वैज्ञानिक अनुसंधान: बहुत कुछ किए जाने की आवश्यकता

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हाल ही में वैज्ञानिकों ने देश के विभिन्न शहरों में मार्च फोर साइंस का आयोजन कर विज्ञान के लिए अधिक धन राशि के आवंटन की मांग की तथा अवैज्ञानिक और पुरातनपंथी विचारों तथा धार्मिक असहिष्णुता के प्रचार का विरोध किया।

इस अभियान में विभिन्न शैक्षणिक संस्थान भी शामिल हुए तथा यह अभियान मुख्यत: बैंग्लुरु, कोलकाता, दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद, रांची और तिरूवनंतपुरम में चलाया गया। वैज्ञानिकों की मांग थी कि विज्ञान के लिए धनराशि का आवंटन बढ़ाया जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि शिक्षा प्रणाली ऐसे विचारों का प्रचार-प्रसार करे जो वैज्ञानिक साक्ष्यों पर आधारित हो।

देश के वैज्ञानिकों में अनुसंधान के लिए धन राशि की कमी के बारे में आक्रोश है। हालांकि देश में वैज्ञानिक अनुसंधान में कुछ प्रगति हुई है, किंतु विकसित देशों की तुलना में हम बहुत पीछे हैं। अंतरिक्ष अनुसंधान के बारे में भारत ने अच्छी प्रगति की है और कुछ अन्य क्षेत्रों में भी भारत ने उल्लेखनीय उपलब्धियां प्राप्त की हैं। हाल के वर्षों में बुनियादी अनुसंधान की उपेक्षा की जाती रही है और अनुप्रयोग पर बल दिया जाता रहा है।

चालू वित वर्ष में आईआईटी के लिए 7171 करोड़ रूपए का आवंटन किया गया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 40 प्रतिशत अधिक है, किंतु भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थानों के लिए आवंटन 720 करोड़ रूपए से कम कर 600 करोड़ रूपए कर दिया गया है।

बुनियादी और अनुप्रयोगिक विज्ञान दोनों ही महत्वूपर्ण हैं और विशेष रूप से इसलिए जब सरकार प्रत्येक क्षेत्र में नवीकरण पर ध्यान केन्द्रित कर रही है। विज्ञान के क्षेत्र में बुनियादी अनुसंधान से विभिन्न क्षेत्रों के लिए बुनियादी अनुप्रयोग उपलब्ध होते हैं।

अंतरिक्ष, चिकित्सा या सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में हमारी उपलब्धियां उल्लेखनीय रही हैं। गणित का अनुप्रयोग, भौतिकी, जीवन विज्ञान, अन्य प्राकृतिक विज्ञानों और अर्थशास्त्र में भी होता है। इस संबंध में प्रधानमंत्री ने पिछले वर्ष जल, ऊर्जा, स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों को प्राथमिकता देने की बात कही थी इसलिए विज्ञान के क्षेत्र में अंतरिक्ष के अलावा इन क्षेत्रों पर भी ध्यान दिया जाएगा।

किंतु विश्वविद्यालयों के विज्ञान विभागों के पास पर्याप्त पैसा नहीं है। हालांकि गत वर्षों में नए आईआईटी और आईआईएसवीआर खोले गए हैं, जहां पर अनुसंधान को बढ़ावा दिया जाएगा। वित्तीय कठिनाइयों और तकनीकी तथा इंजीनियंरिग शिक्षा के विस्तार के कारण बुनियादी विज्ञान में अनुसंधान और विकास प्रभावित हुआ है। जबकि दूसरी ओर चीन ने अनुसंधान और विकास में निवेश पांच वर्ष में दोगुना कर दिया है।

बुनियादी अनुसंधान को बढ़ावा दिया जाना चाहिए और इसके लिए अधिक धन उपलब्ध कराया जाना चाहिए। इसके लिए देश के 30-35 विश्वविद्यालयों की पहचान की जानी चाहिए जहां पर विज्ञान में अनुसंधान पर बल दिया जाए और विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग इन विश्वविद्यालयों के विभागों को पर्याप्त धनराशि उपलब्ध कराए।

सरकार के अलावा निजी क्षेत्र को भी अनुसंधान और विकास में निवेश बढाना चाहिए। हमारे देश में निजी क्षेत्र ने अनुसंधान और विकास में बहुत कम निवेश किया है। यदि सरकार निजी क्षेत्र पर दबाव डाले और अनुसंधान और विकास के लिए रियायत दे तो स्थिति में बदलाव आ सकता है।

 

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