दृढ़ यकीन से ही मिलेंगी खुशियां : पूज्य गुरु जी

Firm faith brings happiness Pujya Guru Ji
सरसा। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि राम का नाम इन्सान अगर हर समय याद रखे और सुबह शाम कम से कम आधा घंटा अपने आप को राम के नाम से जोड़कर रखे, तो आने वाली मुसीबतें, आने वाले भयानक कर्म पहाड़ से कंकर में जरूर बदल जाया करते हैं। पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि भावना शुद्ध होनी चाहिए, इरादे बुलंद होने चाहिएं, तभी राम का नाम जपा जा सकता है लेकिन राम नाम में अगर इन्सान को पंद्रह मिनट भी बैठना पड़ जाए तो यूं लगता है कि पता नहीं कितना वक्त हो गया। इसकी वजह है समय, ये जो समय है, यह कलियुग है, यहां बुराई का बोलबाला है, बुरे कर्म इन्सान करता है, गलत बोलता है, गलत सोचता है। मन हमेशा इन्सान को बुरे विचार देता रहता है, बुरी सोच देता रहता है। मन काबू तभी आएगा जब आप राम नाम से जुड़ जाएंगे।
पूज्य गुरु जी फरमाते हैंकि मन है क्या? इन्सान के अंदर दो तरह की बातें चलती हैं नैगेटिव और पॉजीटिव। नैगेटिव बुरी सोच या यूं कहें नाकारात्मक सोच। तो वो बात जो हमेशा सोचता है कि मैं यह काम करूं होगा तो नहीं, मैं यह सफर करूं तो थक जाऊंगा, मैं यह पढ़ने लगूं तो भूल जाऊंगा तो यह सब है मन की सोच। बुरा कर्म कर तो मन खुश कि अगर तू एक बदल जाएगा तो क्या सारी दुनिया बदल जाएगी। इसलिए तू भी बुरे कर्म करने में लगा रह, ये है मन की सोच और मन ऐसा जालिम है कि इन्सान को नरकों में गिराता ही है।
आप जी ने फरमाया कि इन्सान का मन हमेशा हावी रहता है जब तक इन्सान सुमिरन नहीं करता। इन्सान सेवा करे, सुमिरन करे तभी दृढ़ यकीन आता है और दृढ़ यकीन नहीं तो न दसवां द्वार खुलता है न ही रूहानी नजारे मिलते हैं, इसलिए दृढ़ यकीन होना बेहद जरूरी है। जिस डॉक्टर से आप ईलाज करवा रहे हो तो कम से कम इतना यकीन हो कि वह डॉक्टर स्पेशलिस्ट है, मुझे अच्छी दवाई जरूर देगा। अगर आप इतना यकीन भी कर लेते हैं तो यह काफी है। उसी तरह गुरू, पीर-फकीर है, अगर आप उस पर दृढ़ यकीन रखते हो। वो क्या कहता है उसे सुनो, वो कहता है इन्सानियत की सेवा करो, आप की खुशी में उसकी खुशी है, आप जो चाहते हो उसके लिए गुरू मालिक से दुआ करता है, आप के लिए मालिक से मांगता रहता है।

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