने टूटे मकानों को देखकर भावुक होकर प्रशासन को कोसते रहे। लोगों में इस बात को लेकर रोष देखा गया कि वोट बटोरने तो सब आ जाते हैं लेकिन इस समय कोई उनके आंसू पौंछने तक नहीं आया। लोग प्रशासन, राजनीतिकों व गांव के सरपंचों को कोसते नजर आए।

इस कार्रवाई में लोगों ने आनन-फानन में कीमती सामान तो निकाल लिया लेकिन अन्य सामान मलबे के नीचे ही दब गया। जिन लोगों के मकान टूटे हैं उनके समक्ष विकट समस्या उत्पन्न हो गई है कि वे अपने बच्चों को लेकर कहां सिर छुपाएंगे। तो वहीं जिन लोगों के घर बचे हैं उनमें भी ये डर देखा गया कि कहीं उनके मकानों पर भी पीला पंजा न चल जाए। जब बेघर हुए लोगों की स्थिति जानी गई तो उन्होंने रोते हुए कहा कि उन्होंने मजदूरी कर जैसे-तैसे सिर छुपाने की जगह बनाई थी, लेकिन अब वे एक दम से अपने बच्चों को लेकर कहां जाएंगे।

मेरे चार बच्चे हैं अब उन्हें लेकर कहां जाऊं: जोगिन्द्र

मोहल्ले के जोगिन्द्र सिंह ने बताया कि जब उसका घर तोड़ा गया था। उस समय वह मजदूरी गया हुआ था। उसे फोन पर सूचना दी गई। जब वह घर आया तो उसके घर पर पीला पंजा चल चुका था। जोगिन्द्र सिंह के अनुसार उसके पास मकान के नाम पर सरकंडे डले हुए 2 कमरे थे। दोनों ही तोड़ दिए गए। उसके 4 बच्चे हैं। अब वह उन्हें लेकर कहां सिर छुपाएगा। जोगिन्द्र सिंह ने अपने बच्चों के साथ गली में खुले आसमान के नीचे रात गुजारी। लोगों ने दुखी मन से कहा कि उनके पास भूमि खरीदना तो दूर तंबू गाड़ने तक के पैसे नहीं है। मौहल्ले के सभी लोग दिहाड़ीदार मजदूर हैं।

न मां-बाप गए काम पर न बच्चे गए स्कूल

बुधवार को मोहल्ले का कोई भी व्यक्ति मजदूरी करने नहीं गया। अपने मां-बाप को रोता देख बच्चे भी स्कूलों में नहीं गए। इस कार्रवाई में बड़ा सवाल ये है कि अगर उक्त लोग पंचायती भूमि पर काबिज थे तो उनके राशन कार्ड, आधार कार्ड व वोटर कार्ड सहित अन्य दस्तावेज बनाते हुए उन्हें बिजली के कनैक्शन कैसे जारी कर दिए गए। लोगों ने प्रशासन से मांग करते हुए कहा कि सरकार उन्हें कहीं अन्य जगह भूमि दे ताकि वे वहां अपने मकान डाल सकें। ये केस मेरे कार्यकाल से पूर्व सरपंच के समय का था। जिसमें अब फैसला पंचायत के हक मेें आ गया। मेरे पास अब सरपंच पद का चार्ज नहीं है। ये जो भी कार्रवाई है वो बीडीपीओ कार्यालय की तरफ से ही की गई है।
-बिमला सरावता, सरपंच (बप्पां)।

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