एक समान रोजगार की हो व्यवस्था

Retirement Age, Employment

सरकारी नौकरियों के बढ़ते वेतनमान के चलते युवाओं में सरकारी नौकरी के प्रति आकर्षण तेजी से बढ़ता जा रहा है। इसको देखते हुए सरकारों ने लगातार सरकारी नौकरियों में परीक्षा शुल्क को बढ़ा दिया है। सरकारी नौकरियों में बढ़ते परीक्षा शुल्क का मुख्य कारण सरकारी नौकरियों का बढ़ता आकर्षण होता है। इसको समझने के लिए एक बार उत्तर प्रदेश सचिवालय में चपरासी भर्ती के लिए आए आवेदन पत्रों को याद करना चाहिए। 368 चपरासी के पदों की भर्ती के लिए तब 23 लाख लोगों ने आवेदन किया। चपरासी की भर्ती के लिए योग्यता 5वीं पास रखी गई। जिन लोगों ने आवेदन किया उनमें से 2 लाख से ज्यादा स्नातक और स्नातकोत्तर थे। 255 लोगों ने पीएचडी कर रखी थी। 20 लाख लोग कक्षा 12वीं पास थे। केवल 53 हजार लोग ऐसे थे जो 5वीं कक्षा तक ही पढ़े थे।

पटियाला में चपरासी के 11 पदों के लिए हजारों युवा परीक्षा देने के लिए पहुंचे। एक पद के लिए करीब छह हजार 250 लोगों ने आवेदन किया। चपरासी की नौकरी करने के लिए पहले कोई आवेदन नहीं करता था। अब चपरासी की नौकरी के लिए भी लोग तैयार हैं। सरकारी नौकरी को पाने के लिए लोग केवल महंगी परीक्षा फीस ही देने को तैयार नहीं होते बल्कि वे रिश्वत भी देने को तैयार रहते हैं। सरकारी नौकरियों की भर्ती में होने वाली गड़बड़ियों की मुख्य वजह रिश्वत ही होती है। लेखपाल की नौकरी के लिए 6 से 9 लाख रूपए की रिश्वत लोग देने को तैयार हो जाते हैं। इसी तरह दारोगा भर्ती में 10 से 15 लाख रूपए तक रिश्वत की मांग पहुंच जाती है। रिश्वत के इस पैसे को जुटाने के लिए लोग घर की जमीन, खेत और गहने तक बेचने से पीछे नहीं हटते। चपरासी और लेखपाल की भर्ती के बाद जितना वेतन सरकार से मिलता है उसके मुकाबले रिश्वत की रकम बहुत ज्यादा होती है। इसके बाद भी लोग तैयार रहते हैं। कितने लोग तो रिश्वत बिचौलियों को देकर फंस जाते हैं।

ऐसे बहुत से मामले प्रकाश में आते हैं जिनमें लोग शिकायत दर्ज कराते हैं कि सरकारी नौकरी के लिए उनके साथ ठगी की गई। सरकारी नौकरी के आकर्षण की मूल वजह ज्यादा वेतन और कम काम है। इसके अलावा रिश्वत पाने की संभावनाएं बहुत रहती हैं। सरकारी नौकरी के लिए परीक्षा फीस लेने वाले तर्क देते हैं कि परीक्षाओं का आयोजन कराने में खर्च होता है, इसके लिए फीस ली जाती है। उनकी इस बात में दम हो सकता है। जब खर्च से अधिक फीस ली जाए तो महंगी परीक्षा फीस पर सवाल उठने लगते हैं। जरूरत इस बात की है कि परीक्षा की ऐसी व्यवस्था हो जिसके आयोजन में कम से कम फीस ली जाए। कोशिश हो कि छात्र को अपने शहर में ही परीक्षा देने का मौका मिले। उसे दूसरे शहर न जाना पड़े। इससे सरकार और परीक्षा इंतजाम करने वाली संस्थाओं का मुनाफा खत्म हो सकता है। देश में बेरोजगारों की दिनोंदिन बढ़ती समस्या को देखते हुए ऐसे प्रबंध करने जरूरी हो गए हैं।

परीक्षा में नया सिस्टम बनाना होगा जिसमें गड़बड़ी की संभावनाएं कम हों। परीक्षा देने में सरलता हो। प्राइवेट क्षेत्र के रोजगार में लोगों को सुविधाएं नहीं मिलतीं। वहां भी वेतन और तरक्की को लेकर चाटुकारिता और जीहुजूरी चलने लगी है। ऐसे में लोग प्राइवेट जॉब की जगह किसी भी तरह से सरकारी जॉब पाने के लिए भागते रहते हैं। देश के सरकारी क्षेत्र से भ्रष्टाचार खत्म कर काम के अनुसार वेतन की नीति लागू हो। निजी क्षेत्र में कर्मचारियों के शोषण पर लगाम लगे तब यहां देश में समानता आएगी वहीं लोग सरकारी नौकरी का मोह त्याग वक्त रहते अपना रोजगार शुरू करने लगेंगे।

 

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