कच्चे कर्मचारियों पर अदालती फैसले के बाद गरमाई सियासत

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चंडीगढ़(अनिल कक्कड़)।
गत दिवस माननीय पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा पूर्व की हुड्डा सरकार के समय भर्ती किए गए कच्चे कर्मचारियों संबंधित 4 पॉलिसियां रद्द कर दी गर्इं। अदालत के फैसले के बाद प्रदेश में सियासी घमासान शुरू हो गया है।

कांग्रेस ने जहां इसे मौजूदा खट्टर सरकार की नाकामी बताया है वहीं खट्टर सरकार इसे हुड्डा सरकार की गलत नीतियों का नतीजा करार दे रही हैं। वहीं प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा है कि किसी भी कर्मचारी के साथ अन्याय नहीं होने दिया जायेगा।

खट्टर ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के समय विधानसभा चुनाव से पूर्व ठेका कर्मचारियों को नियमित करने के संबंध में चार नीतियों को रद्द करने के फैसले के बाद हरियाणा राज्य कर्मचारी संघ के एक शिष्टमंडल को यह आश्वासन दिया।

अदालत के फैसले से 20 हजार कर्मचारी प्रभावित होंगे। संघ के प्रदेश महासचिव कृष्णलाल गुर्जर ने आज यहां जारी एक बयान में कहा कि उनका एक शिष्ट मंडल मुख्यमंत्री से मिला जिसमें कल के उच्च न्यायालय के फैसले पर गंभीरता से विचार विमर्श हुआ। उन्होंने बताया कि इस दौरान खट्टर ने आश्वासन दिया कि किसी भी कर्मचारी के साथ अन्याय नहीं होने दिया जायेगा और सरकार उच्च न्यायालय के फैसले का अध्ययन कर कोई फैसला लेगी।

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