कन्या भ्रूण हत्या-समाज का अभिशाप

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मां के गर्भ में पल रही कन्या की जब हत्या की जाती है तब वह बचने के कितने जतन करती होगी, यह माँ से अच्छी तरह कोई नही जानता। नन्हा जीव जो माँ के गर्भ में पल रहा है, जिसकी हत्या की जा रही है, उनमें कोई कल्पना चावला, पी टी उषा, लता मंगेशकर तो कोई मदर टेरेसा भी हो सकती थी।

हाल ही में अमेरिका में पोट्रेट एजुकेशन प्रजेंटेशन की द साइलेंट स्कीम फिल्म में गर्भपात की कहानी को दर्शाया गया है। इस अमेरिकी फिल्म में बताया है किस तरह गर्भपात के समय भ्रूण अपने आप को बचाने का प्रयास करता है। गर्भ में विचलित अजन्मे बालक की दशा माँ अच्छी तरह से जानती है।

अजन्मा बच्चा हमारी तरह ही सामान्य इंसान है। ऐसे में भ्रूण की हत्या महापाप है। देश में लिंगानुपात की स्थिति निरंतर बिगड़ रही है। इस समस्या को लेकर केंद्र एवम् राज्य सरकारें भी चिन्तित है। इस गंभीर समस्या के हल हेतु अनेक प्रयास किये जा रहे है। निरंतर हो रहे प्रयासों के बावजूद इस दिशा में आशाजनक सफलता नही मिल रही है।

भारत में लिंगानुपात में कमी का क्रम सन्1961 से चल रहा है। सन् 1991 में 1000 लड़कों के अनुपात में लड़कियों की संख्या 945 थी, जो सन 2001 में घटकर 927 और 2011 में 918 हो गई। इस अनुपात में निरंतर गिरावट समाज के लिये चिन्ता का विषय है। लिगांनुपात में निरंतर गिरावट समाज की भेदभाव पूर्ण मानसिकता के कारण आई है। समाज में यह भेदभाव महिलाओं एवम् लड़कियों के प्रति समाज की दूषित मानसिकता का ही परिचायक है।

एक ओर जहाँ समाज में लड़कियों के साथ भेदभाव पूर्ण व्यवहार हो रहा है दूसरी ओर आधुनिक तकनीकी चिकित्सा पद्धति का व्यापक रूप से दुरुपयोग कर कन्या भ्रूण हत्या का कारोबार जोर शोर से जारी है। सरकार द्वारा कन्या भ्रूण हत्या अवैध घोषित है मगर यह अवैध कारोबार सारे देश में चल रहा है। इस प्रकार लिंगानुपात में अंतर स्वाभाविक है।

भारतीय संस्कृति में यह मान्यता है अनेक जटिल समस्याओं के निदान के लिये देवी पूजा की जाती है। देवी की पूजा करने बाले भी कन्या के जन्म को अभिशाप मानते है। इस संकीर्ण मानसिकता के लिये प्रेरित करने के लिए दहेज प्रथा भी एक मुख्य कारण है।

गत दिनों हरियाणा के पानीपत नगर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने (बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ) अभियान का शुभारम्भ किया है। भारत सरकार ने यह अभियान पानीपत सहित देश के 100 जिलों में शुरू किया है, जहाँ लड़कों लड़कियों के लिंगानुपात में काफी अंतर है। इस अभियान में हरियाणा के पानीपत सहित 12 जिले सम्मिलित है । सन् 2011 की जनगणना के अनुसार देश के अन्य राज्यों के मुकाबले हरियाणा में एक हजार लड़कों के मुकाबले 879 लड़कियां है। जबकि लड़कियों का राष्ट्रीय औसत 941 है।

भारत सरकार द्वारा घोषित बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना निश्चित रूप से देश मे बेटी को बचाने के साथ साथ बेटी को खोया स्थान दिलाने का प्रयास है। भारत सरकार की इस अनूठी योजना की सराहना होना चाहिये। इस योजना के लागू होने से लड़कियों को सम्मान जनक स्थान मिलेगा। मगर आज सबसे बड़ी चुनौती समाज में बेटा एवं बेटी को समान नही मानना है। संयुक्त राष्ट्र संघ की एक रिपोर्ट के अनुसार कन्या भ्रूण हत्या भारत में काफी अधिक है। भारत में एक हजार पुरुषों के मुकाबले मात्र 918 महिलाएं है।

एक सर्वेक्षण की रिपोर्ट में भारत में पिछले 30 वर्षो में 1.20 करोड़ लड़कियों की गर्भ में ही हत्या होने का अनुमान बताया है। कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिए समाज की भेदभावपूर्ण मानसिकता बदलने के साथ साथ कानून से भी कठोर कदम उठाने की वर्तमान परिपेक्ष्य में आवश्यकता है।

-विजय कुमार जैन

 

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