चैनलों पर परोसी जा रही अश्लील सामग्री

सवा सौ करोड़ लोगों को दे रहे धीमा जहर, हो रहा मानसिक शोषण

डॉ. आनंद कुमार
नई दिल्ली। विगत एक सप्ताह से देशभर के विभिन्न टीवी चैनल्स पर जिस तरह से डेरा सच्चा सौदा को टारगेट कर खबरों की आड़ में अश्लील सामग्री का धड़ल्ले से प्रसारण किया जा रहा है। टीआरपी की होड़ में मीडिया के लोग सवा सौ करोड़ लोगों का मानसिक शोषण करने के साथ-साथ भारतीय संस्कृति व मर्यादा को धूमिल कर रहे हैं। इस दशा में कोई भी परिवार के सदस्य एक साथ बैठकर चैनल्स नहीं देख पाने को विवश हैं। लेकिन विडम्बना है कि देश के हुक्मरान, भारतीय संस्कृति के संरक्षण का दावा करने वाले संगठन आखिर क्यों चुप्पी साधे हैं? यह एक त्रासदी ही कही जा सकती है कि विगत एक सप्ताह से डेरा सच्चा सौदा पर खबरों को लेकर हमलावर मीडिया का रुख बड़ा ही सोचनीय रहा है।

जिस रुप से मीडिया ने इस मामले को उठाया, उसे जनता को परोसा, वह एक बड़ा भयावह व पेचीदा प्रश्न खड़ा करता है। चैनल्स इस मामले को एक अश्लील फिल्मों की तरह प्रदर्शित करता रहा है, जो संभवत: सवा सौ करोड़ पब्लिक की मानसिकता को विकृत करने का घिनौना साजिश है। लगता यह है कि भारतीय संस्कृति को मीडिया के जरिए विकृत करने में विदेशी ताकतों का भी हाथ है।

विदेशों से नियंत्रित होने वाले मीडिया के साथ- साथ भारतीय मीडिया भी उनकी पिछलग्गू बनी हुई है। तभी तो इस मामले को पेश करने के लिए जिन शब्दों और वाक्यों को बरीकी से तोड़ा-मरोड़ा जा रहा है, वह बेहद अशोभनीय कहे जा सकते हैं, जो मानसिक शोषण एवं मानसिक विकृति की श्रेणी में आते हैं। वर्तमान में देश का हाल यह है कि सप्ताहभर से चल रहे इस घटनाक्रम में टीवी चैनलों पर जब भी डेरा से संबंधित खबरें आती हैं,तो घरों में एक के साथ बैठे परिजनों को चैनल बदलना पड़ता है या फिर टीवी को बंद करना पड़ता है।

ऐसे में सवाल उठता है कि आए दिन भारतीय संस्कृति व मानवाधिकारों की दुहाई देने वाले संगठन व लोग कहां गये? सवाल उठता है कि आज चैनल्स द्वारा मानकों व मार्यादाओं को दरकिनार कर, परोसी जा रही अशोभनीय सामग्री को सेंसर क्यों नहीं किया जा रहा है? ्आध्यात्मिक गुरुओं से लेकर, राजनेताओं, बुद्धिजीवियों ने मीडिया की करतूतों पर जो चुप्पी साधी हुई है, वह भी इंगित करती है कि देश की करोड़ों जनता को संस्कार विहीनता का धीमा जहर परोसा जाता रहेगा।

इससे क्या हम भावी पीढ़ियों के चरित्र निर्माण का सपना पूरा कर सकेंगे? व्यवस्था को पंगु बनाती मीडिया आज समाज का चारित्रिक हृास करने पर आमदा है। लगता है मीडिया अपनी असभ्य व अश्लील प्रसारण व्यवस्था से समाज का सामूहिक रूप से मानसिकता को विकृत करने का काम रह रहा है। जिसको जागरूक लोगों, संगठनों, कानून विशेषज्ञों को संज्ञान लेना चाहिए।

Hindi News से जुडे अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter पर फॉलो करें।