नहीं बदलेगा नेपाल पुराना मानचित्र
नेपाल की कैबिनेट ने 18 मई 2020 को एक नए राजनीतिक मानचित्र को मंजूरी देकर भारत से विवाद गहरा देने का नया रास्ता खोल दिया था। लेकिन जब नेपाल की केपी शर्मा ओली सरकार संसद के सदन में नए मानचित्र के साथ संघीय संसद के नए लोगो का प्रस्ताव लाने की तैयारी में...
अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की चुनौती
वर्तमान की बात करें तो भारतीय अर्थव्यवस्था एक गहरी संकट की तरफ बढ़ रही है। विभिन्न प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने भारत की आर्थिक वृद्धि दर के संदर्भ में जो आकलन जारी किए हैं, वे चिंताजनक हैं। आईएमएफ, वर्ल्ड बैंक, एडीबी और मूडीज जैसी संस्थाओं ने भारत की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान में एक बड़ी कटौती की है।
कोरोना संक्रमण पर गर्मी का कितना प्रभाव?
बहरहाल, गर्मी में कोरोना के प्रसार में कमी आने संबंधी भले ही कितने ही दावे किए जाएं लेकिन वास्तव में दुनिया के किसी भी वैज्ञानिक के पास कोरोना पर गर्मी के प्रचण्ड तापमान के प्रभाव को लेकर कोई निश्चित जवाब नहीं है।
सीमाई विवादों के बहाने उन्माद में चीन
भारत और चीन के बीच अक्साई चिन को लेकर करीब 4000 किमी और सिक्किम को लेकर 220 किमी सीमाई विवाद है। तिब्बत और अरुणाचल में भी सीमाई हस्तक्षेप कर चीन विवाद खड़ा करता रहता है।
कोरोना वायरस की उत्पति की जांच
अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ साथ भारत ने भी यह मांग उठाई और अंतत: चीन इस मांग को स्वीकार करने के लिए सहमत हुआ। विश्व स्वास्थ्य संगठन के 194 सदस्य देशों में से 160 देशों ने इसकी स्वतंत्र जांच की मांग की।
नए सिरे से तय होगी कृषि की भूमिका
अब कृषि विशेषज्ञों को नए सिरे से सोचना होगा। एक और कोरोना जैसे हालातों से निपटने के लिए कृषि उत्पादन बढ़ाना पहली आवश्यकता होगी तो दूसरी और कृषि लागत में कमी लाने और किसानों को उनकी उपज का पूरा मूल्य दिलाने के प्रयास करने होंगे।
असली भारत की मानवीय त्रासदी
आज भारत एक अभूतपूर्व प्रवासी मजदूरों की मानवीय समस्या का सामना कर रहा है। इस समस्या का समाधान अनुशासन के साथ मानवीय मूल्यों को ध्यान में रखकर किया जाना चाहिए। यह सच है कि सरकार ने उनके लिए अनेक उपायों की घोषणा की है किंतु आवश्यकता इस बात की है कि इसके लिए खजाने के द्वार खोले जाएं।
नेपाल की मन:स्थिति को समझें
लिपुलेख मामले में भारत को नसीहत देने वाली नेपाल सरकार एवरेस्ट के मसले पर अभी भी चुप्पी साधे हुए है। ओली सरकार ने चीन के इस दुस्साहस पर पंक्तियां लिखे जाने तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। ऐसे में नेपाल और उसके मुखिया के पी ओली की मन:स्थिति को समझा जा सकता है।
चीन से निकले मौत के वायरस के कृत्रिम होने की शंकाएं?
फ्रांस के नोबेल पुरुस्कार विजेता वैज्ञानिक लूक मांटेग्नर ने इस दावे का समर्थन किया है कि कोविड-19 महामारी फैलाने वाले नोवल कोरोना वायरस की उत्पत्ति प्रयोगशाला में की गई है और यह मानव निर्मित है। उनका यह भी दावा है कि एड्स बीमारी को फैलाने वाले एचआइवी वायरस की वैक्सीन (टीका) बनाने की कोशिश में यह अधिक संक्रामक और घातक वायरस तैयार किया गया है।
देशी मजदूरों पर डॉलर संस्कृति का चलता बुलडोजर
देशी मजदूर हों या फिर विदेशी भारतीय मजदूर, इनके बीच फर्क करना सही नहीं है। खासकर देशी मजदूरों के साथ इस तरह का व्यवहार चिंताजनक है। देशी मजदूर सही में हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ हैं। अगर देशी मजदूर पूरी तरह खेती व्यवस्था पर चल निकले तो फिर देश की अर्थव्यवस्था का बुरा हाल हो सकता है।
आयुर्वेद कोरोना व्याधि से मुक्ति देने में सक्षम
भारत के आयुष मंत्रालय ने रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने तथा अपनी श्वसन मंत्र को मजबूत करने के लिये लोगों को आयुर्वेद की औषधियां लेने का परामर्श दिया है। आयुर्वेद एवं एलोपैथ की यह संधि कोरोना व्याधि को भगाने में सक्षम हो रही है, यह एक बड़ी उपलब्धि है। भारत एक बार फिर से योग एवं अहिंसा की भांति आयुर्वेद के माध्यम से विश्व गुरु बनने की दिशा में सार्थक मुकाम हासिल कर सकेगा।
आखिर मजदूर को मजबूर समझने की गलती क्यों!
एक-एक मजदूर की समस्या देश की समस्या है। सरकार को इस पर अपनी आंखें पूरी तरह खोलनी चाहिए। हो सकता है कि इस कठिन दौर में सरकार के सारे इंतजाम कम पड़ रहे हों बावजूद इसके जिम्मेदारी तो उन्हीं की है।
कोरोना की आड़ में राजनीति
किंतु आज लगता है कि हम ऐसे भारत में रह रहे हैं जहां पर केवल वीवीआईपी को महत्व दिया जाता है जो आधिकारिक नामक एक संकरी पट्टी पर रहते हैं और विशेषाधिकारों की ओर भागते हैं। इसके चलते आज आम आदमी और खास आदमी के बीच खाई और चौड़ी हो गयी है और परिणामस्वरूप शासकों के प्रति लोगों में हताशा और आक्रोश बढ रहा है और जनता अवज्ञा पर उतर आयी है।
दोहरी आपदा लेकर आ रहा है श्रमिक संकट
श्रमिक संकट दोहरी आपदा लेकर आ रहा है एक तो आने वाले समय में उद्योग-धंधे श्रमिकों की किल्लत से जूझेंगे, वहीं दूसरी ओर ग्रामीण क्षेत्रों में संक्रमण प्रसार का खतरा लगातार गहरा होता जा रहा है। वास्तव में मजदूरों का भारी पलायन जो दो आपदाएं अपने साथ ला रहा है, वो आने वाले समय में केन्द्र व राज्य सरकारों के लिए बड़ी चुनौती होगी।
लॉकडाउन के बंधन ढीले करने की मजबूरी
लॉकडाउन में दी गई छूट का गलत इस्तेमाल न करें क्योंकि आपकी एक गलती कई लोगों पर भारी पड़ सकती है। यह भी जान लेना चाहिए कि इस बीमारी की अभी कोई दवा नहीं है, ऐसे में केवल परहेज के जरिए ही इस बीमारी से बचा जा सकता है। थोड़ी सी लापरवाही भी कई जिंदगियों पर भारी पड़ सकती है।