नगा उग्रवाद के वापसी के संकेत

Signal withdrawal of Naga insurgency

मूमन शांत कहे जाने वाले पूर्वोत्तर राज्य अरूणाचल प्रदेश में नगा गुटों ने अपनी वापसी के संकेत देकर फिजा की रंगत में जहर घोलने का काम कर दिया है। नगा आतंकवादियों ने सरेआम एक विधायक की हत्या कर राज्य और केंद्र की हुकूमत को संदेश दिया है कि उनकी आदमगी खत्म नहीं हुई, अभी भी बरकरार है? विगत कुछ वर्षों से अनुमान लगाया जा रहा था कि प्रदेश और उसके आसपास के इलाकों में नगा आतंकवाद निष्क्रिय हो गया है। लेकिन एक साथ 11 लोगों का नृसंहार कर उन्हेंने अपने नापाक मंसूबों का परिचय दे दिया है। कुछ सालों पहले नगा आतंकवादी बड़ी-बड़ी घटनाओं को अंजाम देते आए थे, लेकिन पिछले सात-आठ सालों में इनका आतंक कुछ शांत पड़ा था। लेकिन एक बार फिर उन्होंने अरूणाचल प्रदेश की जमीन को लहू से लाल कर दिया है। अरूणाचल में नगा विद्रोही और झारखंड़ जैसे प्रदेशों में नक्सलियों ने आतंरिक सुरक्षा को कई सालों से चुनौती दे रखी है। ये आतंकी मौका पाते ही बड़ी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। इन घटनाओं को देखकर कभी-कभी प्रतीत होता है कि हमारा सुरक्षातंत्र घर में पल रहे दुश्मनों से लोहा लेने में कहीं कमजोर तो नहीं? पिछले पांच सालों में देश की सुरक्षा काफी मजबूत हुई है, बावजूद इसके खूनी घटनाएं लगातार घट रही हैं। नगा विद्रोहियों से निपटने के लिए दोबारा से नई नीति बनाए जाने की दरकार है।

प्रदेश के तिरप जिले के बोगापानी इलाके में नेशनल पीपुल्स पार्टी के विधायक तिरोंग अबो समेत 11 लोगों को एनएससीएन के संदिग्ध आतंकवादियों द्वारा मारा जाना चिंता का विषय है। उनके इस कृत्य को हलके में कतई नहीं लेना चाहिए। विधायक के साथ उनके बेटे को भी निशाना बनाकर मार डाला। उनके सुरक्षा में तैनात सभी नौ लोगों को भी एक साथ मौत के घाट उतार दिया। घटना से सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि यह नगाओं की विधायक या उनके परिवार से पुरानी रंजिश रही हो, या फिर उनसे कुछ डिमांड की हो। क्योंकि नगा विद्रोही इस वक्त कंगाल स्थिति में हैं। उनके पास न पैसे हैं, और न ही आधुनिक हथियार।

कुछ सालों से इनका प्रतिष्ठित लोगों को ब्लैकमेल करना, रंगदारी मांगना इस वक्त मुख्य धंधा है। खबरें ऐसी भी सामने आई हैं कि आतंकवादियों ने घटना के कुछ दिन पूर्व विधायक तिरोंग अबो से रंगदारी मांगी थी। जिसे विधायक ने गंभीरता से न लेते हुए उनकी मांग को नकार दिया था। इस बावत विधायक ने पुलिस को भी बताया था उन्होंने भी हलके में लिया। तभी से नगा आतंकवादी घात लगाए बैठे थे। और मौका पाते ही उन्हें अपने मंसूबों को नृसंहार घटना में परिवर्तित कर दिया। अरूणाचल प्रदेश का संदिग्ध नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल आॅफ नागालैंड उर्फ नगा करीब दो दशकों से स्थानीय लोगों के लिए सिर दर्द बना हुआ है। पूर्व में किए आमजनों पर इनका अत्याचार किसी से छिपा नहीं। सूत्रों से कुछ खबरें ऐसी भी मिली हैं कि इनको अब सीमापार के चीनी आतंकवादी सहयोग कर रहे हैं। वहीं इनको अत्याधुनिक हथियार मुहैया करा रहे हैं। अगर ऐसा है तो चीन अप्रत्यक्ष रूप से नगा विद्रोहियों के सहारे भारत में घुसपैठ कर रहा है। हमारी खुफिया एजेंसियों को इसकी तह में जाने की जरूरत है। इस खबर में अगर जरा भी सच्चाई है तो उनके मंसूबों को समय रहते कुचलने की जरूरत है। नगा विद्रोहियों के खिलाफ चले पूर्व में अभियानों को दोबारा से गति देने की आवश्यकता है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो यह समस्या हमारे लिए नासूर बन सकती है।

मारे गए विधायक अबो अरुणाचल प्रदेश की खोंसा-पश्चिम सीट से विधायक थे। इलाके में उनकी ईमानदार छवि थी। घटना के दिन सबसे पहले उग्रवादियों ने उनके घर पर धावा बोला, उन्होंने पहले विधायक की हत्या की और फिर उनके परिवार के सदस्यों को मारा। घटना के वक्त पूरे इलाके में भगदड़ मच गई। सभी अपनी-अपनी जाने बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे। घटना प्रदेश मुख्यमंत्री के अलावा मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा व गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कड़ी निंदा करते हुए दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया है। देश में चुनावी माहौल होने के चलते फिलहाल अभी तक कोई एक्शन नहीं लिया गया है। लेकिन नई सरकार की पहली प्राथमिकता नगा विद्रोहियों का सफाया करने की होगी। क्योंकि पूरी घटना पर केंद्र सरकार की नजर बनीं हुई है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अरूणाचल की घटना पर राज्य सुरक्षा एजेंसियों और गृहमंत्रालय से विस्तृत रिपोर्ट मागी है। संभवता: रिपोर्ट के आधार पर नगा आतंकवाद के खिलाफ दोबारा से कोई अभियान चलाया जाए। क्योंकि नगा और नक्सल दोनों आतंक इस वक्त हमारे लिए सिर-दर्द बने हुए हैं। दोनों ने अब अपने आतंक फैलाने के तरीकों में बदल किया है। ये अब आम लोगों को निशाना नहीं बनाते, बल्कि सुरक्षाकर्मियों और प्रतिष्ठित लोगों को मार रहे हैं। नक्सली अब ज्यादातर सेना के जवानों को ही निशाना बनाते हैं। हालांकि पिछले माह नक्सलियों ने भी बक्सर में एक विधायक को बम से उड़ाकर मारा था। कमोबेश, वैसी ही घटना नगाओं ने अरूणाचल में घटित की। जरूरत इस बात की है कि आगे इस तरह की घटनाएं न हो, इसके लिए कारगर नीति बनाई जाए।

ऐसी खूनी घटनाओं पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। घटना को लेकर कांग्रेस ने केंद्र सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। कांग्रेस ने मौजूदा घटना के लिए सत्ताधारी भाजपा पर आरोप गढ़ा है। कांग्रेस कहती है कि अगर केंद्र और राज्य में भाजपा की सरकार के दौरान जनप्रतिनिधियों की जान ही सुरक्षित नहीं है तो आम आदमी कैसे सुरक्षित रह सकते हंै। कांग्रेस ने पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। मुख्यमंत्री पेमा खांडू को अराजकता और उपद्रव के लिए सीेधे तौर पर जिम्मेदार माना हैं। लेकिन सवाल उठता है कि क्या कोई मुख्यमंत्री कभी चाहेगा कि उनकी पार्टी या विपक्षी पार्टी के जनप्रतिनिधि के साथ ऐसी घटना घटे। शायद कोई नहीं? बड़ी घटनाओं पर विपक्षी पार्टियों की इस तरह की सोच सौहाद्र को खंड़ित करने का काम करती है। जबकि ऐसे वक्त में सभी दलों को एकता दिखानी चाहिए। सर्वदलीय बैठक आयोजित करनी चाहिए, जिसमें मनन-मंथन किया जाना चाहिए। ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो सके। लेकिन कुछ दल और राजनेता गंदी राजनीति करने से बाज नहीं आते। उनके परिवार से कोई जाकर पूछे, जिन्होंने अपने को खोया है। मारे गए विधायक के घर मातम का माहौल पसरा हुआ है। इस दुख की घड़ी में सबको उनके परिवार के साथ होना चाहिए, न कि राजनीति करनी चाहिए।

-रमेश ठाकुर

 

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