सैकिंडों में सन्नाटे के साए में शहर, 50 लाख जिंदगियां हुई तबाह

दुनिया की अब तक की सबसे भयानक परमाणु दुर्घटना

  • चारों तरफ 36 वर्ष बाद भी रेडिएशन का असर

कीव(एजेंसी)। एक 26 अप्रैल 1986 की सुबह का हृदयविदारक हादसा, (Chernobyl disaster) जिसे दुनिया की अब तक की सबसे भयानक परमाणु दुर्घटना माना जाता है। घटना है आज से लगभग 36 वर्ष पहले की। जब सुबह-सुबह चेर्नोबिल परमाणु संयंत्र में अचानक विस्फोट हुआ और सिर्फ 39 सैकिंड में पूरा शहर सन्नाटे की गोद में समा गया।

एक प्रणाली के परीक्षण के दौरान चेरनोबिल परमाणु संयन्त्र, के चौथे हिस्से से शुरू हुई। वहाँ अचानक विद्युत उत्पादन में वृद्धि हो गई थी और जब उसे आपात्कालीन स्थिति के कारण बन्द करने की कोशिश की गई तो उल्टे विद्युत के उत्पादन में अत्यधिक वृद्धि हो गई। इससे एक संयन्त्र टूट गया और अनियन्त्रित नाभिकीय विस्फोट शृंखला आरम्भ हो गई। ये घटनाएँ संयन्त्र के ग्रेफाइट में आग लगने का कारण हो सकती हैं। तेज हवा और आग के साथ रेडियोधर्मी पदार्थ तेजी से आस-पास के क्षेत्रों में फैल गए। इसमें भारी संख्या में जान माल की क्षती हुई और लगभग 350,400 लोग विस्थापित कर अलग स्थानों पर बसाये गए। इस दुर्घटना से सर्वाधिक प्रभावित बेलारूस हुआ। इसके अलावा, दूसरा सबसे खतरनाक न्यूक्लियर डिजास्टर जापान में 2011 में फुकुशिमा दाइची (Fukushima Daiichi Nuclear Disaster) परमाणु आपदा है।

रेडिएशन से प्रभावित पीढ़ियाँ कब तक ठीक होंगी | Chernobyl disaster

कई वर्षों के वैज्ञानिक रिसर्च तथा सरकारी जांच के बावजूद भी इस हादसे को लेकर बहुत से सवालों के जवाब अभी तक भी नहीं मिले हैं। और सबसे बड़ा सवाल कि यहां के विकिरण अर्थात रेडिएशन का असर कब समाप्त होगा। उन लोगों की पीढ़ियाँ कब ठीक होंगी जो परमाणु रेडिशन की शिकार हो गई, कब तक उनका वजूद बन पाएगा। इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता।

वर्ल्ड न्यूक्लियर एसोसिएशन की मानें तो चेर्नोबिल न्यूक्लियर पॉवर प्लांट यूक्रेन की राजधानी कीव से 130 किमी उत्तर और पड़ोसी देश बेलारूस से 20 किमी दक्षिण की ओर स्थित है। यह प्लांट रिएक्टरों से बना है, जो 1970 से 1980 के बीच बना हुआ है। इसके नजदीक ही एक इंसानों द्वारा बनाया गया तालाब है। यह लगभग 22 वर्ग किमी बड़ा है, जिसमें प्रीप्यत नदी का पानी आता है। इस तालाब का पानी परमाणु संयंत्रों के रिएक्टर में कूलिंग के लिए काम आता था।

चेर्नोबिल पॉवर प्लांट में चार आरबीएमके-1000 न्यूक्लियर रिएक्टर लगे थे

प्रीप्यत शहर को 1970 में बाया गया था, यह चेर्नोबिल परमाणु संयंत्र से मात्र 3 किमी की दूरी पर स्थित था। यहां पर वर्ष 1986 में लगभग 50 हजार लोग रहते थे। प्लांट से करीब 15 किमी दूर चेर्नोबिल कस्बा था, जहां पर लगभग 12 हजार लोग रहते थे। बाकी का हिस्सा खेती-बाड़ी के लिए इस्तेमाल किया जाता था। या फिर जंगल था। चेर्नोबिल पॉवर प्लांट में सोवियत डिजाइन के चार आरबीएमके-1000 न्यूक्लियर रिएक्टर लगे थे, जिसे अंतर्राष्टÑीय स्तर पर गलत और कमजोर पाया गया है। आरबीएमके रिएक्टर्स प्रेशर ट्यूब डिजाइन के थे। जिनमें यूरेनियम-235 डाइआक्साइड को पानी गर्म करने के लिए र्इंधन की तरह उपयोग किया जाता था, जिससे भाप निकलती थी। इससे रिएक्टर के टर्बाइल चलते थे तथा बिजली पैदा होती थी।

बहुत सारे परमाणु संयंत्रों में पानी का उपयोग कूलेंट की तरह होता है ताकि रिएक्टिविटी को नियंत्रित किया जा सके। ज्यादा गर्मी और भाप को कम किया जा सके। लेकिन आरबीएमके-1000 कोर रिएक्टिविटी को कम करने के लिए ग्रेफाइट को उपयोग करता था लेकिन न्यूक्लियर कोर जैसे ही ज्यादा गर्म होता है तो भाप के बुलबुले बनने लग जाते हैं। जिसके कारण कोर ज्यादा रिएक्टिव होने लगता है।

जरूरी कंट्रोल सिस्टम्स को बंद कर दिया था, जो सुरक्षा के नियमों के खिलाफ था

UN Scientific Committee on the Effects of Atomic Rediation के अनुसार 26 अप्रैल 1986 को चेर्नोबिल परमाणु संयंत्र की रूटीन मेंटेंनेंस जांच चल रही थी, तभी अचानक विस्फोट हुआ। हुआ ऐसा कि संयंत्र संचालक किसी इलेक्ट्रिकल सिस्टम की जांच करना चाहते थे इसलिए उन्होंने जरूरी कंट्रोल सिस्टम्स को बंद कर दिया था, जो सुरक्षा के नियमों के खिलाफ हैं। इसकी वजह से रिएक्टर खतरनाक स्तर पर असंतुलित हो गए। रिएक्टर-4 बंद किया गया था ताकि सुरक्षा संबंधी तकनीकों की जांच की जा सके लेकिन इसी समय विस्फोट हो गया हालांकि कुछ लोगों का मानना है कि यह हादसा अधिक भाप और अधिक हाईड्रोजन की वजह से हुआ है।

क्योंकि अधिक भाप तब बनता है जब कूलिंग वाटर खत्म हो, गर्म हो, या कम हो। इससे रिएक्टर के अंदर तेजी से भाप बनता है। कूलिंग पाइप्स के अंदर ज्यादा भाप बनने से बहुत ज्यादा ऊर्जा पैदा हुई और रिएक्टर फट गया। यह हादसा 25 अप्रैल की देर रात 1:23 बजे हुआ था। इससे पूरा रिएक्टर-4 फट गया। चारों तरफ रेडियोएक्टिव पदार्थ, यंत्रों के टुकड़े गिरे। प्लांट और उसके आस-पास की इमारतों में आग लग गई। जहरीली गैसें और धूल निकलने लगी, जो हवा के साथ चारों तरफ फैलने लगे। लोग बीमार पड़ने लगे।

रेडियोएक्टिव पदार्थों की बारिश

चेर्नोबिल परमाणु संयंत्र में हुए विस्फोट से तुरंत दो कर्मचारियों की मौत हो गई। कुछ ही देर में अन्य कर्मचारियों की भी मौत हो गई। अगले कुछ दिनों तक इमरजेंसी सेवाओं के लोग आग बुझाने और रेडिएशन रोकने पर लगे हुए थे। प्लांट के लोगों के मरने की संख्या में तेजी से बढ़ रही थी। लेकिन ग्रेफाइट कीआग 10 दिनों तक जलती रही। इसे बुझाने के लिए करीब 250 फायरफाइटर लगे रहे।

इंसानों की मौजूदगी खत्म

National Geogrpahic के अनुसार आज चेर्नोबिल परमाणु संयंत्र के आसपास का क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के जीव जंतु भर गए है। क्योंकि यहां से इंसानों की मौजूदगी खत्म हो गई है। यहां भेडियों, हिरण, लीन्क्स, बीवर, बाज भालू, एल्क जैसे जानवरों ने अपनी मौजूदगी दिखाई है। उनकी आबादी लगातार बढ़ रही है क्योंकि इस प्लांट के चारों तरफ अब घना जंगल पैदा हो गया है। यहां मौजूद पेड़ों और जानवरों के शरीर में सेसियम-137 का उच्च स्तरीय रेडिशन मौजूद रहता है। वर्ष 2019 में 30 से 40 फीसदी ज्यादा लोग यानि पर्यटक इस इलाके में घूमने गए थे। ताकि वो हादसों को समझ सकें।

यूक्रेन के चेर्नोबिल परमाणु संयंत्र और उसके आसपास के इलाकों में 24 फरवरी 2022 को रूसी सेना ने कब्जा कर लिया और प्लांट के अंदर रखे परमाणु संयंत्र और उसके आसपास के क्षेत्र रूसी सेना ने कब्जा लिए। अगर अंदर रखे परमाणु र्इंधन पर किसी तरह का मिसाइल या बम फटता है तो बड़ी त्रासदी आ सकती है। अगर परमाणु कचराघर किसी भी तरह से युद्ध के दौरान क्षतिग्रस्त होता है तो रेडियोएक्टिव धूल की वजह से यूक्रेन, बेलारूस और यूरोपियन देश नई मुसीबतों का सामना कर सकते हैं।

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