भीड़ पर गोली चलाने का लापरवाही भरा चलन

देश में पुलिस द्वारा भीड़ पर गोली चलाने का चलन आम हो गया है। तामिलनाडू में एक फैक्ट्री द्वारा फैलाए जा रहे प्रदूषण का विरोध कर रही जनता पर पुलिस द्वारा गोली चलाने से 11 जनों की मौत हो गई। गोली चलाने के लिए परिस्थितियां भी खराब नहीं हुई थी। भीड़ ने किसी पर गोली नहीं चलाई व न ही कोई पुलिस कर्मी घायल हुआ। भीड़ को रोकने की बजाए उनको जान से मारने का ही काम पुलिस द्वारा किया गया।

पुलिस के नियम अनुसार गोली पेट के नीचे वाले हिस्से पर चलाई जाती है, ताकि प्रदर्शनकारी की मौत न हो, लेकिन मरने वालों में बहुत से लोगों के सिर, गर्दन, छाती व पीठ पर गोलियां लगी हुई मिली हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इसे सरकारी आतंकवाद करार दिया है।

इस दु:खद घटना के लिए सिर्फ पुलिस ही नहीं बल्कि सरकार व जनप्रतिनिधि भी बराबर गुनाहगार हैं। जब लोग पिछले 100 दिनों से प्रदूषण व फै क्ट्री के विरुद्ध आंदोलन कर रहे थे तब सरकार या क्षेत्र के एमपी या विधायक ने मसला सुलझाने की कोई कोशिश क्यों नहीं की?

दु:ख की बात यह है कि एक तरफ प्रदूषण से लोग मर रहे हैं दूसरा अगर इस समस्या को लेकर लोग विरोध करते हैं तब पुलिस की गोली तैयार है। ऐसा ही हाल पंजाब में एक शुगर मिल द्वारा लाखों टन शीरा ब्यास दरिया में बहाकर उसे प्रदूषित कर दिया, जिससे पंजाब के पांच व राजस्थान के नौ जिलों के लोग जहर पीने को मजबूर हो रहे हैं। नदी के करोड़ों जीव इससे मर गए। दरअसल आम जनता को कारखानेदार कीड़े-मकौड़े समझने लगे हैं।

प्रशासन व पुलिस अधिकतर पंजीपतियों के पक्ष में चलते हैं। आम आदमी के दु:ख दर्द को कोई सुनने के लिए तैयार नहीं। तामिलनाडू की संबंधित फै क्ट्री का विस्तार रोकने के लिए राज्य सरकार पहले ही प्रदूषण कन्ट्रोल बोर्ड को लिख चुकी थी, फिर यह मामला रफा-दफा किस तरह किया गया?

इसका जवाब सरकार का कोई पदाधिकारी नहीं दे रहा। भीड़ से निपटने के लिए सिर्फ पुलिस बल ही जरूरी नहीं व न ही सारा मामला अधिकारियों पर छोड़ा जा सकता है। मुख्यमंत्री व केबिनेट द्वारा आवश्यक आदेश देकर अनहोनी को टाला जा सकता था। लेकिन देश में यह चलन हो गया है कि पहले भीड़ पर गोली चलवाओ, फिर जांच , फिर श्रद्धांजलि, अंत में मुआवजे की घोषणा कर दी जाती है।

देश में बार-बार घट रही ऐसी घटनाआें को देखकर ऐसा लग रहा है कि सरकारों ने इसे ही अपनी ड्यूटी ही मान लिया है, चूंकि अगर एक घटना से सीख ली जाए तब दूसरी घटना घटित ही न हो। सरकार को आम जनता के प्रति पूर्ण जिम्मेवारी व निष्पक्षता वाला व्यवहार अपनाना चाहिए। सरकार का यही धर्म है।

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