जमा ए सच लिखणीया सै भाई ‘सच कहूँ’

Fifteen Years, Complete, Sach Kahoon, Anniversary
  • आस-पास की खबरां कै गेल्यां बतावै सै दुनिया का हाल

कुरुक्षेत्र(देवीलाल बारना)। एक बात सै भाई रूलदू, जद तै दैनिक सच कहूँ अखबार लोगां के बीच मंै पहुंचण लाग्या सै। तब तै बालक पूरे चाव तै अखबार पढ़ण लागे सैं। इतना ही नहीं सच कहूँ बालकां की पढ़ाई के साथ-साथ मनोरजंन भी कराण का काम करैं सै। या बात दैनिक सच कहूँ पढते होए चौपाल मै बैठया ताऊ रामलाल रूलदूं गेल्या बतलाण लाग रया था। ताऊ की बात सुणकै नै दो साल पहलां इंजिनियर बणया वैभव भी ताऊ के धोरै आकै बोल्या के ताऊ ठीक कह सै।

लेकिन इसतै भी खुशी की बात तो या सै के आज दैनिक सच कहूं नै शुरू होए नै पूरे 15 साल हो लिए। 15 साल की बात सुणकै नै ताऊ रामलाल अचंभित होकै बोल्या के अच्छा भाई, अखबार शुरू होए नै 15 साल हो लिए! जमाए कल की बात लागै सै भाई। घणा लंबा सफर तय कर ग्या भाई इब तो सच कहूँ। वैभव फेर बोल्या के आज तै 15 साल पहलां जिब सच कहूँ साप्ताहिक अखबार के रूप मैं शुरू होया था। तब मै सातवीं कक्षा मैं पढ़या करता। पूज्य गुरु जी नै सच कहूँ अखबार शुरू करवा कै लोगां पै उपकार करण का काम करया सै। पूज्य गुरु जी द्वारा सच कहूँ के रूप मै लगाया गया छोटा सा पौधा आज उनकी रहमत तै जमा फल-फूल रहया सै।

आज दैनिक सच कहूँ की अनेकों शाखाएं पाठकां तार्इं नई-नई सामग्री देवण का काम कर री सैं

आज दैनिक सच कहूँ की अनेकों शाखाएं पाठकां तार्इं नई-नई सामग्री देवण का काम कर री सैं। साप्ताहिक शुरू हो या सच कहूँ अखबार पहलां 12 पेज का दैनिक अखबार बणया, इसके बाद चार पेज रंगीन बणे, अर इब 6 पेज रंगीन होगे सैं। ताऊ मेरे आज भी याद सै जिब मै दसवीं कक्षा मै पढ़या करता तो दैनिक सच कहूँ ने ही मेरे अंदर कलम चलाण का जज्बा भरया था।

उस टैम दैनिक सच कहूँ मैं आपकी सोच एक कॉलम शुरू करया था। जिसमें पाठक अपणे-अपणे विचार भेज्या करते। उन पाठकां मै वैभव भी एक नाम था। उस टैम की लिखण की आदत आज मेरी सफलता का बहुत बड़ा कारण सै। आज मंै जो इंजीनियर बणया सूृँ, इसमैं कहीं ना कहीं सच कहूँ का बहुत बड़ा हाथ सै। इब ताऊ रूलदू बोल्या के ठीक कह सै भाई रामलाल सच कहूँ जिब तै घरां मे आवण लागया सै।

दैनिक सच कहूँ मैं तै रूहानी मजलिस पढ़ कै नै सारा टाबर खुशी तै झूमै सै

घर मंै खुशी का माहौल रह सै। दैनिक सच कहूँ मैं तै रूहानी मजलिस पढ़ कै नै सारा टाबर खुशी तै झूमै सै। सच कहूँ आस-पास की खबरां दिखावण के साथ-साथ विश्व का पूरा हाल बतावै सै। नौजवानां नै करियर गाइडस के माध्यम तै सही राह दिखावै सै। किसान भाई भी कृषि जगत पढ़कै आधुनिक खेती की राह पै चालण लाग रे सैं।

हारी-बिमारी भी सारे घरां मैं गेल्यां लाग री सैं, इसके लिए भी स्वास्थ्य के टिप्स दिए जा सैं। घर की लुगाईयां ताईं घर-रसोई के टिप्स दिए जा सैं। सच कहूँ का साहित्य जगत पेज पढ़कै साहित्य का भी बोध होवै सै। इसके अलावा भी शनिवार नै जिब तुतलाती जुबाँ पेज सच कहूँ मैं आवै सै तो घर के बालकां का तो ठिकाना ही ना रहता। आजकल एक फोटो कैप्शन प्रतियोगिता चला राखी सै जिसके माध्यम तै कविता लिखण का जोश युवाओं मैं भरण लाग रया सै। भाई साची, सच कहूँ तो जमाए काम की चीज सै।

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