डाकघर, नहीं डाक भुगतान बैंक कहिए जनाब!

Post Office, Bank

आखिरकार वह दिन आ ही गया है, जब हमारे आस-पड़ोस का छोटा सा डाकघर, बड़े बैंक के सभी काम करेगा। इस डाकघर से लोग बैंकों की तरह पैसों और दीगर आर्थिक गतिविधियों का संचालन करेंगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 1 सितंबर को इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक यानी आइपीपीबी के शुभारंभ के साथ ही देश में एक नये युग की शुरूआत होगी। सरकार के इस अकेले कदम से सामाजिक एवं आर्थिक विकास के कार्यक्रमों को एक नई ताकत मिलेगी। देश की एक बड़ी आबादी का वित्तीय समावेशन और डिजिटलाइजेशन होगा।

देश के कोने-कोने में मौजूद डाककर्मी, घर-घर जाकर अनेक कामों को अंजाम देंगे। शुरूआत में डाकघरों की 650 शाखाओं और 3,250 सेवा केंद्रों पर इसकी सेवा उपलब्ध होगी। सरकार की योजना है कि 31 दिसंबर 2018 तक यह बैंक पूरी तरह से डाक विभाग के नेटवर्क का इस्तेमाल करने लगे। जिसके दायरे में देश के कोने-कोने में स्थित 1.55 लाख सेवा केंद्र (डाक घर) और तीन लाख से अधिक पोस्टमैन और ग्रामीण डाक सेवक शामिल होंगे। इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक शुरू होने के बाद ग्रामीण बैंक शाखाओं की संख्या 49,000 से बढ़कर 1,30,000 हो जाएगी। कोशिश होगी कि हर नागरिक बैंकिंग सेवाओं से जुड़ जाए। भारतीय पोस्ट पेमेंट बैंक शुरू होने से उम्मीद है कि उन लोगों तक भी बैंक सेवाएं पहुंचेगी, जो अभी तलक इनसे वंचित थे। समाज में हाशिये पर खड़ा आखिरी व्यक्ति, वित्तीय मुख्यधारा में शामिल हो जाए।

देश भर में फिलवक्त 1.55 लाख डाकघर हैं, जिसमें 1.39 लाख डाक घर ग्रामीण क्षेत्रों में हैं। तकरीबन इतनी ही संख्या डाकियों की है। जाहिर है कि यही डाकिये भारतीय पोस्ट पेमेंट बैंक की सेवाओं के प्रसार में अहम भूमिका निभाएंगे। डाक घरों का कोर बैंकिंग नेटवर्क भी भारतीय स्टेट बैंक से काफी बड़ा है। एसबीआई के पास जहां 1,666 कोर बैंकिंग शाखाएं हैं, तो वहीं 22,137 डाकघरों में कोर बैंकिंग सुविधाएं हैं। मौजूदा डाक घरों को बैंकिंग सोल्यूशंस तकनीक के जरिए पोस्ट बैंक से जोड़ा जाएगा।

जिससे दूरस्थ क्षेत्रों के ग्रामीण भी हर तरह की बैंकिंग सेवा पा सकेंगे। केन्द्रीय दूरसंचार महकमे ने डाकिये को पोस्ट बैंक के मुताबिक प्रशिक्षित करने का काम शुरू कर दिया है। जब डाकियों का प्रशिक्षण पूरा हो जाएगा, तो ये गांवों में घर-घर जाकर ग्रामीणों का बचत-चालू खाता खोलने का काम करेंगे। यही नहीं डाकिया ईएमआई कलेक्ट करेगा और लोगों को बीमा, पेंशन, म्यूचुअल फंड और थर्ड पार्टी फाइनेंस सर्विस जैसी सुविधाएं भी मुहैया कराएगा। भारतीय पोस्ट पेमेंट बैंक में लेन-देन की सीमा एक लाख रुपये तक होगी। इन बैंकों में लोगों को और भी कई सुविधाएं मिलेंगी।

मसलन डाक विभाग के खाते से रकम एनआईएफटी और आईएमपीएस के जरिये आॅनलाइन ट्रांसफर की जा सकेगी। यानी एक बैंक, कई काम। भारतीय पोस्ट पेमेंट बैंक अपनी सेवाओं के विस्तार के लिए 5000 नए एटीएम भी खोलेगा। भुगतान बैंक के जरिये डाक विभाग हर खाते पर डेबिट या एटीम कार्ड देगा। यह बैंक विविध प्रकार की सेवाएं प्रदान करेगा जिनमें बचत एवं चालू खाते, धन अंतरण, प्रत्यक्ष लाभ अंतरण, बिल एवं जनोपयोगी भुगतान और उद्यम एवं व्यापार संबंधी भुगतान शामिल है।

आइपीपीबी द्वारा तीसरे पक्ष की तरफ से भी कई वित्तीय सेवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। इनमें छोटे कर्ज, बीमा, निवेश और डाकघर बचत खाता शामिल हैं। आइपीपीबी के लाभों को जनता तक पहुंचाने के लिए वित्तीय साक्षरता कार्यक्रम भी चलाया जाएगा। लोगों को डिजिटल भुगतान के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। उद्यमियों और व्यापारियों के लिए भी इस बैंक की सेवाएं उपलब्ध होंगी जिनमें डाक-उत्पाद, ई-कॉमर्स व्यावसायिक उत्पादों की कैश आॅन डिलिवरी का डिजिटल पेमेंट संभव हो सकेगा। छोटे दुकानदार, लघु उद्यमियों और असंगठित क्षेत्र के व्यापारी भी इस बैंक से लाभान्वित होंगे। आइपीपीबी का सही मकसद आम जनता के लिए सबसे अधिक पहुंच वाला, किफायती और भरोसेमंद बैंक बनना है।

डाक भुगतान बैंक के पास शुरूआत में 800 करोड़ रुपए का कोष होगा। जिसमें 400 करोड़ रुपए इक्विटी तथा 400 करोड़ रुपए अनुदान होगा। यानी यह सरकार की सौ फीसद हिस्सेदारी वाला उपक्रम होगा। भुगतान बैंक का परिचालन मुख्य कार्यपालक अधिकारी करेगा और इस बैंक का बिल्कुल पेशेवर तरीके से प्रबंधन किया जाएगा। इसमें विभिन्न अन्य सरकारी विभागों का भी प्रतिनिधित्व होगा। जिसमें डाक विभाग, व्यय विभाग, आर्थिक सेवा विभाग आदि शामिल हैं। 650 शाखाओं के लिए 3500 नए कर्मचारियों की भर्ती होगी। ग्रामीण डाकघरों में सभी डाक सेवकों को हस्तचालित उपकरण दिए जाएंगे।

वहीं शहरी डाकघरों में डाकियों को आईपैड तथा स्मार्टफोन जैसे आधुनिक गैजेट दिए जाएंगे। इसके अलावा हर डाकिये को एक छोटी सी हैंड हेल्ड मशीन भी दी जाएगी, जिससे वे ग्राहकों को घर पर ही हर तरह की बैंकिंग सेवा दे सकेंगे। इस मशीन से ग्राहक मोबाइल और डीटीएच रिचार्ज, बिजली, पानी एवं गैस आदि के बिल सहित बीमा आदि की किश्तों का भी भुगतान कर सकेंगे। हैंड हेल्ड मशीन, माइक्रो एटीएम की तरह काम करेगी। माइक्रो एटीएम हाथ से चलाने वाली मशीन होगी।

इसे इस्तेमाल करने के लिए डाकिए को बाकायदा प्रशिक्षण दिया जाएगा। माइक्रो एटीएम को बैंकों के सीबीएस सिस्टम से जोड़ा जाएगा। इसके चलते किसी भी बैंक अकाउंट से पैसा निकाला और जमा किया जा सकेगा। घर पर माइक्रो-एटीएम पहुंचने से बैंकों को दूरदराज के इलाकों में एटीएम नहीं लगाने होंगे। डाक भुगतान बैंक से ग्राहकों को जहां एक साथ इतनी सुविधाएं मिलेंगी, तो इसकी कुछ सीमाएं और चुनौतियां भी हैं। सीमाएं इस मायने में कि डाक भुगतान बैंक, बैंक क्रेडिट कार्ड जारी नहीं कर सकता और न ही उसे ऋण देने का अधिकार होगा। इसके अलावा बैंक के जो ग्राहक हैं, उन्हें अपनी जमा राशि का 75 फीसदी भाग सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश करना होगा।

वहीं सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती, सभी डाकघरों में बुनियादी सुविधाओं का विस्तार करना होगी। जिसमें इन डाकघरों में बिजली से लेकर इंटरनेट तक की अबाध पूर्ति शामिल है। यही नहीं जिन डाकघरों में स्टाफ की कमी है, उनमें जल्द ही नई भर्तियां भी करना होगी। वरना इन डाकघरों से लोगों को बैंक का फायदा नहीं मिल पाएगा। सिर्फ कागजों में दावे रह जाएंगे।

भारतीय डाकघर बैंक की तरह काम करें, सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक दोनों इस योजना पर काफी दिनों से काम कर रहे थे। उनकी ये सोच थी कि यदि डाकघर, बैंक की तरह संचालित होंगे, तो इसका देश की एक बड़ी आबादी को फायदा पहुुंचेगा। भारतीय रिजर्व बैंक की तमाम कोशिशों के बाद आज भी देश का एक बहुत बड़ा हिस्सा बैंकिंग सेवाओं से वंचित है। खास तौर पर दूरदराज के ग्रामीण इलाकों में जरूरत के मुताबिक बहुत ही कम बैंक हैं। बैंकों के अभाव में लोगों को मजबूरी में निजी साहूकारों से लेन-देन करना पड़ता है।

यही नहीं कुछ जरूरी सुविधाएं भी उन तलक नहीं पहुंच पातीं। जब से सरकार ने सभी भारतीय नागरिकों को प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण योजना यानी डायरेक्ट कैश सब्सिडी स्कीम से जोड़ा है, उनके लिए बैंक खाता जरूरी हो गया है। क्योंकि अब उन्हें जो भी सब्सिडी मिलती है, वह अप्रत्यक्ष तौर पर नहीं बल्कि प्रत्यक्ष तौर पर ही मिलती है। उन्हें मिलने वाली सब्सिडी की रकम सीधे उनके बैंक खाते में ही जाती है।

जाहिर है कि जब बैंक खाता ही नहीं होगा, तो उन्हें इसका फायदा भी नहीं मिलेगा। यही वजह है कि सरकार चाहती थी कि हर भारतीय का अपना एक बैंक खाता हो और यह बैंक खाता उसके नजदीकी बैंक में हो। जिससे उसे पैसे के लेनदेन में कोई परेशानी न हो। डाकघर देश के हर हिस्से में मौजूद है। इन डाकघरों को बैंक में तब्दील करना सरकार के लिए ज्यादा मुश्किल काम नहीं है।

जबकि नए बैंक खोलने के लिए पैसा और समय दोनों ही चाहिए। डाकघरों को भारतीय पोस्ट पेमेंट बैंक के रूप में तब्दील कर सरकार ने देश का बहुत सारा पैसा और समय बचा लिया है। आइपीपीबी के क्रियाशील हो जाने के बाद मनरेगा में दी जाने वाली मजदूरी, छात्रवृत्तियां, सामाजिक कल्याण योजनाओं और अन्य सरकारी सब्सिडी भी हर ग्राहक तक डाकिये के माध्यम से उपलब्ध कराई जा सकेगी। सरकार के इस अकेले फैसले से भारतीय बैंकिंग व्यवस्था और लोगों की बचत एवं निवेश की आदतों में बहुत बड़ा बदलाव आएगा।

जाहिद खान

 

 

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