जिंदगी बचाने में नंबर वन है ‘ट्रयू ब्लड पंप’

Blood Donation, Dera Sacha Sauda, Genius World Record

रक्तदान में डेरा सच्चा सौदा के नाम हैं चार गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड

सरसा (सच कहूँ न्यूज)। वे नहीं जानते अपनी रगों में बहता जो खून वह दान कर रहे हैं, आने वाले कल को वह किसकी रगों में बहेगा। अपना होगा या बेगाना या देशी-परदेशी। उन्हें इससे कोई लेना-देना भी नहीं। बस लेना-देना है तो सिर्फ इस बात से कि जिसके लिए वे रक्तदान कर रहे हैं, वह जिंदगी पहले की ही भांति सही सलामत व सेहतमंद हो जाए।

हम बात कर रहे हैं सर्वधर्म संगम डेरा सच्चा सौदा के चलते-फिरते उन करोड़ों ट्रयू ब्लड पंपों की जो पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पावन प्रेरणाओं पर चलते हुए भारतवर्ष व दुनिया के कोने-कोने में वर्षों से नियमित रक्तदान कर बीमारों व जरूरतमंदों को जीवनदान देते आ रहे हैं। इन चलते-फिरते ब्लड पंपों ने अब तक दुनियाभर में अपने खून से लाखों जरूरतमंदों व बीमारों के जीवन की तकदीर लिखी है।

डेरा सच्चा सौदा दुनिया को नियमित रक्तदान के प्रति वर्षों से जागरूक करता आ रहा है। समय-समय पर भारतीय सेना के साथ-साथ पत्रकारों, पुलिस कर्मियों, थैलेसीमिया व एड्स रोगियों के अलावा देश और दुनियाभर में जरूरतमंद लोगों को रक्त की आपूर्ति करने में विश्वविख्यात डेरा सच्चा सौदा द्वारा अब तक 5 लाख के करीब यूनिट रक्तदान किया जा चुका है। डेरा सच्चा सौदा के नाम 78 गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्डों में से चार गिनिज वर्ल्ड रिकार्ड रक्तदान के क्षेत्र में हैं। इसके अलावा साध-संगत अपने ब्लॉकों व गांवों में जो रक्तदान करती है, वो इस आंकड़े से अलग है।

  •  दुर्घटना में चोट लगने पर रक्तस्राव की कमी को दूर करने में
  •  आॅपरेशन के दौरान हुए रक्तस्राव की कमी को पूरा करने में
  •  थैलेसीमिया के मरीजों के लिए
  •  खून से संबंधित विकृति जैसे हेमोफीलिया से पीड़ित लोगों की जिंदगी बचाने में
  •  जले हुए मरीजों की जिंदगी बचाने में।
  •  किडनी, कैंसर और एनीमिया से पीड़ित मरीजों के शरीर में हेमोग्लोबिन के सही स्तर को बरकरार रखने में।

खुशी हो या गम, खाते हैं नियमित रक्तदान की कसम

शादी वाले दिन रक्तदान, कोई अपना इस दुनिया से चला चला जाए तो रक्तदान। शादी की सालगिरह हो या हो या जन्मदिन। मानवता के ये सच्चे प्रहरी इन अवसरों पर तो रक्तदान करते ही हैं साथ ही कोई नियमित रक्तदान का प्रण लेता है तो कोई जीते जी गुर्दादान व मरणोपरांत नेत्रदान व शरीरदान का।

अगर आप 18 की उम्र से ब्लड डोनेशन शुरू करते हैं और हर 90 दिन में रक्तदान करते हैं तो 60 साल के होने तक आप रक्तदान कर सकते हैं।

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