प्रशासनिक कार्यप्रणाली को दुरुस्त किया जाए

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चाहे सरकारों की तरफ से प्रशासनिक स्तर की सेवाएं बिना किसी देरी व बिना किसी मुश्किल के करने की बातें की जाती हैं, लेकिन वास्तव में सच्चाई कुछ और ही होती है। दरअसल लोगों को सरकारी दफ्तरों में जिन परेशानियों का सामना करना पड़ता है, इसे कोई नहीं जानता। जबकि आम व्यक्ति को अपने काम के लिए इतने सारे चक्कर काटने पड़ते हैं कि उनके जूते-चप्पलें घिस जाती हैं। अब तो लोग अपने काम सरकारी दफ्तरों में करवाने से भी डरते रहते हैं। उन लोगों की बहुत संख्या है, जिनके काम कई-कई महीने मंझधार में लटकते रहते हैं। कई लोग तो लगातार चक्कर लगा-लगाकर इतना थक जाते हैं कि वे अपने काम को ही बीच में छोड़ देते हैं।

अब अगर लोगों को होने वाली परेशानियों पर विस्तार से चर्चा की जाए, तो पहली बात यह सामने आती है कि सरकारी कार्यों को पूरा करने का प्रोसेस बहुत लंबा होता है। फिर अगर किसी तरह कार्य पूरा हो भी जाता है, तो यह एक परमात्मा की दया माना जाता है, लेकिन बहुत से लोगों पर फिर एक आफत का सामना करना पड़ता, जब उनके सरकारी दफ्तरों में से तैयार हुए तस्तावेजों में गलतियां पाई जाती हैं। इस तरह के मामले बहुत सामने आते हैं। लोग पहले तो बड़ी मुश्किल से अपने पत्रों को तैयार करवाते हैं, लेकिन उनमें किसी प्रकार की त्रुटि पाई जाती है, तो पहले से भी ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ता है। यह गलतियाँ तरह-तरह के प्रमाणपत्रों में, ड्राइविंग लाइसेंस, आधार कार्ड, पहचान पत्र और जरूरी पत्रों में देखने को मिलती हैं।

हालांकि सरकार के प्रतिनिधियों और सरकारी अधिकारियों द्वारा यह दावा अक्सर किया जाता है कि सभी कार्य कम्प्यूटरीकृत हो चुका है, लेकिन सवाल यह है कि सभी कार्य कम्प्यूटरीकृत होने के बावजूद यह गलतियां क्यों? लोगों को यह गलतियां ठीक करवाने के लिए परेशानियों के अलावा अपनी जेब भी ढीली करनी पड़ती है। इसके अलावा जो लोग गांवों में रहते हैं, उनको अपने कार्यों के लिए दूर शहरों में जाना पड़ता है। इससे उनका समय भी बर्बाद होता है और वहां पर पहुंचने के लिए खर्चा करना पड़ता है।

जब कोई काम सही तरीके से न हो, तो फिर गलतियों पर गलतियां होने के चांस और बढ़ जाते हैं। जैसे कि सरकारी कार्य में किसी पर की त्रुटि रह जाए, फिर व्यक्ति जब उसे ठीक करवाने के लिए जो अन्य कागजात साथ लेकर जाने होते हैं, कई बार वे घर पर ही रह जाते हैं, या रास्ते में कहीं गिर जाते हैं, तो फिर से कार्य पूरा किए बिना घर वापिस लौटना पड़ता है। मुझे भी एक बार ऐसी तरही की परेशानियों से दो-चार होना पड़ा है। मेरे मैट्रिक के प्रमाणपत्र पर गलती से मेरे पिता जी का नाम गलत छप गया था। जिसको सही करवाने के लिए पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड मोहाली की कई बार यात्रा करनी पड़ी और फीसें भी भरनी पड़ी। यह तो मेरा अपना उदाहरण है, न जाने मेरे जैसे कितने ही और होंगे!

प्राय: लोगों के जन्म प्रमाण पत्र में त्रुटियां आम देखने को मिलती हैं। क्योंकि जन्म प्रमाण-पत्र के कार्य अभी तक कम्प्यूटरीकृत नहीं हो सके हैं। जन्म प्रमाणपत्र मैन्युअल रूप से तैयार किए जाते हैं, जिस कारण त्रुटियों से भरे रहते हैं। केंद्र सरकार द्वारा आवश्यक आधार कार्ड बनाने का कार्य लंबे समय से चल रहा है, लेकिन अभी तक कई लोगों के आधार कार्ड नहीं बने। इसके अलावा जिनके बन चुके हैं, उनमें से बहुत से लोग ऐसे भी हैं, जिनके आधार कार्ड पर नाम, जन्म तिथि या अन्य और त्रुटियां हैं। ये लोग फिर से त्रुटियों को ठीक करवाने के लिए दफ्तरों में घूमते रहते हैं।

इसलिए अब जरूरत है इस पूरे घटनाक्रम को रोकने की। सरकारी स्तर पर तैयार पत्रों पर होने वाली त्रुटियों को रोकना समय की मुख्य जरूरत है। जब कोई व्यक्ति अपने कागजात तैयार करवाने के लिए सरकारी दफ्तर में आता है, तो उनको फाईनल कॉपी देने से पहले कम्प्यूटरीकृत नमूने के रूप में एक कॉपी प्रिंट करके दी जाए, ताकि जो कोई गलती हो उसे ठीक करवाया जा सके। इसके अलावा जिन लोगों को अब गलतियों की समस्या आ रही है, उनके लिए एक ऐसी प्रणाली लागू करनी चाहिए, जिससे जो भी कोई त्रुटि का मामला सामने आता है, तो उसको तुरंत प्रभाव से ठीक किया जाए या फिर कुछ दिन का समय रखा जाए, जिससे किसी को बार-बार चक्कर काटने की जरूरत ना पड़े।


सरकार के प्रतिनिधियों और सरकारी अधिकारियों द्वारा यह दावा अक्सर किया जाता है कि सभी कार्य कम्प्यूटरीकृत हो चुका है, लेकिन सवाल यह है कि सभी कार्य कम्प्यूटरीकृत होने के बावजूद यह गलतियां क्यों? लोगों को यह गलतियां ठीक करवाने के लिए परेशानियों के अलावा अपनी जेब भी ढीली करनी पड़ती है।

सुखराज चहल धनौला

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