किन्नू की फसल में 70 से 75 % तक का नुकसान

मौसम की मार से मायूस किसान बोले : भाव है तो फसल नहीं, कैसे करेंगे परिवार का पालन-पोषण

ओढां। (सच कहूँ/राजू) किसानों की आर्थिक दशा में सुधार लाने के लिए सरकार द्वारा वर्ष 2005 से एनएचएम (राष्ट्रीय बागवानी मिशन) योजना शुरू की गई थी। योजना में अच्छा अनुदान मिलने के चलते किसानों का बागवानी (किन्नू के उत्पादन) की तरफ रुझान बढ़ा। बागवानी में अच्छी आमदन होने के चलते किसानों का रुझान और अधिक बढ़ गया। लेकिन पिछले 3 वर्षांे के आंकड़ों पर गौर की जाए तो इसी बागवानी ने किसानों की आर्थिक दशा को प्रभावित कर दिया है। इस बारे जब बागवानी करने वाले कुछ किसानों की स्थिति से अवगत हुआ गया तो उन्होंने मायूस होते हुए कहा कि इस बार किन्नू की फसल बेहद कमजोर है। कुछ किसानों ने तो खर्च पूरा भी न होना बताया। हालांकि बाजार मेेंं किन्नू के भाव 25 से 30 रुपये किलो है, लेकिन फसल बेहद कमजोर होने के चलते अकेले भाव क्या करे।

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जिला में करीब 16 हजार हेक्टेयर में किन्नू व अमरूद के बाग हैं। वहीं ओढां खंड के 37 गांवों मेंं क रीब 700 हेक्टेयर में बागवानी है। जिसमें करीब 650 हेक्टेयर में किन्नू, 40 हेक्टेयर में अमरूद, 2 हेक्टेयर में आंवला, 2 हेक्टेयर में बेर व 2 हेक्टेयर में अनार शामिल है। अगर ब्लॉक स्तर पर बात करें तो ओढां खंड में गांव ख्योवाली बागवानी मेंं सबसे आगे है। यहां पर करीब 500 एकड़ में किन्नू के बाग लहला रहे हैं। वहीं गांव पन्नीवाला मोटा में करीब 350 व गांव घुंकावाली में करीब 250 एकड़ में बागवानी है। इसके अलावा अन्य गांवों में भी किसानों ने बागवानी की हुई है। किन्नू उत्पादन में सरसा काफी अग्रणी रहता है, लेकिन इस बार फसल बेहद कमजोेर होने की वजह से किसान मायूस दिखाई दे रहे हैं।

खेती में आमदन कम होने के चलते बागवानी शुरू की थी। मैं पिछले करीब 15 वर्षां से बागवानी कर रही हूं। सरकार की योजना के चलते मैंने 20 एकड़ में किन्नू की बागवानी कर रखी है। इस बार करीब 70 प्रतिशत फसल कमजोर हुई है। पहले तो बागवानी से अच्छी आमदन होती रही है। लेकिन इस बार फसल काफी कमजोर है। किसान पिछले 3 वर्षांे से बागवानी में नुकसान झेल रहे हैं। अगर प्रकृति की मार इसी तरह पड़ती रही तो किसानों को मजबूरन अन्य कोई विकल्प चुनना पड़ेगा। सरकार से उम्मीद है कि किसानों की कोई मदद करेगी।                                                           – सुनीता गोदारा (ख्योवाली)।

मैं पिछले काफी समय से बागवानी कर रहा हूं। मैंने 7 एकड़ में बागवानी की हुई है। जो स्थिति इस बार हुई है वो पहले कभी नहीं हुई। पूर्व में 250 क्विंटल फसल हुई थी, लेकिन इस बार 50 क्विंटल हो जाए तो भी बेहतर है। समझ नहीं आ रहा कि कैसे खर्च पूरा करेंगे। बाजार में इस समय किन्नू के भाव ठीक हैं, लेकिन जब फसल ही नहीं तो भाव का क्या करेंगे। स्थिति काफी विकट होकर रह गई है। हम प्रशासन व सरकार से पहले भी मुआवजे की मांग कर चुके हैं।
                                                                                                              -चेतराम (चकेरियां)।

बागवानी किसान के लिए आमदन का सबसे अच्छा स्त्रोत है। लेकिन जब फसल ही न हो तो आमदन कैसी। पिछले 3 वर्षांे से किसान किन्नू के उत्पादन में नुकसान उठा रहे हैं। कभी फसल नहीं तो कभी भाव नहीं। इस बार फसल न के बराबर है। हमने इस बार करीब 44 एकड़ मेंं बागवानी है। लेकिन किन्नू की फसल कमजोर होने के चलते फसल में आध रह गया है। बागवानी में इस बार किसानों को 70 से 80 प्रतिशत तक नुकसान उठाना पड़ रहा है। सरकार से मांग है कि नुकसान का सर्वे कर कोई आर्थिक मदद की जाए।
                                                       – जगदीश सहारण (पन्नीवाला मोटा)।

मैंने अपनी बारानी जगह में वॉटर टैंक व ड्रिप सिस्टम लगाकर 7 एकड़ में बागवानी की हुई है। इस सिस्टम के चलते बारानी जगह में भी फसल हमेशा ही अच्छी होती रही है। लेकिन पिछले करीब 3 वर्षांे से इस कार्य में काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। मार्च में गर्मी अधिक पड़ने की वजह से उत्पादन पर काफी विपरीत असर पड़ा। बागवानी नकदी की फसल है। अगर यही स्थिति रही तो किसानों की आर्थिक स्थिति काफी खराब हो जाएगी। करीब 75 प्रतिशत फसल खत्म हो गई है। सरकार से उम्मीद है कि सर्वे करवाकर कोई सहायता मुहैया करवाए।
                                                               – मा. जगदीश सिंह (सिंघपुरा)

मैंने इस समय करीब 27 एकड़ में किन्नू का बाग लगाया हुआ है। इस बार फसल न के बराबर है। भाव अच्छा है तो फसल नहीं। बागवानी से पिछले 3 वर्षां से किसानों की आर्थिक दशा प्रभावित हुई है। मैं बागवानी को और बढ़ाने की सोच रहा था, लेकिन नुकसान के चलते ईरादा बदलना पड़ा। समझ नहीं आ रहा कि किसान कैसे अपने परिवार का पालन-पोषण करेगा। खर्चे इतने बढ़ गए हैं कि कुछ समझ नहीं आ रहा कैसे काम चलेगा।
                                                        – इन्द्रपाल कस्वां (पन्नीवाला मोटा)।

किसानों को आर्थिक रूप से स्मृद्ध बनाने के लिए सरकार ने अच्छी योजना शुरू की हुई है। जिला में करीब 16 हजार हेक्टेयर में बागवानी है। जिसमें ओढां खंड में करीब 700 हेक्टेयर में बाग हैं। इस बार मौसम प्रतिकूल होने की वजह से उत्पादन 70 से 75 प्रतिशत कमजोर है।                                      – सीमा कंबोज, बागवानी अधिकारी (ओढां)।

3 वर्षां से कभी भाव तो कभी उत्पादन ने बिगाड़ रखे समीकरण

वर्ष 2019-20 मेंं कि न्नू की फसल बम्पर हुई थी। उस वक्त किन्नू के दाम 6 से 8 रुपये तक थे। लेकिन फिर भी किसानों को उत्पादन अधिक होेने के चलते अच्छा मुनाफा हुआ था। वर्ष 2021-22 में किन्नू के दाम करीब 20 से 25 के आसपास थे। लेकिन उत्पादन कमजोर होने की वजह से किसानों को नुकसान उठाना पड़ा। मौजूदा समय में यानी वर्ष 2022-23 में किसानों को इस बार कि न्नू की फसल में 70 से 75 प्रतिशत तक का नुकसान उठाना पड़ रहा है। कई जगहोंं पर तो स्थिति ये है कि लागत खर्च भी वापस आता दिखाई नहीं दे रहा।

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