छोटे से भूटान की बड़ी कहानी
भूटान अपनी प्राकृतिक खूबसूरती , शांत वातावरण और सस्ता देश होने के कारण पर्यटकों की पसंदीदा जगह है। यहां पर पूरे बरस पूरी दुनिया से लाखों की संख्या में पर्यटक आते हैं, जिनमें सर्वाधिक भारत से होते हैं। भारत और भूटान के बीच खुली सीमा है लेकिन अब तक दोन...
मदरसों को मुख्य धारा में लाए जाने की आवश्यकता
क्या राज्य द्वारा संचालित मदरसों को बंद कर सामान्य स्कूलों की तरह बनाया जाना चाहिए? जैसा कि असम सरकार ने प्रस्ताव किया है। क्या मुस्लिम विद्वानों और शिक्षाविदों को पूरे देश के मदरसों में आधुनिक शिक्षा देने के लिए एक रूपरेखा बनानी चाहिए? केन्द्र ने एक...
संविधान ही है लोक एवं देश का मार्गदशक
संविधान सभा में विभिन्न रियासतों से 389 सदस्य थे लेकिन देश विभाजन के बाद 299 सदस्य ही बचे। उल्लेखनीय है कि हैदराबाद रियासत का कोई भी प्रतिनिधि संविधान सभा का सदस्य नहीं था। डॉ. राजेंद्र प्रसाद संविधान सभा के अध्यक्ष थे। संविधान निर्माण हेतु पहली बैठक...
बढ़ती असहिष्णुता: प्रिय! हम बहुत संवेदनशील हैं
हमारे नेताओं को इस बात को देखना होगा कि किस तरह विश्व के नेता अधिक सहिष्ण्ुा हैं। राजनीतिक स्वतंत्रता के दो महत्वपूर्ण उदाहरण अमरीकी राष्ट्रपति हैं जिनका विश्व स्तर पर निर्ममता से उपहास किया गया और दूसरा उदाहरण इटली के पूर्व राष्ट्रपति प्लेब्वाय पीएम...
कोरोना की गिरफ्त में देश का दिल दिल्ली
दुनिया के कई देशों में कोरोना वायरस(Coronavirus) का फिर से संक्रमण बढ़ गया है। इसके चलते यूरोप के कई देश फिर से लॉकडाउन लगा रहे हैं। पहले फ्रांस ने लॉकडाउन का एलान किया। उसने 1 दिसंबर तक लॉकडाउन कर दिया है। इंग्लैंड ने भी दोबारा लॉकडाउन लगा दिया है। द...
शंघाई सहयोग संगठन शिखर बैठक: निरर्थक कवायद
पाकिस्तन का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा कि शंघाई सहयोग संगठन के एजेंडा में द्विपक्षीय विवादों को लाने का प्रयास किया जा रहा है जो संगठन के चार्टर के विरुद्ध है। उन्होंने इस क्षेत्र में भारत की विदेश नीति के उद्देश्यों पर बल देते हुए कहा कि भारत शांति...
पर्यावरणीय संकट: व्यावहारिक योजना आवश्यक
इस वर्ष महामारी के बावजूद पर्यावरण के संबंध में चिंताएं जस की तस बनी हुई हैं और यह प्राधिकारियों के एजेंडा में भी नहीं है। हाल की रिपोर्टों के अनुसार प्रदूषण और प्राकृतिक आपदाओं के कारण (Environmental crisis) पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुंचा है तथा अध...
बदलनी होगी शिक्षा की तस्वीर
भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद की याद में देश 11 नवंबर को (National Education Day) राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाता है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने 11 सितंबर, 2008 को घोषणा की कि भारतीय शिक्षा के संदर्भ उनके योगदान को याद करने के लिए उ...
भारत-अमेरिका द्विपक्षीय सम्बंधों का नया सूरज
मैं ट्रम्प को हुई निराशा को समझता हूँ मुझे भी एक-दो बार हार झेलनी पड़ी है लेकिन अब आइये एक-दूसरे को एक मौका दें। यह कथन नवनिर्वाचित अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन का है जो चुनावी रंजिश और प्रतियोगिता को भुलाकर एकजुटता को दशार्ने की ओर इशारा कर रहा है।
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दुरुस्त करनी होगी न्यायिक प्रक्रिया
लोगों को उनके मौलिक अधिकारों के बारे में जागरुक करने और उन्हें सामान्य जीवन में न्याय व्यवस्था से रूबरू कराने के मकसद से प्रतिवर्ष 9 नवंबर को राष्ट्रीय न्यायिक दिवस के रूप में मनाया जाता है। 9 नवंबर को ही यह दिन मनाए जाने के पीछे वजह है कि 1955 में न...
बिहार चुनाव: चाणक्य बनकर कौन उभरेगा?
जिस सर पर ताज होता है वह अकेलापन महसूस करता है, इस बात को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से बेहतर कौन समझ सकता है जो बिहार के चाणक्य और सुशासन बाबू की अपनी पदवी को बचाने के लिए कड़ा संघर्ष कर रहे हैं। वह भी ऐसे राज्य में जहां पर राजनीति लोगों की रग-...
नासा का चंद्रमा पर पानी होने का दावा
हाल ही में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने पहली बार चांद की सतह पर प्रत्यक्ष पानी का साक्ष्य खोजने का दावा किया है। चांद पर पानी की यह खोज नासा की स्ट्रेटोस्फियर ऑब्जर्वेटरी फॉर इंफ्रारेड एस्ट्रोनॉमी (सोफिया) ने की है। नासा आर्टेमिस कार्यक्रम के तहत ...
मायावती का क्यों उमड़ा भाजपा प्रेम ?
मायावती हमेशा राजनीतिक अभिशाप के घेरे में रहती हैं जिससे निकलने की वह पूरी कोशिश तो करती है पर निकल नहीं पाती हैं। पहला राजनीतिक अभिशाप केन्द्रीय सरकार के समर्थन में प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रहना और दूसरा अभिशाप मायावती के विधायकों-सांसदों का टूटना, विरो...
समझौते की बुनियाद पर निर्मित होते संबंध
पिछले दिनों भारत और अमेरिका ने रक्षा सुरक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ते हुए बेसिक एक्सचेंज एंड को-ऑपरेशन एग्रीमेट (बेका) समझौते पर हस्ताक्षर किए। समझौता न केवल भारत बल्कि अमेरिकी नजरिए से भी काफी अहम माना जा रहा है। जिन परिस्थितियों में यह समझौता हुआ उस...
लगातार महंगे होते चुनावों की त्रासदी!
चुनाव जनतंत्र की जीवनी शक्ति है। यह राष्ट्रीय चरित्र का प्रतिबिम्ब होता है। जनतंत्र के स्वस्थ मूल्यों को बनाए रखने के लिए चुनाव की स्वस्थता, पारदर्शिता और उसकी शुद्धि अनिवार्य है। चुनाव की प्रक्रिया गलत होने पर लोकतंत्र की जड़े खोखली होती चली जाती हैं...