सहयोग से सरस्वती ढूंढेगी हरियाणा सरकार

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समझौता: नई दिल्ली में मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने किया MOU Sign

ओएनजीसी के साथ हुआ समझौता

चंडीगढ़ (सच कहूँ न्यूज)। लुप्त हो चुकी वैदिक कालीन प्राचीन नदी ‘सरस्वती’ के जीर्णोद्धार व अनुसंधान की दिशा में हरियाणा सरस्वती धरोहर बोर्ड और तेल व प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) के मध्य एक समझौते पर दस्तखत हुए।

नई दिल्ली स्थित हरियाणा भवन में आयोजित हुए इस प्रोग्राम में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल और केंद्रीय पैट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान उपस्थिति रहे। बता दें कि ओएनजीसी धरती के भीतर  ‘सरस्वती’ नदी के प्रवाह मार्ग पर 100 कुएं बनाएगा। केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय की एंजेसी वैपकॉस सलाकार के रूप में कार्य करेगी। वैपकॉस द्वारा सर्वेक्षण किया जाएगा।

‘सरस्वती’ नदी के प्रवाह मार्ग पर बनेंगे 100 कुएं

ओएनजीसी प्रारंभ में सरस्वती नदी के प्रवाह मार्ग पर दस कुएं ड्रिल करेगा। केंद्रीय पैट्रोलियम एवं  प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि ओएनजीसी द्वारा सरस्वती नदी पर बनाए जाने वाले कुओं की संख्या 100 तक बढ़ाई जाएगी।

भारतीय उपमहाद्वीप के इस वैदिक कालीन गौरव को खोजने के लिए हरियाणा के यमुनानगर जिला क्षेत्र में स्थित ‘सरस्वती’ नदी के उद्गमस्थल ‘आदिबद्री’ से गुजरात तक कई पुरातत्ववेत्ताओं ने यात्राएं की हैं। यात्राओं में  1985 में  मोरेपंत पिंगले की प्रेरणा से पद्मश्री वी एस वाणकर के मार्गदर्शन में की गई यात्राओं में वे स्वयं भी शामिल रहे थे।
-मनोहर लाल, सीएम हरियाणा।

2005 में मिली थी सरस्वती नदी

2005 में रिमोट सेंसिंग और धरातलीय अध्ययन के माध्यम से ओएनजीसी के भूगर्भीय विशेषज्ञ यह बता चुके थे कि सरस्वती नदी आज भी सैकड़ों किलोमीटर नीचे जिंदा है। अध्ययन में यह भी बताया गया कि किन कारणों से नदी लुप्त हो गई। यह अध्ययन ओएनजीसी से अधिशासी निदेशक पद से सेवानिवृत्त डॉ. एमआर राव ने किया था। उन्होंने पहले नदी के रूट की सेटेलाइट मैपिंग की और फिर धरातलीय जानकारी जुटाई।

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