सुरक्षा व अभिव्यक्ति की आजादी

Freedom of protection and expression

माननीय सुप्रीम कोर्ट ने वरवरा राव छह माओवादी समर्थकों को जेल से रिहा करने पर उन्हें घरों में नजरबंद करने का आदेश दिया, जो महत्वपूर्ण निर्णय है। नि:संदेह देश की एकता अखंडता व सुरक्षा के मुद्दे पर कोई ढील नहीं बरती जानी चाहिए। देश विरोधी कार्रवाईयों पर पैनी नजर रखने की जरूरत है लेकिन इससे अभिव्यक्ति की आजादी व विरोध व्यक्त करने के तरीकों को गैर-कानूनी कार्रवाईयों के दायरे से बाहर रखने के लिए सरकारें, सुरक्षा व खुफिया एजेंसियों को संयम दिखाने की जरूरत है। फैसला सुनाते ही सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी व्यवस्था के खिलाफ विरोध को लोकतंत्र में ‘सेफ्टी वाल्व’ करार दिया जहां तक नक्सलवाद का संबंध है इस खूनी आंदोलन का किसी भी तरह से समर्थन नहीं किया जा सकता किंतु जहां तक माओवादी समर्थकों का संबंध है उनके बारे में यह बात उभरकर आती है कि ये सभी विचारक बुद्धिजीवी व लेखक हैं, जो सरकार की प्राकृतिक स्रोतों के दोहन की नीतियों के खिलाफ व आदिवासियों के अधिकारों के हक में बोलते हैं। इन लेखकों की प्रकाशित हुई पुस्तकों में ऐसा कुछ भी नहीं जो किसी अलग देश की मांग करता हो। अभिव्यक्ति की आजादी भारत की राजनीतिक परपंरा की मुख्य विशेषता है, जिसे कायम रखना जरूरी है। दूसरी ओर महाराष्टÑ पुलिस अभी भी इस बात पर कायम है कि उक्त विचारकों के विदेशी ताकतों से ताल्लुक हैं और वह देश में किसी बगावत के लिए डटे हुए हैं। जहां तक देश के विभिन्न राज्यों की पुलिस बहुधा राजनीतिक दबाव में व बिना सुबूतों के अपनी कार्रवाई करती है। पुलिस की दबंग कार्रवाईयों से न जाने कितने ही निर्दोष लोग सालों तक जेल काट आए और आखिर अदालत ने उन्हें बरी कर दिया। पुलिस की कहानी बदलती हुई आईपीएस अधिकारियों तक सभी अदालतों के चक्कर निकालते देखी जाती है। सन् 2007 में पंजाब की दो महिलाओं को पुलिस ने मानव बम करार दे दिया जो पेशे के तौर से अध्यापक थीं। पुलिस की कहानी का पदार्फाश हुआ तो पुलिस विभाग मुंह छिपाता नजर आया। ऐसी घटनाएं तब ही घटती हैं जब अफसरशाही को राजनीतिक रूप से गैर जवाबदेह बना दिया जाता है। यूं भी यह बात चिंता का विषय है कि निजी क्षेत्र अपनी तिजोरी भरने के लिए अपने खिलाफ उठ रही आवाजों को दबाने के लिए नए-नए रास्ते निकाल रहा है। विचारक भी एक कड़ी का काम करें व वह हिंसक आंदोलन को खत्म करवाने की पहल करें। सरकारों को चाहिए कि वह मामले का हल करने के लिए किसी कड़ी को तलाशें व उसकी सेवाएं लें।

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