रेटरोवायरस लिवर कैंसर से लड़ने में मददगार

1981 Dr. Erine Palmer Transmission electron micrograph of intact rotavirus particles, double-shelled. Distinctive rim of radiating capsomeres.

नयी दिल्ली (वार्ता). बचपन में खांसी और जुकाम करने वाला रेटरोवायरस शुरुआती लिवर कैंसर से लड़ने में मददगार साबित हो सकता है। लीड्स विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने अपने एक शोध में यह पाया है कि रेटरोवायरस शरीर की इम्युन प्रक्रिया को प्रोत्साहित करता है जो कैंसर कोशिकाओं को मारने में अहम भूमिका निभाती है। शोध के ये नतीजे वैज्ञानिक जर्नल ‘गट’ में प्रकाशित हुए है। शोध दल के सह प्रभारी और लीड्स विश्वविद्यालय में वायरल ओंकोलाजी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डा.स्टीफन ग्रिफिन के मुताबिक कैंसर और हैपेटाइटिस विषाणु के एक साथ उपचार से हमें पूरी उम्मीद है कि यह मरीजों के लिए पूरी तरह से प्रभावी थैरपी साबित होगी और इसके परिणाम भी बेहतर रहेंगे। रेटरोवायरस बच्चों में श्वास संबंधी सक्रंमण और पेट की बीमारियों के कारक है और व्यस्क होते होते सभी बच्चे इनका संक्रमण झेल चुके होते है।

इस दल ने पाया है कि रेटरोवायरस प्रयोगशाला में विकसित कैंसर कोशिकाअों और कैंसर मरीजों में ऑपरेशन से पहले ली गई कैंसर कोशिकाओं का खात्मा करने में सक्षम है। शरीर में प्रविष्ट कराए जाने पर रेटरोवायरस शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को उत्तेजित करता है जो एक रासायनिक पदार्थ इन्टरफेरोन के बनने को प्रोत्साहित करता है जो श्वेत रक्त कोशिकाओं को सक्रिय करता है। ये कोशिकाएं ट्यूमर तथा हेपेटाइटिस सी वायरस से सक्रंमित कोशिकाओं को मार देती है। शोधकर्ताओं ने पाया है कि रेटरोवायरस थैरपी अन्य प्रकार के विषाणु संक्रमित कैंसर जैसे एप्सटीन बार वायरस लिम्फोमा से लड़ने में इस्तेमाल की जा सकती है। गौरतलब है कि पूरे विश्व में इस समय हैपेटाइटिस सी संक्रमण से 13 करोड़ लोग प्रभावित है और इन्हीं में से अनेक मामले कैंसर में तब्दील हो जाते हैं।