नोटबंदी की सालगिरह : ऐतिहासिक या काला दिन

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8 नवम्बर 2016 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा की गई अकस्मात नोटबंदी ने देश की जनता को ही नहीं बल्कि तंत्र, राजनीति और अर्थव्यवस्था को भी हिला कर रख दिया था। 500 और 1000 रूपए के नोट बंद कर 500 व 2000 के नए नोटों को बाजार में उतारा गया। आज एक वर्ष पूरा होने के बाद मुद्दा सिर्फ इतना है कि यह एक सफल प्रयास के रूप में साबित हुआ या नहीं?

इस बात में कोई दोराय नहीं कि नोटबंदी के एक साल बाद भी कोई खासा बदलाव देखने को नहीं मिला है। हालांकि इस एक साल में डिजिटल पेमेंट के काफी सूत्र बाजार में आए जैसे भीम, युपीआई, मोबाइल वॉलेट, पेमेंट बैंक आदि, पर आज भी 1,31,81,190, करोड़ रूपए नगद बाजार में चल रहे है। देश में 3 करोड़ क्रेडिट कार्ड व 70 करोड़ डेबिट कार्ड है उसके बावजूद भी लोग नकद को ही प्राथमिकता देते है।

भारतीय रिजर्व बैंक की संस्था नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन आॅफ इंडिया (एनपीसीआई) देश में होने वाले सभी तरह के डिजिटल भुगतान की निगरानी रखने वाली सबसे बड़ी संस्था है।

एनपीसीआई के आंकड़ो के मुताबिक नोटबंदी के बाद देश डिजिटल ट्रांजेक्शन को बहुत तेजी से अपना रहा है। साल 2017-2018 में अक्टूबर तक ही डिजिटल ट्रांजेक्शन 1000 करोड़ रुपए तक पहुंच गया। पेमेंट काउंसिल आॅफ इंडिया के मुताबिक, डिजिटल भुगतान उद्योग की वृद्धि दर जो कि पहले 20 से 50 प्रतिशत के बीच थी, नोटबंदी के बाद बढ़कर 40-70 प्रतिशत के बीच हो गई।

नोटबंदी के लेन-देन में यूपीआई (यूनाइटेड पेमेंट इंटरफेस) बहुत कारगर साबित हुआ है। एनपीसीआई के अपने ऐप भीम के अलावा 50 से ज्यादा बैंक इससे जुड़ चुके हैं। अक्टूबर 2017 में ही यूपीआई से होने वाले लेन देन का आंकड़ा 7 करोड 70 लाख पहुंच गया। सितंबर में सिर्फ 3 करोड़ 90 लाख लोगों ने यूपीआई के जरिए लेन देन किया था। इस साल यूपीआई के जरिए अब तक 7057 करोड़ का लेन-देन हो चुका है जो पिछले साल के मुकाबले 32 फीसदी ज्यादा है।

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक विभाग ने नोटबंदी के बाद 23.22 लाख खातों में से 17.73 लाख संदिग्ध मामलों की पहचान की है। इनमें 3.68 लाख करोड़ रुपये की राशि जमा कराई गई। इन मामलों में संबंधित लोगों को नोटिस भेजा गया। इनमें से 11.8 लाख ने आॅनलाइन माध्यमों से जवाब दाखिल कर दिया है।

नोटबंदी के बाद देश में इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने वालों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है वहीं डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन भी बढ़ा है। आॅनलाइन इनकम टैक्स रिटर्न भरने के मामले में भी बड़ा कामयाबी हासिल हुई। 2016-17 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न की ई-फाइलिंग में करीब 23% का इजाफा हुआ।

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के मुताबिक सितंबर 2016 से सितंबर 2017 के बीच के 12 महीनों में क्रेडिट कार्ड की बकाया रकम में 38.7 फीसदी का उछाल आया है। इस दौरान कुल बकाया रकम 59,900 करोड़ रुपये हो गई।

पिछले साल इसी अवधि में यह रकम 43,200 करोड़ रुपये थी. हालांकि, बीते दो साल में क्रेडिट कार्ड की बकाया रकम में लगभग 77.74 फीसदी का उछाल आया है। सितंबर 2015 में यह रकम 33,700 करोड़ रुपये थी. आरबीआई के मुताबिक देश में क्रेडिट कार्ड की संख्या अगस्त 2016 में 2.64 करोड़ थी जो अगस्त 2017 में 3.27 करोड़ हो गई।

सरकारी बयान में कहा गया है कि अभी तक 2.24 लाख कंपनियों का नाम आधिकारिक रिकार्ड से हटाया गया है। ये कंपनियां दो या अधिक साल से निष्क्रिय थीं। बैंकों से मिली शुरूआती सूचना के अनुसार 35,000 कंपनियों से जुड़े 58,000 बैंक खातों में नोटबंदी के बाद 17,000 करोड़ रुपये जमा कराए गए थे, जिसे बाद में निकाल लिया गया। इसमें कहा गया है कि एक कंपनी जिसके खाते में 8 नवंबर, 2016 को को कोई जमा नहीं थी, ने नोटबंदी के बाद 2,484 करोड़ रुपये जमा कराए और निकाले।

नोटबंदी के सरकार ने इस बात का भी पता लगाने की कोशिश की कि टैक्स चोर अपने बेहिसाब संपत्ति को कहा इस्तेमाल कर सकते हैं। जांच के बीच यह पता लगा कि विदेश यात्रा में जहां नवंबर 2015 में 36.2 मिलियन अमेरिकी डॉलर खर्च हुए वहीं नवंबर 2016 में यह खर्चा बढ़कर 246.6 मिलियन अमेरिकी डॉलर पहुंच गया।

वित्त मंत्रालय ने 6 नवंबर को कहा कि साल भर पहले हुई नोटबंदी से काला धन समाप्त करने, जाली नोटों को बाहर करने और चलन में नकदी कम करने में मदद मिली है। वित्त मंत्रालय ने कहा कि चलन में नकदी 17.77 लाख करोड़ से कम होकर चार अगस्त 2017 को 14.75 लाख करोड़ पर आ गयी है। उसने कहा, पुनर्मुद्रीकरण के बाद अब महज 83 प्रतिशत ही प्रभावी नकदी है।

 

 

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