सिद्धू के लिए नहीं आम जनता के लिए पहल करे केन्द्र

Navjot Singh Sidhu

श्री करतारपुर साहब रास्ते का मामला चर्चा में है। चर्चा यहां से शुरू हुई थी कि भारत-पाकिस्तान को रास्ता देने के लिए तैयार है, जहां तक पंजाब सरकार के मंत्री सिद्धू के दावों का संबंध है वह बहुत कमजोर व वास्तविकता से दूर हैं। सिद्धू कह रहा है कि पाकिस्तान सरकार ने उन्हें रास्ता खोलने का प्रस्ताव दिया और भारत को विनती करनी चाहिए यदि प्रस्ताव ही आ गया है तब भारत को विनती करने की क्या जरूरत है? प्रस्ताव है तब भारत को अगला कदम उठाना चाहिए। सिद्धू की बातें विरोधाभासी हैं, लेकिन यह मामला सिद्धू की अपेक्षा भारत सरकार व उसकी जिम्मेदारी का है।

सरकार ने जो भी कदम उठाना है वह सिद्धू के लिए या उसके कहने पर नहीं बल्कि अन्य करोड़ों लोगों की इच्छा को ध्यान में रख उठाना है किंतु भारत ने इस मामले में कुछ करने की अपेक्षा इस बात की होड़ मच गई है कि श्रेय किसे जाता है। एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी भी हुई। सिद्धू के झूठ का भारत सरकार ने यह कहकर खुलासा कर दिया कि पाक से कोई प्रस्ताव ही नहीं आया। सोचने वाली बात यह है कि रास्ते की जरूरत किसे है? हिंद को या पाक को? पाकिस्तान में बसते लोगों के लिए तो धार्मिक स्थान खुला ही है।

यह तो भारत की जरूरत है। हम पाकिस्तान के सिर ठीकरा फोड़कर अपनी वचनबद्धता व जिम्मेदारी से मुक्त नहीं हो सकते। विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह कह रहे हैं कि पाकिस्तान ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। यह तो भारत सरकार जिसके पास पहले ही इस संबंध में आवेदन आ चुका है, का कर्तव्य है कि वह जनता की विनती को सुने। साधारण सी बात है कि जिसे जरूरत है वही मांग करेगा लेकिन विदेश मंत्रालय से इस तरह का बयान भी नहीं आया कि यदि पाकिस्तान ऐसी कोई पहल करता है तो हम (भारत) पूरे उत्साह से आगे बढ़ेंगे।

भारत सरकार को राजनैतिक नफे-नुक्सान से ऊपर उठकर देशवासियों की भावनाओं का सम्मान करते हुए रास्ता खोलने के बारे में कदम उठाना चाहिए। यदि भारत सरकार अपनी मांग रखने में पहल करती है व पाक सही जवाब नहीं देता तब पाक को गलत ठहराया जा सकता था। टकराव के बावजूद दोनों देशों में आपसी भाइचारा बना हुआ है। सुरक्षा व अन्य तकनीकी पहलू जुदा मुद्दे हैं परन्तु कम-से-कम भारत सरकार यह तो स्पष्ट करे कि यदि पाक पहल करता है तब उसका अगला कदम क्या होगा। इस मामले को पहेली बनाने की बजाय स्पष्ट करने की जरूरत है।

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