एक ऐसा पेट्रोल पंप, जहां तेल के साथ मिल रही शिक्षा

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सुखजीत मान/सच कहूँ न्यूज/मानसा।

मानसा के बस स्टैंड से त्रिकोनी को जाती सड़क पर एक पेट्रोल पंप तेल के साथ-साथ शिक्षा भी देता है। तेल की कीमतें चाहे कितनी भी बढ़-घट जाएं परंतु शिक्षा नि:शुल्क मिलती है शिक्षा बांटने का यह कार्य पिछले 51 वर्षांे से चल रहा है शहर के कुछ लोग ऐसे भी हैं जो तेल बेशक अपने वाहन में यहां से न डलवाएं परन्तु शिक्षा लेने जरूर आते हैं। विवरणों मुताबिक वर्ष 1967 में बस स्टंैंड के पास एसो. कंपनी का पंप स्थापित किया गया था उस समय पर कंपनी का संचालक एक अंग्रेज अधिकारी था।

पंप के उद्घाटन पर आए अंग्रेज अधिकारी ने पंप मालिक जगदीश राय को जब पंप पर कोई अन्य सुविधा लेने संबंधी पूछा तो उन्होंने एक बोर्ड लागने की मांग करते कहा कि वह बोर्ड पर रोजमर्रा की सुबह ‘आज का विचार’ लिखा करेंगे, जिसे लोग रूक-रूक कर पढ़ा करेंगे। अंग्रेज अधिकारी ने तुरंत उनकी मांग को पूरा करते बोर्ड लगवा दिया जिस पर उस समय पर से किसी महान विद्वान या कवि आदि की समाज को शिक्षा देने वाली लाईनें लिखीं जा रही हैं। जगदीश राय के पुत्र जगमोहन कुमार ने बताया कि 1967 में काले रंग का बोर्ड लगाया था, जिस पर चाक से उनके पिता सन्देश लिखते थे।

एक समय पर उन के पिता वद्ध होने के कारण वह बीमार हो गए तो कुछ वर्ष तक विचार लिखना बंद रहा परन्तु 1992 में जब उसने पंप संभाला तो अपने पिता से इस बोर्ड संबंधी पूछा तो वह बहुत प्रभावित हुए, जिस कारण उन्होंने अपने पिता के इस कार्य को आगे बढ़ाते पहली बार लिखा था ‘‘इन्सान अपनी संगत से और फल अपनी रंगत से पहचाना जाता है’’ कई सालों बाद में दोबारा लिखे विचार की प्रशंसा पहले दिन ही करीब 60 -70 व्यक्तियों ने की, जिससे उनको काफी हौसला मिला।

जगमोहन कुमार ने बताया कि उनके पंप पर इस विचार को अब बड़ी संख्या लोग रोजमर्रा की ही पढ़ते हैं। उन्होंने बताया कि काफी लोग तो इस विचार को पढ़ने के इस हद तक आदी हो गए हैं, जिनमें बड़ी संख्या स्कूल अध्यापक व अन्य सरकारी कर्मचारी हैं, जो अपने वाहनों में तेल चाहे यहां रुक कर न डलवाएं परंतु बोर्ड पर लिखा विचार जरूर पढ़ने आते हैं।

जगमोहन कुमार ने बताया कि उनके पिता जगदीश राय को भी साहित्य की उत्साह था और वह भी साहित्य के साथ जुड़े हुए हैं किसी भी अखबार में से मिला अच्छा विचार वह कॉपी आदि पर लिख लेते हैं, जिसे समय -समय अनुसार बोर्ड पर लिख देते हैं। उन्होंने कहा कि जमाने की रफ़्तार के हिसाब के साथ अब काले बोर्ड की जगह सफेद बोर्ड लगाया है, जिस पर मार्कर के साथ लिखा जाता है।

‘चिराग सेवियां भंडार’ के मालिक ने भी पंप मालिक से प्रभावित होकर अपनी दुकान के सामने लगाया शिक्षा बोर्ड

शहर के ‘चिराग सेवियां भंडार’ के मालिक यसपाल गिल्होत्रा ने भी पेट्रोल पंप वाले बोर्ड से प्रभावित होकर अपनी दुकान के सामने शिक्षा बोर्ड लगवाया है। उन्होंने बताया कि वह पिछले 22 वर्ष से इस बोर्ड पर रोजमर्रा की एक विचार लिखते हैं, जिसे राहगीर लिखकर या बोर्ड की फोटो खींच कर ले जाते हैं।

 

 

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