अब साथ देगी सौर ऊर्जा

Solar Energy, Irrigation Technology

आज मानव को कदम-कदम पर ऊर्जा की आवश्यकता पड़ती है। खाना पकाने से लेकर हर वैज्ञानिक सुख-सुविधा के उपयोग में ऊर्जा प्रथम जरूरत है मगर दुनिया में ऊर्जा के स्रोत सीमित हैं और जरूरतें असीमित। इसी समस्या के निदान हेतु सौर ऊर्जा के उपयोग पर वैज्ञानिक दिन-रात परिश्रम कर रहे हैं। सौर ऊर्जा का महत्वपूर्ण पहलू यह है कि इससे प्रदूषण बिल्कुल नहीं फैलता। आज कई कार्यों में सौर ऊर्जा का उपयोग हो रहा है।

जापान ने एक ऐसे घर का निर्माण किया है, जो अपनी बिजली संबंधी सारी आवश्यकताओं की पूर्ति सौर ऊर्जा से कर सकेगा। इस घर के एक कमरे की छत सोन्यो इलेक्ट्रिक कंपनी द्वारा निर्मित 75 सौर दर्पण टाइलों से तैयार की गई है।

इन सौर दर्पण टाइलों को सोलर बैटरी से जोड़कर 1.1 किलो वॉट की बिजली प्राप्त की जा सकेगी। इससे पहले सोलर पैनल इतने बड़े आकार के थे कि सौर ऊर्जा प्राप्त करने में काफी समय लगता था और कठिनाइयां भी अनुभव की जाती थीं।

भारत में हरियाणा स्थित गुड़गांव में देश का प्रथम सौर ताप बिजली घर बनाया गया, जिसकी क्षमता 50 किलोवॉट है। यह बिजलीघर पूर्णत: स्वदेशी तकनीक पर आधारित है। यह अन्य बिजलीघरों की तुलना में न केवल किफायती है, बल्कि इससे पर्यावरण प्रदूषण भी कम होता है। इस सफलता को देखते हुए सरकार अन्य स्थानों पर भी ऐसे ही बिजली घर बनाएगी।

सूर्य की गर्मी से बचने के लिये जापानी वैज्ञानिकों ने सौर ऊर्जा से ही चलने वाला एक ऐसा एयरकंडीशनर तैयार कर लिया, जो आकाश में बादल छाये रहने पर भी काम करता रहेगा। वैज्ञानिकों के अनुसार जिस वक्त सूर्य का ताप अपने चरमोत्कर्ष पर होता है, उस समय यह एयरकंडीशनर सौर ऊर्जा को ग्रहण कर संग्रहित कर लेता है। बाद में रात के समय यह इसी ऊर्जा के बल पर काम करता रहता है।

सौर ऊर्जा चलित उपकरणों के निर्माण के मामले में ‘जापान’ अग्रणी है। यहीं के वैज्ञानिकों ने सौर ऊर्जा से चलने वाली कार निर्मित की है। ‘साइंस एण्ड टेक्नोलॉजी पत्रिका के अनुसार यह कार सौ किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से दौड़ सकेगी और इसका वजन 150 किलोग्राम होगा। सोलर कॉरपोरेशन ने अपनी इस कार के इंजन में ऐसे उपकरण लगाए हैं, जो सौर ऊर्जा को विद्युतधारा में परिवर्तित कर 1.4 किलोवॉट बिजली का उत्पादन कर सकते हैं। कार के इंजन में इस केंद्र का नाम फोटोवाल्टिक केंद्र रखा गया है।

20 नवंबर, 1980 को सोलर चैलेंजर वायुयान को पूर्णत: सौर शक्ति से उड़ाया गया। इसका निर्माण डॉ. पॉल के नेतृत्व वाली टीम ने किया था। 7 जुलाई, 1981 को सोलर चैलेंजर, ऐसा पहला सौर शक्ति चलित वायुयान था, जिसने निर्विघ्न इंग्लिश चैनल पार किया हो। इसने पोटोइकोरमीलल, पेरिस, फ्रांस से टेकआॅफ किया और 11 हजार 2 फीट की अधिकतम ऊंचाई पर मेन्सटन, कैट तक की 163 मील की यात्रा को 5 घंटे 23 मिनट में पूरा कर लिया। वायुयान का विंग स्पैन 47 फीट है।

हमारे देश में भी सौर ऊर्जा चलित उपकरणों के उपयोग को प्रोत्साहन देने के लिये सरकार उन उपकरणों के लागत मूल्य पर लगभग 50 प्रतिशत शासकीय अनुदान देती है। ‘सौर चूल्हे’, सौरचलित वाटर पम्प, पानी गर्म करने के उपकरण आदि अब शहरों के साथ ही सुदूर गांवों तक लोकप्रिय होते जा रहे हैं। वैज्ञानिक आकार में छोटे तथा बिना झंझट के कार्य कर सकने वाले सौर ऊर्जा चलित उपकरणों के निर्माण में जी-जान से जुटे हुए हैं। उनका कहना है कि ऊर्जा की कीमतें चढ़ रही हैं तो सूर्य भी तो रोज चढ़ रहा है।

 

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