वचनों पर चलने से होता है अंत:करण का शुद्धिकरण

पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि अल्लाह, वाहेगुरु, गॉड, खुदा, रब्ब हर जगह, हर पल, हर समय रहता है। कोई ऐसी जगह नहीं जहां भगवान न हो। प्रभु का रहमो-कर्म हर कोई हासिल कर सकता है, बस…, वचनों को मानें।

आप वचनों पर चलें तो अंत:करण शुद्ध हो जाता है, विचारों पर काबू आ जाता है और मालिक के नूरी स्वरूप के दर्शन अंदर-बाहर से होने शुरू हो जाते हैं।

पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि भगवान, अल्लाह, राम को किसी से कोई दुश्मनी नहीं होती। इन्सान अपने कर्मों को हल्का नहीं करना चाहता। इसलिए वो दर्शन नहीं देता। हर जगह भगवान तो है, पर आप उसे नहीं देख पा रहे, क्योंकि आप अपने अंत:करण का शुद्धिकरण नहीं कर रहे। जरा सोचिए, क्या आप अपने शरीर के लिए खाते-पीते नहीं हैं?

आपको मालूम है कि अगर नहीं खाएंगे तो चल नहीं पाएंगे, कामधंधा नहीं कर पाएंगे। इसलिए आप खाते-पीते हैं। उसी तरह अंत:करण की शुद्धि के लिए सुमिरन क्यों नहीं करते? दूसरों को दोष देते रहते हैं। कभी अपने-आपके बारे में सोचा है कि आपके खुद के विचार कैसे हैं?

अगर बुरे विचार आ जाते हैं तो सुमिरन करें, बुरे विचारों पर न चलो, तो यकीनन आपका पाप-कर्म उसी समय खत्म हो जाएगा और मालिक की दया मेहर रहमत से आप मालामाल होते जाएंगे। इसलिए अपने विचारों का शुद्धिकरण करना अति जरूरी है।

जो विचारों का शुद्धिकरण नहीं करते, वो खुशियों से खाली रह जाते हैं। इसलिए वचनों पर अमल किया करो ताकि आपको मालिक की दया-मेहर, रहमत मूसलाधार बरसती नजर आए और आप खुशियों से मालामाल हो जाएं।

 

 

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