बाल काटने की अफवाहें बंद हों

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देश का अफवाहों से नाता ऐसा जुड़ा हुआ है कि साल दो साल बाद एक नैशनल अफवाह फैल जाती है। इन अफवाहों से लोगों में दहशत तो पैदा होती ही है, कई बार जानी नुक्सान भी होता है। पंजाब हरियाणा व उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में आज-कल महिलाओं की चोटी काटने की घटनाओं की अफवाहों ने लोगों को परेशान किया हुआ है। रोहतक जिले में तो एक बुजुर्ग महिला को बाल काटने वाली समझ कर गांव वासियों ने पीट-पीट कर मार डाला।

अन्य कई जगह पर भी निर्दोष व कमजोर लोग अफवाह से भड़की भीड़ के शिकार होते हैं। कई जगह रात को पहरे लगे हुए हैं। बेशक इन अफवाहों को पुरूष भी सच मान कर आगे फैला रहे हैं, किन्तु अफवाहों की शुरूआत महिलाओं से ही होती है। भारतीय महिलाएं अधिक संवेदनशील व अंध विश्वास का शिकार मानी जाती हैं, जो सुनी सुनाई बात को हकीकत की तरह पेश करके हजारों लोगों तक पहुंचा देती हैं।

चोटी काटने का मामला भी महिलाओं से जुड़ा हुआ है। दरअसल इन घटनाओं के पीछे किसी मानसिक रोग का होना अथवा किसी व्यक्ति का परिवार में मानसिक दबाव अधीन रहना है। मानसिक रोगी अपना अंदरूनी गुस्सा परिवार को किसी न किसी रूप में परेशान करके निकालता है। रोगी परिवार में खुद को नजरअंदाज हुआ देख कर दुखी होता है और अपनी बात मनवाने के लिए कई तरह के ढंग ढूंढता है।

परिवारिक सदस्यों के अंध विश्वासी होने के कारण मानसिक रोगी अंध विश्वास का ही सहारा लेता है। रोगी की हरकत पूरे समाज में भूत-प्रेत अथवा ओपरी शह के तौर पर फैल जाती है। वर्तमान समय में चोटी काटने की घटनाएं पुलिस थानों तक भी पहुंच गई हैं और पुलिस असमंजस में है। इससे पहले गांवों में बिज्जू के हमले की अफवाहें फैली थी, जो कि हकीकत से परे थी।

इसी तरह एक हरी सब्जी पर विशेष प्रकार के कीड़े के निशाने को देख कर यह अफवाह फैली थी कि सब्जी पर सांप देवता के निशान हैं। इसे खाना नहीं चाहिए। परिणाम स्वरूप लाखों टन तोरी की सब्जी बर्बाद हो गई और सब्जी उत्पादकों को भारी घाटा सहन करना पड़ा। सरकारी स्तर पर इन अफवाहों को रोकने के लिए कोई पहल नहीं की गई। शासन- प्रशासन लोगों को दहशत के माहौल से दूर करने के लिए लोगों को जागरूक करने के लिए मुहिम चलाए।

पुलिस उन लोगों का भी पर्दाफाश करे, जो अफवाहें नहीं, बल्कि चोरी एवं अपराध करने के लिए ऐसी साजिशें रचते हैं। धर्म महां विज्ञान है। धर्मों में कहीं भी इस बात का जिक्र नहीं है कि कोई भूत-प्रेत मनुष्य को परेशान करते हैं। पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने बड़े ही स्पष्ट शब्दों में फरमाया है कि इस धरती पर कोई भूत-प्रेत होता ही नहीं। लोग बेशक धर्म की सुनें अथवा विज्ञान की, भूत-प्रेत वाली बात बेबुनियाद है।

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