जर्मनेटर चैम्बर में महज 2 दिन में अंकुरित हो जाता है बेल वाली सब्जी का बीज

Germanator-Chamber

 किसानों को फायदे की खेती करने का मार्ग दिखा रहे ‘हरबीर सिंह’

(Germinator Chamber)

  •  प्रगतिशील किसान ने इस सीजन में जर्मनेटर चैम्बर में उगाए 13 लाख पौधे
  •  7 से ज्यादा राज्यों और विदेशों में भी पहुंचती है कुरुक्षेत्र से सब्जियों की पौध

सच कहूँ/देवीलाल बारना कुरुक्षेत्र। प्रगतिशील किसान हरबीर सिंह ने खुद की तकनीकी से कम लागत पर एक जर्मनेटर चैम्बर तैयार किया है। इस चैम्बर में सब्जियों के बीज महज दो या तीन दिन में ही अंकुरित हो जाते है। हालांकि ठंड के कारण बेल की सब्जी के बीजों को अंकुरित होने में 20 से 30 दिन का समय लग जाता है। इस जर्मनेटर चैम्बर से इस सीजन में करीब 13 लाख पौधे तैयार किए हैं। इन पौधों को हरियाणा ही नहीं आसपास के 7 राज्यों और इटली तक निर्यात किया गया है। प्रगतिशील किसान हरबीर सिंह की यह नर्सरी किसानों को सबक दे रही है कि खेती घाटे का सौदा नहीं अगर समझदारी से खेती की जाए तो अधिक से अधिक मुनाफा लिया जा सकता है।

अहम पहलू यह है कि हरबीर सिंह की इस नर्सरी ने अब देश-विदेश में एक प्रशिक्षण केन्द्र के रुप में भी अपनी पहचान बना ली है। शाहबाद-बराड़ा रोड़ गांव डाडलू में वर्ष 2004 में दो कनाल से सब्जी की नर्सरी शुरु करने वाले प्रगतिशील किसान हरबीर सिंह को आज देश-विदेश में एक विशेष शख्सीयत के रुप में जाना जाता है।

इस प्रगतिशील किसान ने वर्ष 2004 में जब खेती को घाटे का सौदा समझा, तब इस किसान ने अपने मन में ठानी की खेती को फायदे की तरफ लेकर जाना है और इसकी शुरुआत दो कनाल भूमि से सब्जियों की नर्सरी से शुरु की। अब 2021 के आते-आते इस किसान ने देश और दुनिया को आईना दिखाने का काम किया कि खेती को अगर समझदारी और मेहनत के साथ किया जाए तो इससे फायदे का व्यवसाय ओर कोई नहीं है। इस लग्न और मेहनत के चलते प्रगतिशील किसान अब 16 एकड़ भूमि पर विभिन्न सब्जियों की नर्सरी को चला रहे हंै।

कुछ नया करने की ललक मेें इजाद की नई तकनीक

अभी हाल में ही प्रगतिशील किसान हरबीर सिंह ने कु छ नया करने की ललक में एक नई तकनीक इजाद की और इस नई तकनीकी से जर्मनेटर चैम्बर तैयार किया। इस जर्मनेटर चैम्बर को तैयार करने में एक सस्ती और विशेष तरह की प्लास्टिक शीट का प्रयोग किया गया। इस प्लास्टिक शीट का काला भाग सूर्य की रोशनी की तरफ किया गया और फिर 4 र्इंच का गैप देकर अंदर की तरफ सिल्वर रंग की शीट लगाई गई। इससे सूर्य की किरणों से जो गर्मी चादर ने ग्रहण की और अंदर की तरफ लगी सिल्वर शीट चैम्बर में एक विशेष तापमान तैयार किया।

इससे करीब 40 डिग्री से ज्यादा तापमान तैयार हुआ, इस तापमान में प्रो-ट्रे में बेलों वाली और अन्य सब्जियों के बीज रखे और बीजों से दो से तीन दिन में पौधे तैयार किए गए। उन्होंने बताया कि जर्मनेटर चैम्बर में पौधे अंकुरित होने के बाद ग्रीन चैम्बर में शिफ्ट किया गया। इस प्रकार 13 लाख पौधे तैयार किए गए। इन पौधों को हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, उतराखंड, उतर प्रदेश, राजस्थान, हिमाचल, बिहार के साथ-साथ इटली जैसे देशों में किसानों को निर्यात किया गया है।

इस तकनीक से तैयार पौध में नहीं लगती कोई बीमारी

इस चैम्बर में बेल वाली सब्जियों के साथ-साथ ब्रोकली, आईसबर्ग, लैटस, चाईनीज कैबेज, कलर कोलिफ्लावर, लीक, चैरी टमाटर, कलर कैप्सीकम सब्जियों की पौध तैयार की गई है। प्रगतिशील किसान हरबीर सिंह को पानी बचाने के साथ-साथ अच्छी गुणवता की सब्जियों की पौध तैयार करने पर कई प्रकार के पुरस्कारों से भी सम्मानित किया जा चुका है। हरबीर सिंह अपनी पौध के लिए खुद ही जैविक खाद तैयार करते है और खुद की ही तकनीकी को अपना रहे है। इस तकनीकी से ऐसी पौध तैयार करते है, जिसको कोई भी कीड़ा या बीमारी नहीं लगती है, इसका दावा प्रगतिशील किसान ने देश के जानेमाने वैज्ञानिकों के सामने भी किया है। इसलिए देश-विदेश के साथ-साथ कृषि विश्वविद्यालयों और कृषि विज्ञान केन्द्रों के शोधार्थी और वैज्ञानिक भी इस तकनीकी का अवलोकन करने और प्रशिक्षण ग्रहण करने के लिए पहुंचते है।

किसानों को करनी चाहिए कान्ट्रैक्ट फार्मिंग

प्रगतिशील किसान हरबीर सिंह ने कहा कि किसानों को फसल विविधिकरण को अपनाना चाहिए और सब्जियों को बदल-बदलकर ओर हर प्रकार की सब्जी लगानी चाहिए। किसानों को अच्छी फसल के लिए सर्टीफाईड नर्सरियों से ही सब्जियों की पौध लेनी चाहिए। उन्होंने किसानों को सलाह दी है कि कान्ट्रैक्ट फार्मिंग सबसे अच्छा मार्ग है। खेती घाटे का सौदा नहीं अपितु फायदे का सौदा है, इसके लिए सिर्फ किसान को सूझ-बूझ से काम करना होगा।

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