इतनी संगत कि सरसा में बज गया राम नाम का डंका

डेरा सच्चा सौदा में धूमधाम व हर्षोल्लास से मनाया पावन एमएसजी महारहमोकरम दिवस का भंडारा

  • पूज्य गुरु जी ने मंदबुद्धियों की सार-संभाल व उपचार करवाकर घर पहुंचाने वाले टॉप सेवादार को किया सम्मानित
  • मानवता भलाई कार्यों का कारवां 156 पर पहुंचा
  • जरूरतमंद परिवारों को मिले आशियाने
  • संतों का काम समाज से बुराइयां हटाना : पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां
  • संत धर्मों की शिक्षा पर अमल करना सिखाते हैं : पूज्य गुरु जी

सरसा। (सच कहूँ न्यूज) पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज के पावन महारहमोकरम (गुरुगद्दीनशीनी) दिवस का ‘एमएसजी महारहमोकरम दिवस भंडारा’ डेरा सच्चा सौदा की करोड़ों साध-संगत ने मंगलवार को देश और दुनिया में धूमधाम व हर्षोल्लास से मनाया। इस अवसर पर शाह सतनाम जी धाम, सरसा में भारी तादाद में साध-संगत उमड़ी। साध-संगत के भारी उत्साह के समक्ष प्रबंधन द्वारा किए गए सभी इंतजामात छोटे पड़ गए। शाह सतनाम जी धाम के मुख्य पंडाल सहित 87 एकड़ में बनाए गए अलग-अलग पंडालों में पैर रखने तक की जगह नहीं थी। चहुंओर नाचते-गाते, खुशी में झूमते श्रद्धालु ही नजर आ रहे थे।

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छाया: सुशील कुमार

इस अवसर पर पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने आॅनलाइन गुरुकुल के माध्यम से विशाल रूहानी सत्संग फरमाया, जिसे साध-संगत ने बड़ी-बड़ी स्क्रीनों के माध्यम से एकाग्रचित होकर श्रवण किया। इस अवसर पर पूज्य गुरु जी ने इन्सानियत मुहिम के तहत सड़कों पर बदहाल घूमते मंदबुद्धियों की सार-संभाल व उनका उपचार करवाकर उन्हें उनके घर पहुंचाने में टॉप रहने वाले राजस्थान के ब्लॉक केसरीसिंहपुर के शाह सतनाम जी ग्रीन एस वेल्फेयर फोर्स विंग के सेवादार राजेन्द्रपाल इन्सां को शानदार ट्राफी और प्रेम निशानी देकर सम्मानित किया। इस बहादुर सेवादार ने 125 मंदबुद्धियों का इलाज करवाकर उन्हें सही सलामत उनके घर पहुंचाया। राजेन्द्र पाल इन्सां ने अपनी जान की परवाह न करते हुए ट्रेन के आगे आ रही एक महिला को भी मौत के मुंह से बचाया।

छाया: सुशील कुमार

साथ ही मानवता भलाई के 155वें कार्य पेड कैम्पेन (Paid Campaign) व 156वें कार्य फास्टर कैम्पेन का आगाज किया। पेड कैम्पेन के तहत साध-संगत अपनी एक दिन की सैलरी (वेतन) जरूरतमंदों की मदद करने में खर्च करेगी। वहीं फास्टर कैम्पेन के तहत अपने वाहनों में फर्स्ट एड किट रखेगी ताकि रास्ते में किसी दुर्घटनाग्रस्त मिले व्यक्ति की जान बचाई जा सके। वहीं जरूरतमंद परिवार को जिला सरसा के ब्लॉक रामपुरथेड़ी चक्कां की साध-संगत द्वारा बनाकर दिए गए मकान की चाबी भी सौंपी गई। पावन भंडारे के अवसर पर नई किरण मुहिम के तहत एक परिवार ने अपनी विधवा बहू को बेटी बनाकर उसकी शादी की। साथ ही नई सुबह मुहिम के तहत तलाकशुदा महिला और जीवन आशा मुहिम के तहत विधवा की भक्तयोद्धाओं के साथ शादियां हुर्इं।

छाया: सुशील कुमार
छाया: सुशील कुमार

मानवता भलाई कार्यों का कारवां 156 पर पहुंचा

एमएसजी भंडारे को लेकर डेरा सच्चा सौदा की साध-संगत में अनुपम श्रद्धा, अद्वितीय विश्वास और अद्भुत जोश व ज़ज्बा देखने को मिला। सोमवार रात्रि से ही शाह सतनाम जी धाम व शाह मस्ताना जी धाम में साध-संगत का आना शुरू हो गया। सुबह 11 बजे ‘एमएसजी रहमोकरम दिवस के भंडारे’ के रूहानी सत्संग की शुरूआत से पहले ही विशाल पंडाल साध-संगत से खचाखच भर चुका था। इसके साथ ही आश्रम की ओर आने वाले सभी मार्गों पर जहां तक नजर पहुंच रही थी, साध-संगत का जन समूह ही नजर आया। सर्वप्रथम साध-संगत ने पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां को ‘धन-धन सतगुरु तेरा ही आसरा’ के पवित्र नारे के साथ पावन एमएसजी महारहमोकरम दिवस के भंडारे की बधाई दी। इसके पश्चात कविराजों ने विभिन्न भक्तिमय भजनों के माध्यम से सतगुरु जी की महिमा का गुणगान किया।

छाया: सुशील कुमार
छाया: सुशील कुमार

 तत्पश्चात पूज्य गुरु जी ने रूहानी सत्संग में फरमाया कि पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी दाता, रहबर ने हम पर महान परोपकार किए। ‘‘हम थे, हम हैं और हम ही रहेंगे’’, ये अपने मुरीदों के लिए, अपने शिष्यों के लिए बात कही। और आज सच्चे सौदे के साढ़े छह करोड़ लोग राम-नाम से जुड़े हैं, जो नशे छोड़ चुके हैं, बुराइयां छोड़ चुके हैं, भक्ति से जुड़ गए हैं। आज फिर से वो ही बात दोहराते हुए हम फिर से कहते हैं कि बेपरवाह जी ने यही फरमाया था ‘गुरु हम थे, हम हैं और हम ही रहेंगे, तो आज भी ज्यों का त्यों वो बरकरार है।

छाया: सुशील कुमार

आज का दिन इसलिए भी विशेष हो जाता है कि आज के दिन दाता, रहबर (शाह मस्ताना जी) ने सरेआम जाहिर किया कि हम शाह सतनाम, जिसे दुनिया ढूंढती है, आप सबके सामने जाहिर कर रहे हैं, आप सबके सामने उनको बैठा रहे हैं। तो मुर्शिद-ए-कामिल दाता का जो रहमोकरम है, वो हम सब पर बेइंतहा है। उन्होंने गाँव, शहरों और कस्बों में जा-जाकर लोगों का नशा छुड़ाया, बुराइयां छुड़ाई और नरक जैसे घरों को स्वर्गमय बना दिया। तो उस दाता को अरबों-खरबों बार सजदा है, नमन है।

छाया: सुशील कुमार

पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि उस परमपिता परमात्मा, दाता ने हमें वो नज़ारे दिए, जो दोनों जहानों में हमेशा बरकरार रहने वाले हैं। सर्वधर्म संगम, सभी धर्मों का सत्कार करना सिखाया। आज सच्चा सौदा में जो सेवादार बैठते हैं, साध-संगत बैठती है, वो ये पूछकर नहीं बैठती कि तेरा धर्म कौन सा है? बल्कि एक-दूसरे को भगवान से प्रेम करने वाला प्रेमी कहती है, सत्संगी कहती है, भाई कहती है, बहन कहती है या बुजुर्ग कहती है। कभी भी कोई किसी धर्म-जात, मजहब के बारे में नहीं पूछता। ये नहीं कहता कि तूं कौन से धर्म वाला है? ये नहीं कहता कि आगे तो ये धर्म वाला बैठेगा बाकी पीछे बैठेंगे, यहां ऐसा कुछ भी नहीं है।

छाया: सुशील कुमार

इन्सानियत, मानवता का पाठ शाह सतनाम जी दाता रहबर ने, शाह मस्ताना जी दाता रहबर ने सच्चा सौदा बनाकर चलाया। इसमें रूहानियत, सूफियत का ये मार्ग है, जो उन्होंने चला रखा है, चल रहा है, चलता रहेगा। यहां जो भी श्रद्धा भाव से आकर बैठता है और ध्यान से सुनता है उसे अपने हर सवाल का जवाब मिल जाया करता है। सूफियत का मतलब समाज में रहकर, भक्ति इबादत करके समाज की बुराइयों को दूर करना।

छाया: सुशील कुमार

पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि उस परमपिता परमात्मा, उस दाता रहबर की चर्चा करते हैं। संतों का काम इस समाज में आकर बुराइयां दूर करना होता है। संत किसी के धर्म, मज़हब में दखल नहीं देते, बल्कि वो तो सिखाते हैं कि अपने-अपने धर्म में रहते हुए अपने-अपने धर्म को मान लो। और हम कितनी बार कह चुके हैं कि सभी धर्मों के भक्त अगर इस मिनट धर्म को मानना शुरू कर देंगे तो अगले मिनट धरती पर प्यार, मोहब्बत की गंगा बहने लगेगी। क्योंकि धर्मों में बेग़र्ज, नि:स्वार्थ प्यार की बात कही है।

छाया: सुशील कुमार

फिज़ूल की बहस ना करो, किसी को गलत ना बोलो, किसी की निंदा ना करो, किसी का निरादर ना करो, सबका सत्कार करो, सबकी इज्जत करो, नशे ना करो, माँसाहार को त्याग दो, क्योंकि इससे निर्दयता आती है, आदमी के अंदर से रहम नाम की चीज चली जाती है, दया नाम की चीज चली जाती है।तो ऐसी भक्ति की बातें हमारे संत, पीर-फकीरों ने बताई और वही बात दाता, रहबर ने बहुत सारे भजनों के माध्यम से कही, कि कभी किसी का बुरा ना सोचो। कभी किसी का दिल ना दुखाओ। ‘‘दिल ना किसी का दुखाना भाई, दिल ना किसी का दुखाना, हर दिल में प्रभु का ठिकाना भाई, हर दिल में प्रभु का ठिकाना’’, कि कभी किसी का दिल ना दुखाओ। हाँ, वचनों पर पक्के रहना जरूरी है।

छाया: सुशील कुमार

उसके बाद किसी पर टोंट ना कसो, किसी का बुरा ना तकाओ, किसी को बुरा कहो ना। क्योंकि जब आप दूसरों का दिल दुखाते हैं तो भगवान की प्राप्ति की सोच भी नहीं सकते, क्योंकि हर दिल में वो रहता है। कण-कण, जर्रे-जर्रे में प्रभु मौजूद है। तो अगर आपका मूड खराब है। अगर आप सही नहीं हैं सोच में, या आपको कोई टैंशन है, कोई परेशानी है तो आप उस परेशानी को, उस टैंशन को सुमिरन के द्वारा, भक्ति-इबादत के द्वारा दूर करें, ना कि किसी पर चिल्ला कर, किसी को बुरा कहकर। कई बार होता है कि घर में कोई परेशानी आ जाती है, कोई मुश्किलें होती हैं आप घर में कहने की बजाय बाहर समाज में जाकर वो बात कहते हैं, गलत बोलते हैं तो एक तरह से आप प्रभु की औलाद का दिल दुखाते हैं।

छाया: सुशील कुमार
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पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि हमने कितनी बार आपसे बोली है ये चीज, बेपरवाह जी भी फरमाया करते, हर बॉडी में उन्होंने बोला, कि ‘‘पहले तोलो और फिर बोलो।’’ बोलने से पहले थोड़ा ब्रेक लिया करो, तुनकमिजाजी अच्छी नहीं होती, कि आपको कोई बात कही गई और झट से आपने उस पर रिएक्ट कर दिया, खास करके गुस्से वाला या कड़वा किसी को बोल दिया, ये गलत बात है। आपको कोई किसी के बारे में गलत कहता है, किसी के बारे में गलत बोलता है या आपके पास आकर कोई किसी की चुगली करता है, कि फलां आदमी आपके बारे में बहुत बुरा कहता है, फलां आदमी आपको गालियां देता है तो आप उसी समय राशन पानी लेकर उसके ऊपर ना चढ़ो।

छाया: सुशील कुमार
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बल्कि विराम दो एक दिन कम से कम। आप उससे बात ना करो। एक दिन में आपका 50 पर्सेंट गुस्सा तो वैसे ही चला जाएगा। और फिर जब प्यार से जाकर पूछोगे कि क्या भाई मुझे आपने ऐसा बोला है तो यकीन मानो जो उसने बताया होगा, उससे 5-10 पर्सेंट ही बोला होगा, उसने 100 पर्सेंट उसे पॉलिश करके या मसाला लगाकर आप तक पहुँचाया। तो आप समझ जाएंगे कि वो आदमी आपको लड़ाना चाहता है। तो फिर उसकी बात पर जल्दी से यकीन ना करें। क्योंकि ऐसे उस्ताद समाज में बहुत हैं, जो लड़ाने का काम करते हैं। आमतौर पर जोड़ने वाले कम हैं, तोड़ने वाले ज्यादा हैं।

छाया: सुशील कुमार
छाया: सुशील कुमार

जोड़ने वाले वो लोग हैं जिनके माँ-बाप के अच्छे संस्कार हैं या हमारे संत, पीर-पैगम्बर, गुरु, महापुरुषों के वचनों पर जो अमल करते हैं, भक्तजन हैं वो तो जरूर जोड़ने का काम करते हैं, कि हाँ भई लड़ो नहीं, आपस में मिलकर रहो। वरना आज के दौर में लोग तोड़ने का काम ज्यादा करते हैं। एक-दूसरे को लड़ाना, चार भाई इकट्ठे रहते हैं उनको अलग-अलग करने की स्कीमें बनाना। भंडारे की समाप्ति पर आई हुई साध-संगत को हजारों सेवादारों ने कुछ ही मिनटों में हलवे का प्रसाद और मटर-सोयाबीन बड़ी के दाले वाला लंगर-भोजन बरता दिया।

 

छाया: सुशील कुमार
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वर्णनीय है कि डेरा सच्चा सौदा के संस्थापक पूजनीय बेपरवाह सार्इं शाह मस्ताना जी महाराज ने 28 फरवरी 1960 को पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज को गुरुगद्दी की बख्शिश कर अपना रूप बनाया। इस दिवस को डेरा सच्चा सौदा की साध-संगत एमएसजी महारहमोकरम दिवस के रूप में उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाती है। साध-संगत के लिए दिन-रात एक करते हुए पूजनीय परम पिता जी ने 11 लाख से अधिक लोगों को राम-नाम की अनमोल दात प्रदान करके नशे, मांसाहार और हरामखोरी जैसी बुराइयां छुड़वाकर इन्सानियत की भलाई के कार्यों में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। वहीं आज दिन-दोगुणी और रात-चौगुणी गति से मानवता पर उपकार करते हुए पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां साढ़े छह करोड़ से अधिक लोगों का नशा और बुराइयां छुड़वाकर अपना अथाह प्रेम और रहमतें बरसा रहे हैं।

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