दो बार ओलावृष्टि से कराह उठा का किसान

Hailstorm

फर्रूखनगर(सच कहूँ न्यूज)। सात फरवरी को हुई ओलावृष्टि को किसान अभी भूले नहीं थे कि अब 14 फरवरी को एक बार फिर से ओलावृष्टि की मार उन्हें झेलनी पड़ी। एक सप्ताह में दो बार बरसात के साथ हुई ओलावृष्टि ने क्षेत्र के किसानों की कमर तोड़ दी है। अपनी बर्बाद हुई फसल की दुर्दशा को देखकर किसानों के चेहरे मुरझा गये है। उन्हें चिंता सता रही है कि कैसे कर्ज उतरेगा। वहीं प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत कृषि विभाग व बीमा कम्पनी को सूचनार्थ भरे जाने वाले प्रारुप फार्म को जमा करवाने के लिए किसान अधिकारियों के कार्यालयों के चक्कर काटने पर मजबूर हो रहे है।

किसानों की माने तो सरसों की फसल ओलावृष्टि से बुरी तरह तबाह हो गई है। 50 से 80 प्रतिशत नुकसान का अनुमान लगाया जा रहा है। अधिकांश किसानों की सरसों की फसल पककर कटने के लिए तैयार खड़ी थी। ओलावृष्टी के कारण सरसों की फलियां झड़ गई और सूखने के बाद दाने खेतों में ही बिखर गये हैं। वहीं गेंहू व जौ की फसल के अलावा मौसमी सब्जियों में भी भारी नुकसान है।

किसान बोले, फसली ऋण उतारना होगा मुश्किल

क्षेत्र के किसान धर्मपाल हाजीपुरिया, सतपाल सिंह, पवन कुमार खैंटावास, अजीत सिंह मौहम्मदपुर, औमप्रकाश ताजनगर, वीर बहादुर नम्बरदार ताजनगर, सतबीर पातली आदि किसानों का कहना है कि सात फरवरी के बाद 14 फरवरी की सुबह क्षेत्र के हाजीपुर, पातली, खैंटावास, फर्रूखनगर, फाजिलपुर बादली, ताजनगर, जोनियावास, जाटौला, खंडेवला, सुल्तानपुर, सैहदपुर, मौहम्मदपुर, खैंटावास, धानावास, मुबारिकपुर, खेड़ा झांझरौला आदि गांवों में डबल ओलावृष्टि से किसानों की सरसों की फसल बर्बाद हो गई है। किसानों से कहा कि उनकी कमर टूट चुकी है और फसली ऋण उतारने भी उनके लिए मुश्किल होगा। उन्होंने सरकार से आर्थिक सहायता देने की मांग की है।

किसानों की बढ़ी चिंता

रोहतक(सच कहूँ न्यूज)। शहर व आसपास के क्षेत्र में वीरवार सुबह हुई बारिश व ओलावृष्टि से मौसम का जहां मिजाज बदला, वहीं किसानों के चेहरे पर भी चिंता की लकीरे बढ़ गई है। मौसम वैज्ञानिको की माने तो अभी और बारिश की संभावना व्यक्त की जा रही है। सुबह से ही बारिश रुक रुक कर हो रही है व कई कई जगहों पर ओलावृष्टि भी हुई है, जिससे तापमान में गिरावट आई है। किसान कुलदीप, बसंत, रामचन्द्र व जगबीर का कहना है कि इस समय जो बारिश हो रही है, वह गेहूं की खेती के लिए नुकसानदायक है, क्योकि जिन फसलो में पहले ही पानी दिया जा चुका है अब वह फसल बारिश के कारण पीली पड़नी शुरू हो गई है।

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