आतंक खत्म करने में अहम् होगी भारत-अमेरिका एकता

G7 Meeting

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का अमेरिका दौरा पाक पोषित आतंकवाद के खिलाफ एक सख्त संदेश है। पहले से घिर चुके पाकिस्तान के लिए अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ड्रामेबाजी व बहानेबाजी का खेल मुश्किल हो जाएगा। डोनाल्ड ट्रंप पहले ऐसे अमेरिकी राष्ट्रपति हैं, जिन्होंने जम्मू-कश्मीर व भारत के अन्य हिस्सों में आतंकवाद के लिए पाकिस्तान को जिम्मेवार माना है।

सलाहुदीन को अमेरिका द्वारा अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित किए जाने से पाकिस्तान का कश्मीर पर दावा तार-तार हुआ, जिससे अब अलगाववादियों को भी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। बेशक पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने पाकिस्तान में बड़ी सैन्य कार्रवाई करते हुए आतंकवादी ओसामा-बिन-लादेन को पाकिस्तान में ढूंढ लिया था।

इसके बावजूद अमेरिका का पाकिस्तान के प्रति नजरिया वास्तविकता से परे रहा। ट्रंप ने पाकिस्तान को आतंकवाद का समर्थन न करने व अपनी धरती आतंकवाद के लिए इस्तेमाल न होने देने की चेतावनी दी है।

पाकिस्तान दशकों से दोहरी नीति अपना कर अमेरिका का समर्थन हासिल करता रहा है। आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई के नाम पर पाकिस्तान ने अमेरिका से भारी-भरकम आर्थिक सहायता प्राप्त की है। दरअसल ट्रंप शुरू से आतंकवाद के खिलाफ सख्त विचारों वाले हैं। ट्रंप के आने से इराक व सीरिया में अमेरिकी हमलों में तेजी आई।

इस बात को नजदअंदाज नहीं किया जा सकता कि अमेरिका को एशिया में चीन का प्रभाव रोकने के लिए भारत की विशेष जरूरत है, किन्तु इसका अर्थ यह नहीं है कि भारत कोई टूल (चीन अनुसार) है। यह तथ्य है कि पाकिस्तान पूरी तरह अमेरिका के हाथ से निकल कर चीन के साथ जा चुका है। इराक व अफगानिस्तान के भारत से संबंधों पर भी चीन पूरी तरह खफा है।

चीनी सरकार का अखबार भारत-अमेरिका की दोस्ती को भी अमेरिका का ट्रैप करार दे रहे हैं। यहां तक चीनी अखबार के दावों का संबंध है, तब उसने आतंकवाद की समस्या को बिल्कुल खत्म ठहराया है।

जबकि आतंकवाद की समस्या पूरी दुनिया के लिए चुनौती बनी हुई है। ऐसी परिस्थितियों में आतंकवाद प्रभावित देशों की एकता पर सवाल खड़े करना चीन की नीयत पर ही सवाल खड़े करता है। असल में चीन आतंकवाद की नर्सरी बन चुके पाकिस्तान का समर्थन कर रहा है। अब नरेन्द्र मोदी के अमेरीकी दौरे ने पाकिस्तान का पर्दाफाश कर दिया है। चीन की कोशिशों के बावजूद पाकिस्तान का अंतरराष्ट्रीय दबाव से बचना मुश्किल है। उम्मीद की जानी चाहिए कि भारत-अमेरिका एकता अमन-शांति की स्थापना के मिशन को पूरा करेगी।

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