सच के साथ खड़े लोग नहीं हैं गुंडे

Dera Followers, Together, Situation, Dera Sacha Sauda, Gurmeet Ram Rahim

हाय मेरी वैन जल गई, मेरी वैन, हाय-हाय चीखकर 25 अगस्त व 26 अगस्त को अपने आपको मीडिया की शक्ल में पेश कर रहे कुछ लोगों ने दो-तीन दिन तक पूरे देश व समाज को मूर्ख बनाने की हजारों-हजार कोशिशें की हैं। इतना ही नहीं इस कांव-कांव में एक-एक कर और भी बहुत से लोग भी शामिल हो गए, जिनमें कोई कह रहा था हाय मेरी बाजू टूट गई, मेरा कैमरा टूट गया, मेरी स्कूटी वगैरह-वगैरह। जो सब पैसा कमाने व झूठ फैलाने के लिए ज्यादा किया गया। लेकिन असलियत कुछ और है।

जो कि झूठे व मक्कार लोगों ने समाज को नहीं बतायी नहीं दिखायी, जबकि अगर वह तटस्थ रहते तो बता सकते थे। 25 अगस्त को पंचकूला में एक फैसला हो रहा था। जहां एक तरफ झूठ से गढ़ी गई कहानियां थी, वहीं दूसरी ओर लाखों-करोड़ों लोगों व उनका इस समाज में किया गया वर्षों-वर्ष का काम था, जो कि जीता जागता सच था। जो इंतजार में था कि झूठ व सच की लड़ाई में न्याय की देवी आज इंसाफ कर रही है, जरूर सच जीतेगा। अफसोस न्याय की देवी से भूल हो गई।

झूठ व सच की लड़ाई में न्याय की तलवार ने सच का वध कर दिया। फिर जो नून-तेल बिकवा कर भी पैसा कमाने की जुगत में लगे रहते हैं उन्होंने शोर मचा दिया कि देखो, उनका हेलमेट फोड़ दिया, उनकी वैन जल गई, गुंडे-गुंडे-गुंडे ताकि उनके चैनल की थोड़ी टीआरपी बढ़े, और अच्छी खासी दिहाड़ी उनके चैनल को बन जाए, जिसके लिए कि प्रतिदिन वह अपने घर से निकलते हैं। जो हुआ वह पूरी दुनिया देखा कि कैसे सच के पक्ष में खड़े लोगों को बिना उनकी उम्र देखे सुरक्षा बल कहे जाने वालों ने गोलियां मार दी।

गोली का शिकार होने वालों में कुछ लोग 60 पार के बुजुर्ग थे व कुछ 16 साल से कम उम्र वाले नाबालिग थे। शोर मचाने वालों को पता होना चाहिए कि सच की राह पर लोगों की जाने जाती हैं और वह उफ् भी नहीं करते। दुनिया को बता देना चाहता हूं कि मीडिया में घुसे कुछ चाट-पकोड़ी के भूखो, चमचो, लंपटो, पैसे के लिए बिक जाने वालो, सच को कुचलने का जितना चाहे प्रयास कर लो, लेकिन वह दबने व मिटने वाला नहीं। क्योंकि सच कचरे के ढेर से बच्चियों को उठाकर उनके मुंह में दूध की बूंदें डालता है, जहां लोग रिश्ते-नाते नकार कर हवस पूरी करते हैं वहां से बच्चियों को निकाल कर उन्हें बेटी का रिश्ता देता है।

सच तो इतना विनम्र व आत्मीय है कि वह आप लोगों की टट्टी से बंद हुई नालिया-नाले भी खोलता है। जिसे साफ करने के लिए आपके चुने हुए विधायक व मंत्री चिरौरी करते हैं कि हम हग-मूत बैठे अब हमारे शहर गंदगी में बिलबिला रहे हैं, हो सको तो साफ कर दो। फिर भी सच के साथ खड़े इन लोगों को टूटी वैन वालों ने घंटों तक गुंडे दिखाया। जबकि सच के लिए मरने वाले बुजुर्गों ने पता नहीं कितनी विधवाओं के घरों को र्इंट-गारे से अपना पसीना सींचकर बनाया है। वहीं हजारों लोगों को पानी व भोजन देने वाले बच्चे जो एक-एक कर 25 अगस्त को पंचकूला की मोर्चरी में पहुंचाए गए वह भी गुंडे नहीं थे।

 

Hindi News से जुडे अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter पर फॉलो करें।