कुछ राजनीतिक नेता समाज को बांटने की नीति अपना रहे हैं। उन्हें जरा सा भी दर्द नहीं आता कि पंजाब ने एक दशक तक हिंसा के काले दौर को देखा था। हालांकि उन्होंने आतंकवाद के घावों को भी देखा व खुद को आतंकवाद के कट्टर विरोधी व शांति का मसीहा समझते हैं। फिर भी राजनीति में पकड़ मजबूत बनाने के लिए अपनी आदतों के अनुसार समाज को बांटने की कोशिश में जुटे रहते हैं। ऐसा ही कुछ इन दिनों पंजाब के नेता सुनील जाखड़ कर रहे हैं। वह उस पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष हैं जो धर्म निरपेक्षता व भाईचारे को कायम रखने को अपना सिद्धांत मानती है लेकिन सुनील जाखड़ पंजाब में गुमराहकुण व झूठा प्रचार कर कुछ संगठनों के दिलों में डेरा सच्चा सौदा व डेरा श्रद्धालुओं के प्रति गलतफहमी फैलाने के हथकंडे अपना रहे हैं।
जाखड़ पहले तो मीडिया में खूब शोर मचा रहे थे कि एसएसजी फिल्म को चलाने के लिए डेरा सच्चा सौदा व अकाली दल के बीच डील हुई थी। यह बात सुनील जाखड़ जस्टिस रणजीत सिंह आयोग की रिपोर्ट का हवाला देकर कहते थे कि मुंबई में अभिनेता अक्षय कुमार के घर सुखबीर बादल व डेरा सच्चा सौदा में एमएसजी फिल्म चलाने संंबंधी डील हुई थी। लेकिन यह रिपोर्ट आने से पहले ही अक्षय कुमार ने मीडिया में स्पष्ट किया कि उसके घर कोई मीटिंग नहीं हुई व न ही सुखबीर बादल उसे कभी निजी तौर पर मिले है। सुनील जाखड़ अक्षय कुमार के बयान पर प्रतिक्रिया देने की बजाए लगातार विरोधी राग अलाप रहे है। क्या जाखड़ यह बताएंगे कि अक्षय कुमार झूठ बोल रहा है या सच?
जाखड़ को जब यह पता लगा कि डील होने का झूठ नहीं चला उसके बाद अब वह यह बोल रहे हैं कि एमएसजी फिल्म चलाने के लिए पुलिस ने बहबल कलां में गोली चलाई। आयोग की रिपोर्ट पढ़ने पर यह पता चलता है कि बहबल कलां में मारे गए दो व्यक्तियों के परिवारिक सदस्यों ने किसी भी थाने में यह शिकायत नहीं दी कि उनके सदस्यों की मौत फिल्म के कारण हुई है। जाखड़ का इससे बड़ा झूठ और क्या हो सकता है कि वह बहबल कलां के इक्ट्ठ को फिल्म से जोड़ रहे हैं। कोटकपूरा व बहबल कलां में धरना श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की बेअदबी के खिलाफ लगाया था, उन्होंने दोषियों की गिरफ्तारी की मांग की थी लेकिन जाखड़ समाज की अमन-शांति को भंग व जनता को भड़काने के लिए कह रहे हैं कि यह सब कुछ फिल्म के कारण हुआ।
जाखड़ 2015 में न तो धरने में गए और न ही धरनाकारियों को मिले लेकिन वह घर बैठे-बिठाए कहानी बनाने में मशगूल रहे। दरअसल जाखड़ 2017 में हुई अपनी हार से बौखलाए हुए हैं। डेरा प्रेमियों ने इन चुनावों में अकाली-भाजपा को समर्थन दिया था। लेकिन जाखड़ को यह बात भूलनी नहीं चाहिए कि 2007 में डेरा श्रद्धालुओं ने कांग्रेस को समर्थन दिया था। साध-संगत ने उनको हलका अबोहर से वोट देकर जिताया था। क्या जाखड़ बताएंगे कि उस वक्त उनकी वोट संबंधी डील हुई थी? बहस तथ्यों व सबूतों पर ही हो सकती है लेकिन झूठ-प्रचार करने के लिए किसी तथ्य की जरूरत नहीं होती। जाखड़ पार्टी के जिम्मेवार नेता होने के साथ-साथ गुरदासपुर से सांसद भी हैं। राजनीति चलाने के लिए अमन-शांति को दांव पर न लगाएं।
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