कृषि वैज्ञानिकों ने ईजाद की नई किस्में भी देशभर में मशहूर | Haryana Day
हिसार (सच कहूँ/संदीप सिंहमार)। ब्रिटिश हुकूमत से लेकर आजाद होने तक देश के सबसे बड़े राज्यों में शुमार पंजाब प्रान्त से अलग हुए हरियाणा राज्य को 57 साल पूरे हो गए हैं। इस दौरान हरियाणा राज्य ने खेलों के साथ-साथ खाद्यान्न में भी अपने सफलता के झंडे गाड़े हैं। वर्तमान में भी एक छोटा सा प्रदेश हरियाणा खाद्यान्न उत्पादन व भंडारण की स्थिति में देश का सबसे बड़ा राज्य बनकर उभरा है। हरित क्रांति की शुरुआत हरियाणा से ही मानी जाती है। वर्तमान में भी गेहूँ, सरसों व बासमती चावल के उत्पादन में देश भर में हरियाणा अग्रणी राज्यों में शामिल है। Haryana Day
यही एक वजह है कि यहां के खेती व किसानों के साथ-साथ इस प्रदेश के कृषि वैज्ञानिकों की भी देश में अहम भूमिका है। हरियाणा के हिसार में स्थित चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय ने फसलों की नई किस्में ईजाद करने में प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों को पछाड़ा है। प्रदेश में हरित क्रांति की सफलता व खाद्यान उत्पादन में अपार वृद्धि चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा अधिक पैदावार वाली विभिन्न फसलों की किस्में विकसित करना, नई-नई तकनीकें इजाद करना, और प्रदेश के किसानों की कड़ी मेहनत का परिणाम है।
वर्तमान वर्ष में खाद्यान 323 मिलियन टन होने की उम्मीद | Haryana Day
हकृवि के कुलपति प्रो. बी.आर. काम्बोज ने हरियाणा दिवस के उपलक्ष्य कहा कि यह बड़े गर्व का विषय है कि आज चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हरियाणा प्रदेश के साथ नए संकल्पों व लक्ष्यों के साथ नए वर्ष में प्रवेश कर रहा है। उन्होंने कहा कि हरियाणा प्रदेश का 1 नवंबर 1966 को जब अलग राज्य के रूप में गठन हुआ था। उस समय खाद्यान्न उत्पादन मात्र 25.92 लाख टन था, जोकि वर्ष 2022-23 में बढ़चढ़ कर 323 मिलियन टन होने की उम्मीद है।
गेहूँ की औसत पैदावार 46.8 क्विंटल प्रति हेक्टेयर
हरियाणा की गेहूं की औसत पैदावार 46.8 क्विंटल प्रति हैक्टेयर एवं सरसों की औसत पैदावार 20.6 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है। खाद्यान्नों के अधिक उत्पादन के चलते हरियाणा राज्य केंद्रीय खाद्यान्न भंडार में योगदान देने वाला दूसरा सबसे बड़ा राज्य है। उन्होंने कहा कि हरियाणा बासमती चावल के लिए भी विशेष रूप से विख्यात है तथा देश के 60 प्रतिशत से अधिक बासमती चावल का निर्यात केवल हरियाणा से ही होता है।
सफलता की रीढ़ कृषि वैज्ञानिक | Haryana Day
कुलपति प्रो. काम्बोज ने कहा कि यह विश्वविद्यालय आज सफलता से भरा वर्ष पीछे छोड़ रहा है। इन सफलताओं के पीछे रीढ़ की तरह काम करने वाले अपने शिक्षक व गैर शिक्षक कर्मचारियों का आभार बनता है, जिन्होंने अधिकार व दायित्व में सामंजस्य बनाए रखकर विश्वविद्यालय के शिक्षा, अनुसंधान व विस्तार कार्यक्रमों में अनेक उपलब्धियां हासिल करने के साथ विश्वविद्यालय में विभिन्न कार्यक्रमों के सफल आयोजन में योगदान दिया।
म्हारा बाजरा व चारा भी कम नहीं
हकृवि के बाजरा और चारा अनुभागों को इनकी सर्वश्रेष्ठ उपलब्धियों के परिणामस्वरूप दूसरी बार राष्ट्रीय स्तर पर सर्वश्रेष्ठ अनुसंधान केंद्र अवार्ड प्रदान किया गया। इसी प्रकार, विश्वविद्यालय को सरसों में उत्कृष्ट अनुसंधानों के लिए सर्वश्रेष्ठ केंद्र अवार्ड से नवाजा गया। विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने सरसों की आरएच 1975, आरएच 1424 व आरएच 1706 नामक तीन नई उन्नत किस्में विकसित करने में सफलता प्राप्त की है। कुलपति ने कहा कि हकृवि ने देशभर में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा वर्ष 2023 के लिए जारी नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) में कृषि शोध संस्थानों में 10वां स्थान प्राप्त किया है। Haryana Diwas
हकृवि का विश्वस्तरीय नाम चमका
विश्वविद्यालय में संरचनात्मक सुविधाओं में विस्तार करते हुए प्रशासनिक भवन में आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित नया सम्मेलन कक्ष भी बनाया गया है। उन्होंने कहा कि चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय का नाम आज विश्व स्तरीय विश्वविद्यालयों में शुमार है। यहां के छात्रों का न केवल देश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा के लिए चयन हो रहा है अपितु विदेशों में भी फैलोशिप पर जा रहे हैं और दूसरे देशों के छात्र भी यहां पढऩे आ रहे हैं।
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