क्या समुद्र से आ रहे हैं एलियंस, जानें, वैज्ञानिकों की जुबानी

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‘एलियन हंटर्स’ ने अमेरिका पर लगाए सबूत मिटाने के आरोप

नई दिल्ली (सच कहूँ न्यूज)। पिछले कई दिनों से एलियंस के बारे में अलग-अलग खबरें आ रही है। इस बीच इटली के खोजी पत्रकार पाओलो लियोपिजी हैरिस और फ्रांस में जन्मे इन्फॉर्मेशन वैज्ञानिक डॉक्टर एफ ने दावा किया कि 1945 में एलियंस पर अमेरिका ने रोजवेल यूएफओ क्रैश से ठीक दो साल पहले यूएफओ की घटना को छिपाया था। जिससे जुड़े सबूत भी मौजूद थे, लेकिन सेना ने सबकुछ छिपा दिया था। वैली ने 1945 के कथित यूएफओ क्रैश की जानकारी एक किताब में दी है, जिसका नाम ‘ट्रिनिटी द बेस्ट-केप्ट सीक्रेट’ है।

वहीं हाल ही में एक रिपोर्ट में दावा किया गया कि पिछले 20 सालों में अमेरिकी नौसेना ने आसमान में 120 से ज्यादा अजीबो-गरीब घटनाएं देखी हैं। इंटरनेशनल कोएलिशन फॉर एक्स्ट्राटेरेस्ट्रियल रिसर्च (आईसीईआर) के उपाध्यक्ष गैरी हेसेल्टाइन के अनुसार एलियन आसमान से नहीं आ रहे हैं, वो पानी के नीचे से आते हैं। आपको बता दें कि एलियंस के बारे में हमारे धर्मों के पवित्र ग्रन्थों में हजारों साल पहले लिखा हुआ है कि पृथ्वी के अलावा भी सैकड़ों अन्य ग्रहों पर जीवन है जिसका उल्लेख पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने अपने सत्संगों में अनेक बार किया है।

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अमेरिका पर लगा आरोप

एलियंस की तलाश करने वालों ने अमेरिका पर यूएफओ से संबंधित उस घटना को छिपाने का आरोप लगाया है, जो साल 1945 में हुई थी. यानी रोजवेल यूएफओ क्रैश से ठीक दो साल पहले इस यूएफओ का आकार एवाकाडो जैसा बताया जा रहा है। ऐसा दावा है कि ये हादसा न्यू मैक्सिको में तूफान के दौरान हुआ था, जिससे जुड़े सबूत भी मौजूद थे, लेकिन सेना ने सबकुछ छिपा दिया। इटली के खोजी पत्रकार पाओलो लियोपिजी हैरिस और फ्रांस में जन्मे इन्फॉर्मेशन वैज्ञानिक डॉक्टर एफ। वैली ने 1945 के कथित यूएफओ क्रैश (1947 फङ्म२ी६ी’’ उ१ं२ँ) की जानकारी एक किताब में दी है, जिसका नाम ‘ट्रिनिटी: द बेस्ट-केप्ट सीक्रेट’ है।

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हादसे का गवाह बने लोगों से जरूरी जानकारी जुटाई हैरिस ने

हैरिस और वैली ने ही साल 1963 में नासा के लिए मंगल का पहला कंप्यूटराइज मैप तैयार किया था। अब इन्होंने हादसे का गवाह बने लोगों से जरूरी जानकारी जुटाई है। इन गवाहों में से दो अब भी जीवित हैं। इन लोगों ने क्रैश के बाद की स्थिति के बारे में बताया है और कहा है कि कैसे उड़ने वाले वाहन और उसमें मौजूद लोगों को सेना ने अपने कब्जे में ले लिया था। दुनियाभर में अपने लंबे अनुभव का इस्तेमाल करते हुए लेखकों ने चरणबद्ध तरीके से बताया है कि कैसे सेना ने क्रैश से जुड़ी चीजों को हटाया था (1945 घटनाक्रम )। इन्होंने बताया है कि कैसे 76 साल पहले तूफान आने पर कई टन का यूएफओ क्रैश हो गया था।

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दोनों घटनाओं का आपस में संबंध?

हैरानी की बात ये है कि इस घटना का जिक्र केवल एक टीवी डॉक्यूमेंट्री में किया गया है. इनका कहना है कि एक असामान्य चीज क्रैश हुई थी और यहां से करीब 20 मील की दूरी पर ही जुलाई 1945 में व्हाइट सैंड्स में पहला परमाणु बम फटा था, इन दोनों घटनाओं के बीच के संबंध पर भी जानकारी गायब है। हैरिस और वैली ने बताया कि यूएफओ क्रैश कथित तौर पर उसी रेगिस्तान में हुआ है, जहां प्रोजेक्ट ट्रिनिटी पर काम हुआ था। ये दोनों घटनाएं एक ही साल में हुई थीं। बता दें अमेरिका ने 16 जुलाई 1945 को अपना पहला परमाणु परीक्षण किया था। जो न्यू मैक्सिको में हुआ था। इस मिशन को ‘ट्रिनिटी’ नाम दिया गया था।

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आसमान नहीं समुद्र से आ रहे यूएफओ, बेस को लेकर गेम चेंजर सबूत लगे हाथ

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इन दिनों दुनियाभर में सिर्फ और सिर्फ एलियंस की चर्चा हो रही है। हाल ही में एक खुफिया रिपोर्ट में दावा किया गया कि पिछले 20 सालों में अमेरिकी नौसेना ने आसमान में 120 से ज्यादा अजीबो-गरीब घटनाएं देखी हैं। अनुमान के मुताबिक इसमें से ज्यादातर चीजें एलियंस के विमान यानी जैसी थीं। ऐसे में लोगों को एक बात समझ नहीं आ रही कि जब ये विमान आसमान में आते हैं, तो गायब कहां हो जाते हैं। आखिर क्यों इन्हें हाईटेक रडार भी नहीं पकड़ पा रहे हैं?

अब मामले में इंटरनेशनल कोएलिशन फॉर एक्स्ट्राटेरेस्ट्रियल रिसर्च (आईसीईआर) के उपाध्यक्ष गैरी हेसेल्टाइन ने एकदम अलग ही दावा कर दिया। उनके मुताबिक एलियन और यूएफओ आसमान से नहीं आ रहे हैं, वो पानी के नीचे से आते हैं। इसको आप इस तरह से भी समझ सकते हैं कि हालिया की कई घटनाओं में यूएफओ को नौसेना के विमानों के पास देखे जाने का दावा किया गया। ये वीडियो एलियंस की उत्पत्ति की व्याख्या करने में गेम चेंजर सबूत हैं।

मंगल पर मौजूद है एलियंस!

नासा के वैज्ञानिकों को इस बात का पूरा यकीन हो गया है कि मंगल पर एलियंस की मौजूदगी है। अंतरिक्ष के रहस्यमय लाल ग्रह पर पानी और बादल के बाद अब नमक भी मिला है। मई के अंत में वैज्ञानिकों को नमक मिलने के बाद उन्होंने ये मान लिया है कि मंगल पर जीवन जरूर मौजूद है। मंगल ग्रह पर मिला नमक जियोलॉजिकल प्रक्रिया का अंग है। ऐसे में यहां मिला आॅर्गेनिक सॉल्ट या नमक जीवाणुओं का निशान हो सकता है। ये नमक मंगल पर कभी मौजूद रहे आॅर्गेनिक कंपाउंड्स के हिस्से हैं, जिन्हें नासा का क्यूरियॉसिटी रोवर पहले खोज चुका है।

 

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