बुरी आदतें छोड़ मालिक की भक्ति करें

Dera Sacha Sauda, Gurmeet Ram Rahim, Anmol Vachan, Meditation

सरसा (सकब)। पूज्य हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि इस घोर कलियुग में राम-नाम, अल्लाह, मालिक की भक्ति-इबादत करना इन्सान को अच्छा नहीं लगता। और-और बातें जिनसे जीव का अकाज होता है, ऐसी बातें दिन-रात करने में मजा आता है, खुशी आती है। इन्सान दिन-रात काम-धंधे में लगे रहते हैं, चुगली-निंदा, दूसरों की बुराइयां गाते हैं जबकि इससे कुछ भी हासिल नहीं होता बल्कि जो अपने पास है वो चला जाता है।

फिर भी लोग दिन-रात लैग-पुलिंग, टांच खिंचाई, एक-दूसरे की निंदा-चुगली बुराइयां आम गाते नजर आते हैं। तो इन बुराइयों में टाईम बर्बाद हो रहा है और लोग यही कहते हुए उठते हैं कि बढ़िया टाइम पास हो गया। जबकि यह कोई नहीं कहता कि टाइम बर्बाद हो गया। पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि कई इन्सान कहते हैं कि जी, राम का नाम नहीं लिया जाता।

तो क्यों नहीं लिया जाता? आप सुबह-सवेरे पैदल घूम रहे हैं, घुमते रहो, आंखें खुली रखो और जीभा-ख्यालों से अल्लाह, वाहेगुरु, राम का नाम लेते रहो। आप कहीं बस में सफर कर रहे हैं। आंखें खुली रखो और जीभा से या अपने ख्यालों से मालिक का नाम लेते रहो। बल्कि आप बस में चढ़ते ही यह देखते हैं कि क्या कोई ऐसा साथी बैठा है, जिसके साथ गप्प-शप्प मारकर टाइम पास कर लें।

यह नहीं सोचते कि कोई न ही मिले तो ही अच्छा है। यह सोचो कि आराम से बैठ कर अल्लाह, वाहेगुरु का नाम जपेंगे। परंतु कोई न भी मिले तो भी आप राम का नाम नहीं लेते। इधर-उधर देखते हैं कि मकान बड़ा अच्छा है, काश! मेरे पास होता। कोई पास से गाड़ी निकल गई, सोचता है कि इतनी बढ़िया गाड़ी मेरे पास भी होती। इन खुबसूरतियों में इन्सान खोया रहता है।

किसकी फसल अच्छी है तो कहता है कि वाह यार! क्या फसल है, हमारे क्यों नहीं होती। तो आदमी ऐसे ही जलता-भूनता रहता है और देखता रहता है। कुदरत का मजा लेने वाला तो कोई-कोई होता है। ज्यादातर तो इसी ताने-बाने में उलझे रहते हैं।

अगर उस समय में अल्लाह, वाहेगुरु, गॉड, राम का नाम लिया जाए, तो सफर भी सुहावना बन जाए और मालिक की भक्ति-इबादत से आत्मा का भी बेइंतहा भला होता चला जाए। तो यह जरूरी है कि आप मालिक का नाप जपा करें। जैसे-जैसे प्रभु की भक्ति-इबादत करते जाएंगे, वैसे-वैसे मालिक के नजदीक होते जाएंगे और उसकी तमाम खुशियों के हकदार बनते जाएंगे।

 

 

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