कहीं ‘जीवनदायिनी’ बन न जाए ‘आफत’

  • इंदिरा गांधी नहर की हालत खराब, अतिरिक्त पानी छोड़ने हेतु तीस गेट में से दस गेट खराब
  • झेल नहीं सकती 12 हजार क्यूसेक
  • हरिके बैराज पर बने हैड रेगुलेटर के आठ में से चार गेट खराब

HanumanGarh, Hardeep Singh: मरूस्थलीय क्षेत्र में चमत्कारिक बदलाव लाने और मरूभूमि में सिंचाई के साथ ही पेयजल और औद्योगिक कार्यांे के लिए भी पानी उपलब्ध करवाने वाली जीवनदायिनी इंदिरा गांधी नहर की पंजाब क्षेत्र में हालत खराब है। फिरोजपुर के पास हरिके बैराज पर इंदिरा गांधी नहर को पानी देने के लिए बने हैड रेगुलेटर के आठ में से चार गेट खराब पड़े हैं। गेटों को नियंत्रित करने वाली मशीनें भी खराब हो चुकी हैं। यहां से पूरा पानी रिलीज करने वाला सिस्टम ही सही नहीं है। इससे आगे नहर पर जगह-जगह क्षतिग्रस्त पुल पानी के बहाव में बाधा बन रहे हैं। वर्तमान में पटरियां क्षतिग्रस्त होने के कारण 18 हजार क्यूसेक पानी लेने की क्षमता वाली इंदिरा गांधी नहर अब 12 हजार क्यूसेक पानी भी झेलने की स्थिति में नहीं है। हरिके बैराज से आईजीएनपी और फिरोजपुर फीडर दो बड़ी नहरें निकलती हैं। हैड के दूसरी तरफ डाउन स्ट्रीम में अतिरिक्त पानी छोड़ने के लिए तीस गेट बने हुए हैं। इनमें से भी दस गेट खराब होने से पानी सीपेज होकर सतलुज बेसिन में चला जाता है। जो आगे हुसैनीवाला होकर पाकिस्तान जाता है। दूसरी तरफ हैड से निकलने वाली आईजीएनपी जगह-जगह से क्षतिग्रस्त हो चुकी है। ऐसे में हनुमानगढ़-श्रीगंगानगर-बीकानेर सहित प्रदेश के 11 जिलों में पेयजल और सिंचाई पानी की पर्याप्त आपूर्ति आईजीएनपी नहीं कर पा रही है। आईजीएनपी और फिरोजपुर फीडर की हालत राजस्थान के किसी अधिकारी, मंत्री या मुख्यमंत्री से छुपी हुई नहीं है। सरकार अपने ही किसानों की पीड़ा नहीं सुन रही। आईजीएनपी का निर्माण साढ़े 18 हजार क्यूसेक पानी लेने के हिसाब से डिजाइन कर किया गया जबकि 16 हजार 500 क्यूसेक का सिंचित क्षेत्र घोषित है।

जर्जर हालत, खराब गेट, हैड की मशीनों के खराब होने के चलते अधिकतम 11 हजार क्यूसेक पानी ही छोड़ा जा रहा है। बताया जा रहा है कि नहर 12 हजार क्यूसेक पानी भी नहीं ले पाएगी।

1958 में हुआ इंदिरा गांधी फीडर का निर्माण
उल्लेखनीय है कि 1958 में इंदिरा गांधी फीडर का निर्माण हुआ था। नियमित रख-रखाव के अभाव में करीब 53 वर्ष बाद अब इंदिरा गांधी फीडर की हालत इतनी खराब हो गई है कि यह राजस्थान के लिए कभी भी बड़ी मुसीबत बन सकती है। इसका बड़ा नुकसान प्रदेश को यह हो रहा है कि मानसून के दौरान भी प्रदेश अपने हिस्से के पानी का उपयोग नहीं कर पा रहा। इसके कारण हरिके डाउन स्ट्रीम के जरिए हर वर्ष लाखों क्यूसेक डेज पानी पाकिस्तान क्षेत्र में छोड़ना पड़ता है।

01ध्यान नहीं दे रही सरकार
जानकारी अनुसार पंजाब सरकार द्वारा राजस्थान सरकार से गेटों की मरम्मत और आईजीएनपी की मरम्मत के लिए बजट की कई बार डिमांड दे चुके हैं लेकिन, सरकार कोई ध्यान नहीं दे रही। आईजीएनपी की जीरो से 15 आरडी तक के कच्चे हिस्से में सिल्ट जमा हो चुकी है। यह भी पानी देने में बड़ी बाधा है। पंजाब क्षेत्र में नहर की हालत बहुत ज्यादा खराब है। मरम्मत की जरूरत है।

सरकार नहीं दे रही ध्यान
हरिके बैराज (पंजाब) पर आईजीएनपी को पानी देने वाले तीन गेट पूरी तरह से खराब हैं। ऐसे में पूरा पानी चाहकर भी रिलीज नहीं किया जा सकता। दो गेटों की गियर गरारी टूटी पड़ी है जबकि एक की लोहे की गेट खींचने वाली तार टूटी हुई है। यही हाल सतलुज बेसिन की तरफ के 31 में से 12 गेटों की है। करीब आधे से अधिक गेट खराब होना कभी बड़े हादसे का कारण बन सकता है। आईजीएनपी 16 हजार क्यूसेक की क्षमता से घटकर अब दस-ग्यारह हजार क्यूसेक पर आ सिमटी है। करीब दस साल पहले अधिकतम 14 हजार क्यूसेक पानी चलाया गया लेकिन क्षमता साल दर साल घट रही है।

फिर आया कटाव
पंजाब में हरीके हैड वर्क्स के पास इंदिरा गांधी नहर (राजस्थान फीडर) एवं फिरोजपुर फीडर के ज्वाइंट बैंक में गत दिनों भी कटाव आ गया था। हरीके हैड के डाउन स्ट्रीम में राजस्थान फीडर का बैंक क्षतिग्रस्त होने के कारण गंग कैनाल व इंदिरा गांधी फीडर में पानी की कमी हो रही है, जो किसानों के लिए चिंता का विषय बनी हुई है। पानी की कमी का असर प्रदेश के आईजीएनपी सिस्टम पर नजर आ रहा है।