आ गए सच्चे दाता रहबर स्टेज पर, कर लो दर्शन

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बरनावा। सच्चे, रूहानी रहबर पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने शाह सतनाम जी आश्रम, बरनावा (यूपी) से अपने पावन वचनों की वर्षा की। पूज्य गुरु जी ने करोड़ों साध-संगत को दर्शन दिए। अपने सोहने सतगुरू जी का दर्श-दीदार कर साध-संगत अपने-अपने ढंग से खुशी का इजहार करती है। पूज्य गुरु जी के वचनों को सुनने के लिए इस पर क्लिक करें।

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 पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि आज का दौर, आज का समय बड़ा ही भयानक है। स्वार्थीपन, गर्जीपन बढ़ता ही जा रहा है। अहंकार में इन्सान अंधा होता जा रहा है। स्वार्थ के बिना कोई किसी से बात करना भी पसंद नहीं करता। ग़र्ज के बिना इन्सान दोस्ती, मित्रता भी नहीं जोड़ता। वैसे तो कोई भी रिश्ता ऐसा नहीं जिसमें ग़र्ज ना छुपी हो। कहीं न कहीं, कोई न कोई ग़र्ज होती है। बेग़र्ज निस्वार्थ सेवा भावना तो वो ही लोग करते हैं जो ओउम, हरि, ईश्वर, मालिक, राम को मानते हैं। भगवान का नाम लेते हैं, परमात्मा को याद करते हैं, उन्हीं के अन्दर भावना आती है कि निस्वार्थ भावना से समाज का भला किया जाए। आज समय ऐसी करवट बदलता जा रहा है, पानी की बात करें तो पानी कम होता जा रहा है। बिजली, जिसके सुख-सुविधा में इन्सान पड़ा है, वो कोयले खत्म होने की कगार पर जा रहे हैं। और यहां तक कि एक सार्इंटिस्ट से बात हुई, पेट्रोल-डीजल ये भी खत्म होने की तरफ बढ़ रहे हैं। जरा सोचकर देखिए, अगर ये चीजें खत्म हो जाती हैं तो क्या होगा?

आज जिस सुख-सुविधा में इन्सान जी रहा है, क्या वो इन सुख-सुविधा के बिना रह पाएगा? अगर नहीं, तो इन सुख-सुविधाओं को बनाए रखने के लिए आप कितना प्रयास कर रहे हैं? क्या जब सुबह उठते हैं, आप ब्रश करते हैं, टूंटी खुली छोड़ देते हैं, कभी ध्यान दिया कि मैं कितना पानी बर्बाद कर रहा हूँ? क्यों नहीं एक गिलास भरकर वहां रख लेते, ताकि उससे आराम से ब्रश किया जाए। नहीं कोई ध्यान नहीं है। डॉक्टर बोलते हैं कि 70 से 90 पर्सेंट तक हमारे शरीर में पानी है और पानी के बिना ये रह नहीं पाएगी बहुत लम्बे समय तक। तो पानी को आप बर्बाद कर रहे हैं। आपको लगता है छोटी सी बात है, टूंटी खुली छोड़ दी क्या खास बात है? जी नहीं, बहुत बड़ी बात है, क्योंकि आम कहावत है कि बूंद-बूंद से तालाब भर जाता है। और आपने तो पूरी टूंटी छोड़ रखी है। इसी तरह आप और निगाह मारेंगे, पानी के स्रोत, पानी कितना दुरुपयोग हो रहा है, ये सोचने की बात है।

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आमतौर पर ये सुना हमने जब होली आती है तो बड़ा शोर मचता है कि भई पानी की बर्बादी ना करो। पर कभी ध्यान दिया है कि शराब बनाने में कितना पानी प्रयोग हो रहा है? चमड़ा, जिससे जूते, बैग वगैरह बनाते हो, उसको धोने में, उसको साफ करने में कितना पानी बर्बाद हो रहा है? और भी कई फैक्टरियों में पानी बर्बाद होता है। तो कभी उस तरफ किसी का ध्यान गया? जाना चाहिए, सिर्फ एक हमारा त्यौहार है होली, हम नहीं कहते कि उसमें पानी बर्बाद करो, पर अगर थोड़ा सा पानी उसमें आप प्रयोग में लाएं तो त्यौहार भी मन जाए और पानी की बर्बादी भी ना हो। पर शोर उसी दिन क्यों मचता है? आम दिनों में क्यों नहंी बात उठती? कि भई शराब से इतना पानी बर्बाद हो रहा है, चमड़ा धोने में इतना पानी बर्बाद हो रहा है, फैक्टरियों में इतना पानी बर्बाद हो रहा है। कोई उठता है इस बारे में सोचता है। हर इन्सान को सोचना चाहिए, तभी तो समाज और देश का भला होगा।

अगर हर इन्सान समाज में से उठेगा, जागेगा तभी देश का भला होना है और तभी देश के जो राजा हैं वो आपका साथ दे पाएंगे। वो कितना भी कुछ करते फिरें, अगर आप साथ नहीं देते तो कैसे, पानी की बर्बादी हो गई, जनसंख्या का विस्फोट हो गया, या यूं कह लीजिये बिजली की बर्बादी हो गई, ये तो आपके हाथ में है ना जी, कमरे से निकलते हैं बल्ब जल रहे हैं, एसी चलता छोड़ गए, कि आऊंगा तो कमरा बिल्कुल ठंडा मिलना चाहिए। पंखा चलता छोड़ गए, आपको लगता है कि छोटी सी चीज है, जी नहीं, ये बहुत बड़ी बर्बादी कर रहे हैं आप। क्या हर्ज कि अगर आप बंद करके जाएं कमरे की सारी लाइटें। जब आपने 12 घंटे, 8 घंटे बाहर रहना। आफ दफ्तर जा रहे हैं, आप खेत में जा रहे हैं, कॉलेज में जा रहे हैं, कहीं भी जा रहे हैं तो उस समय आपके घर में कोई नहीं है, आपके कमरे में कोई नहीं है, कम से कम उसकी लाइटें, पंखे, एसी जो भी आप चलाते हैं, वो तो बंद होने चाहिए। कौन इस तरफ ध्यान देता है। कौन माथापच्ची करे।

और कल को ये सामान ना मिला तो, तो फिर दोष दोगे, क्या है हमारे लिए इंतजाम नहीं करते, ये है, वो है, फलां है। बर्बादी अपने खुद कर रहा है समाज, तो जरूरत है समाज को जागने की। आप पानी की बर्बादी रोकें। बहुत सारी बर्बादी हो रही है। कपड़े धोते समय, और यहां तक आप अपना कमरा धो रहे हैं। सारे एक जैसे नहीं होते, पर ऐसे भी लोग होते हैं उनकी चर्चा कर रहे हैं। तो जो थोड़े से पानी से नहाया जा सकता है तो इतना पानी बर्बाद क्यों करते हैं? पहले फ्लश आती थी, टायलेट सीट के साथ लगा करती थी, अब तो पता नहीं, कि उसके दो बटन से होते थे कि वॉशरूम या पेशाब वगैरहा गए हैं तो ऊपर का दबा दो और अगर आप टॉयलेट वगैरहा गए हैं तो वो नीचे का, ताकि पानी कम बर्बाद हो। तो बहुत जगहों पर हमने देखा है कि सिर्फ एक ही बटन होता है, जिससे पानी फुल फ्लैश होता है। तो थोड़ी-थोड़ी सोच से आने वाले समय में इन जरूरत की चीजों को बचाया जा सकता है। पर ये सोझी कैसे आए? कोई कहे तो कोई मानता नहीं, तो ये सोझी आती है राम के नाम से। प्रभु की भक्ति से। पीर-फकीर तो कहते हैं, जैसे कोई भी आवाज देता है, सेवादार है, चौकीदार है, संत तो उसी तरह होते हैं, तो हम तो भाई चौकीदार की तरह आपको आवाज दे रहे हैं, जाग जाओ वरना आने वाले समय में आपको मुश्किलात का सामना करना पड़ेगा।

पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि अब एक ही घर से तीन-तीन गाड़ियां निकलती हैं। एक आदमी एक गाड़ी लेकर निकलता है। और अगर ड्रॉप करते जाएं आप या यार-दोस्त एक ही दफ्तर में जाते हैं आप, तो चार-पाँच दोस्त हैं, तो आज तू ले आना, आज तू लेना ऐसे एक ही गाड़ी से काम चल सकता है। लेकिन ना, ना, इगो हर्ट होती है, बुरा लगता है, अपनी-अपनी गाड़ी लेकर चलेंगे तो कितना डीजल-पेट्रोल का खात्मा आप कर रहे हैं और कितना पोल्यूशन हो रहा है। काश ऐसा कोई सोच ले। कौन सोचे? हमें सोचना होगा, सारे समाज को सोचना होगा, कि हाँ, इस तरह से किया जा सकता है। हमें तो जैसा राम जी ख्याल देते हैं, आइडिया देते हैं हम तो आपको बता देते हैं, सेवादार हैं आपके, सेवा करना हमारा काम है। तो कितना आसान हो जाए, कि भई हाँ, चार-पाँच दोस्त जा रहे हैं, एक ही दफ्तर में, कि भई आज तेरी गाड़ी पर चलेंगे, कल तेरी पर, तो पाँच गाड़ियों की जगह एक गाड़ी जाएगी।

आप पहल तो करो, क्या पता समाज के और लोग भी आपकी देखा देखी शुरू हो जाएं। तो प्रदूषण के जहर से भी बचा जाएगा और बचाव भी, डीजल-पेट्रोल आपका बचेगा, खर्चा भी बचेगा। पर सोचना नहीं, विचारना नहीं, झुकना नहीं, ये झुकना नहीं होता समझदारी कहते हैं इसको, पर अगर आप करो तो। बताना तो हमारा काम होता है जी। फकीरों का काम तो समाज के भले के लिए चर्चा करना होता है। तो राम का नाम आप अगर लेंगे, ओउम, हरि, अल्लाह, वाहेगुरु, गॉड, ख़ुदा, रब्ब से जुड़ेंगे तो आपके अंदर विल पावर (आत्मबल) आएगा, जो आपकी इगो, अहंकार को मारेगा, तभी आप ऐसी चीजों में साथ दे सकते हैं, वरना आदमी की इगो तो घर में काबू नहीं आती, बाहर की बात तो छोड़ो आप।

पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि दो भाई हैं, चार भाई हैं, आपस में आप देख लो कितनेक परिवार हमारे संयुक्त रहते हैं, एक साथ रहते हैं। पहले संयुक्त परिवार होते थे। बड़े-बड़े परिवार होते थे। आज आप देख लो सगे भाई भी झट से अलग हो जाते हैं। अब काका, ताऊ वो तो एक अलग बात हो गई। तो इन सबका कारण है आदमी की सोच में परिवर्तन। इन सबका कारण है खान-पान, रहन-सहन, देखना-बोलना ज्यादातर जहर होता जा रहा है। झूठ का बोलबाला होता जा रहा है। तो राम के नाम से, प्रभु के नाम से आपके अंदर आत्मबल आएगा, संयम आएगा, शांति आएगी और उसी से ही आप अपने विचारों को, अपनी आदतों को कंट्रोल कर पाओगे और तभी आप अपना भी बचाव करोगे, समाज का, देश का भी भला कर पाओगे। तो सुमिरन किया करो, राम के नाम से जुड़ा करो, नशे भी दूर होंगे, बुराइयां भी दूर होंगी और आपकी गंदी आदतें भी आपसे छुटती चली जाएंगी।

पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि राम-नाम पर कोई पैसा नहीं लगता। भगवान का नाम बिना दाम के मिलता है। प्रभु का नाम बिना दाम के मिलता है। अनमोल है राम का नाम। अनमोल नाम बिन मोल मिले संतों के दरबार में, पीर-फकीर, हमारे जितने भी संत-महात्मा, महापुरुष हैं या पहले ऋषि-मुनि, संत, गुरु, महापुरुष हुए हैं उन्होंने मालिक का नाम बताया पर बदले में मोल नहीं लिया, क्योंकि अनमोल है प्रभु का नाम। उसका मोल तो चुकाया ही नहीं जा सकता।

संतों को उनके गुरु, भगवान ख्याल देते हैं, फिर वो ये सेवा करते हैं और अनमोल नाम को बिना मोल के, अनमोल गुरुमंत्र को बिना मोल के देते हैं ताकि हर जन इससे फायदा ले सके, अच्छी सोच आए, तभी ये समाज में हो रही बर्बादियों को आप रोक पाएंगे, इनके प्रति सचेत हो पाएंगे और देश और संसार का भला होगा और देश की तरक्की लाजमी होगी। और तभी तो जो भी योजनाएं आपके लिए बनाई जाएंगी राजा-महाराजा, जो भी बनाएंगे, उसका फायदा भी आप ले पाएंगे। लेकिन अगर आप बर्बादी पर तुले हैं तो चाहे कोई भी योजनाएं, कितनी भी बन जाएं, यकीन मानो कोई फायदा नहीं। आप ले ही नहीं पाएंगे फायदा, क्योंकि आप तो बर्बादी पर तुले हैं। तो इसलिए पहले संयम। आत्मबल को पैदा कीजिये, राम-नाम के द्वारा, जैसे ही राम-नाम से आत्मबल जागेगा, आत्मा में शक्ति आएगी, दिमाग में शांति आएगी, तभी आप समाज का और देश का भला कर पाएंगे और अपना भी भला होगा, परिवार का भी भला होगा।

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